निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने आरोप लगाया कि भीमा-कोरेगांव में दलितों पर भाजपा और संघ के समर्थकों ने हमले किए थे. भड़काऊ भाषण देने को लेकर मेवाणी और छात्रनेता उमर ख़ालिद के ख़िलाफ़ पुलिस में शिकायत.
मुंबई/पुणे/नई दिल्ली: पुणे ज़िले में भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं सालगिरह के मौके पर एक जनवरी को भड़की हिंसा महाराष्ट्र के कुछ दूसरे शहरों तक फैल गई है.
इस हिंसा की वजह से महाराष्ट्र एक बार फिर जातिगत तनाव के मुहाने पर खड़ा है. राज्य सरकार द्वारा दलितों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा रोकने में विफल रहने पर बुधवार को एक राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया गया है.
रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि दलित प्रदर्शनकारियों ने बुधवार सुबह ठाणे रेलवे स्टेशन पर ट्रकों को रोकने की कोशिश की लेकिन उन्हें जल्द ही खदेड़ दिया गया तथा मध्य रेलवे लाइन पर यातायात बाधारहित है.
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने गोरेगांव उपनगर में पश्चिमी लाइन पर रेल यातायात भी बाधित करने की कोशिश की. दक्षिण मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज में बुधवार को 11वीं कक्षा की परीक्षाएं रद्द कर दी हैं.
रिपब्लिकन पार्टी आॅफ इंडिया/बहुजन महासंघ (बीबीएम) के नेता और डॉ. बीआर आंबेडकर के पोते प्रकाश आंबेडकर ने दो दिन पहले पुणे ज़िले के भीमा-कोरेगांव में हिंसा रोकने में राज्य सरकार की विफलता के विरोध में बुधवार को महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया है.
आंबेडकर ने इस हिंसा के लिए हिंदू एकता अघाड़ी को ज़िम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र डेमोक्रेटिक फ्रंट, महाराष्ट्र लेफ्ट फ्रंट और करीब 250 अन्य संगठनों ने बंद का समर्थन किया है.
बहरहाल, राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि उसने स्कूलों में छुट्टी घोषित नहीं की है लेकिन बस ऑपरेटरों ने कहा कि वे मुंबई में बुधवार को स्कूल बसें नहीं चलाएंगे.
स्कूल बस मालिकों के संघ के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हम छात्रों की सुरक्षा का जोख़िम नहीं उठा सकते. अगर हम दूसरी पारी में बस चला सकते हैं तो इस पर स्थिति देखने के बाद फैसला लेंगे.’
गुजरात से निर्दलीय विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने आरोप लगाया कि दो दिन पहले पुणे ज़िले में दलितों पर भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्थकों ने हमले किए थे. मेवाणी मंगलवार को मुंबई में थे.
उन्होंने कहा, ‘ये संगठन आधुनिक युग के पेशवा हैं जो सबसे ख़राब रूप में ब्राह्मणवाद का प्रतिनिधित्व करते हैं. 200 साल पहले हमारे पूर्वज पेशवा के ख़िलाफ़ लड़े. आज मेरी पीढ़ी के दलित नए पेशवा के ख़िलाफ़ लड़ रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘दलित शांतिपूर्ण रूप से भीमा-कोरेगांव युद्ध की वर्षगांठ क्यों नहीं मना सकते हमलावरों ने ऐसे तरीके अपनाए क्योंकि वे दलित आह्वान से भयभीत हैं.’
एक जनवरी को पुणे ज़िले में भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं सालगिरह पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुई हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. इस कार्यक्रम का एक दूसरे गुट ने विरोध किया था जिसके बाद उपजी हिंसा ने महाराष्ट्र के कुछ अन्य शहरों को अपनी चपेट में ले लिया.
भीमा-कोरेगांव की लड़ाई एक जनवरी 1818 को लड़ी गई थी. इस लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की सेना को हराया था. दलित समुदाय ब्रिटिश सेना की इस जीत का जश्न मनाते हैं.
ऐसा समझा जाता है कि तब अछूत समझे जाने वाले महार समुदाय के सैनिक ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना की ओर से लड़े थे. कुछ विचारक और चिंतक इस लड़ाई पिछड़ी जातियों के उस समय की उच्च जातियों पर जीत के रूप में देखते हैं.
एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने बताया कि जब लोग गांव में युद्ध स्मारक की ओर बढ़ रहे थे तो सोमवार दोपहर शिरूर तहसील स्थित भीमा-कोरेगांव में पथराव और तोड़-फोड़ की घटनाएं हुईं.
भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा को लेकर लोगों का आक्रोश मंगलवार को भी जारी रहा और प्रदर्शनकारियों ने हार्बर लाइन पर उपनगरीय एवं स्थानीय ट्रेन सेवाएं बाधित कर दीं. प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को मुंबई के कई इलाकों में सड़कें अवरूद्ध कर दीं, दुकानें बंद करा दीं और एक टेलीविजन समाचार चैनल के पत्रकार पर हमला भी किया था.
ताजा घटनाक्रम में मध्य रेलवे ने अपने हार्बर कॉरिडोर पर कुर्ला और वाशी के बीच उपनगरीय सेवाएं निलंबित कर दी और सीएसएमटी-कुर्ला एवं वाशी-पनवेल खंड के बीच विशेष सेवाएं चला रही है.
आक्रोशित लोगों के समूहों ने मंगलवार सुबह शहर के पूर्वी उपनगरीय इलाकों चेम्बूर, विखरोली, मानखुर्द और गोवंडी में विरोध प्रदर्शन किया और दुकानों एवं प्रतिष्ठानों को बंद करने पर मजबूर कर दिया.
इस हिंसा के ख़िलाफ़ महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर में भी प्रदर्शन हुए. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया. प्रदर्शन के दौरान आगज़नी भी की गई. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक औरंगाबाद में रिपब्लिकन पार्टी आॅफ इंडिया के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन के दौरान पुलिस पर पत्थरबाज़ी की.
पुणे पुलिस को मेवाणी और ख़ालिद के ख़िलाफ़ मिली शिकायत
पुणे पुलिस ने मंगलवार को कहा कि उसे गुजरात के निर्दलीय विधायक और दलित कार्यकर्ता जिग्नेश मेवाणी और दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र नेता उमर ख़ालिद के ख़िलाफ़ 31 दिसंबर को यहां एक कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण देने को लेकर एक शिकायत मिली है.
मेवाणी और ख़ालिद ने यहां एल्गार परिषद में हिस्सा लिया था. इस कार्यक्रम का आयोजन शहर के शनिवारवाड़ा में गत 31 दिसंबर को भीमा-कोरेगांव की लड़ाई के 200 साल पूरे होने के मौके पर किया गया था.
शिकायतकर्ताओं अक्षय बिक्कड़ और आनंद धोंड के अनुसार मेवाणी और खालिद ने कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण दिया था.
बिक्कड़ और धोंड ने डेक्कन जिमखाना थाने को एक आवेदन दिया और मेवाणी और ख़ालिद के खिलाफ विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता को कथित तौर पर बढ़ावा देने के लिये प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की.
भीमा-कोरेगांव हिंसा को लेकर राज्यसभा दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित
राज्यसभा में बुधवार को विपक्ष के कई सदस्यों ने महाराष्ट्र में जातीय हिंसा का मुद्दा उठाने का प्रयास किया लेकिन सभापति एम. वेंकैया नायडू ने इसकी अनुमति नहीं दी और सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी.
सुबह सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति ने ज़रूरी दस्तावेज़ सदन के पटल पर रखवाए. इसके बाद उन्होंने शून्यकाल शुरू करने की घोषणा करते हुए नेता प्रतिपक्ष ग़ुलाम नबी आज़ाद से अपना मुद्दा उठाने को कहा.
इसी दौरान बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा ने महाराष्ट्र में जातीय हिंसा का मुद्दा उठाने का प्रयास किया और आरोप लगाया कि दलितों के ख़िलाफ़ हिंसा के लिए भाजपा तथा आरएसएस ज़िम्मेदार है. कुछ अन्य सदस्यों ने भी यह मुद्दा उठाने का प्रयास किया और कहा कि उन्होंने इस पर चर्चा के लिए नोटिस दिए हैं.
लेकिन सभापति ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी और कहा कि उनकी बातें कार्यवाही में शामिल नहीं की जाएंगी. इस बीच सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के कई सदस्य अपने स्थानों पर खड़े हो गए.
नायडू ने कहा कि राजनीति करने से कोई लाभ नहीं होगा और वह सबकी बात सुनने को तैयार हैं. इसके बाद अचानक उन्होंने 11 बजकर करीब 10 मिनट पर सदन की बैठक दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी.
एक बार के स्थगन के बाद बैठक जब फिर शुरू हुई तो सदन में वही नजारा देखने को मिला. विपक्ष के कई सदस्य अपने स्थान पर खड़े होकर कुछ कहने का प्रयास कर रहे थे.
सभापति नायडू ने कहा कि उन्हें नेता प्रतिपक्ष ग़ुलाम नबी आज़ाद सहित कई सदस्यों का नोटिस मिला था और उन्होंने नेता प्रतिपक्ष को बोलने की अनुमति भी दी थी. इस बीच, सदन में हंगामा मचता रहा. सभापति ने इसे देखते हुए बैठक को महज़ एक मिनट के भीतर ही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)