घोटाले में अरबपति हीरा कारोबारी नीरव मोदी का नाम सामने आया. 280 करोड़ की धोखाधड़ी के एक अन्य मामले में केस दर्ज कर प्रवर्तन निदेशालय ने शुरू की जांच. आभूषण कंपनियां गीतांजलि, गिन्नी और नक्षत्र जांच के घेरे में.
नई दिल्ली: पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) की मुंबई स्थित एक शाखा में बीते बुधवार को 11,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा के घोटाले का मामला सामने आया है. बैंक ने इस घोटाले की पुष्टि की है.
इस संबंध में बैंक ने अपने 10 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है और 13 फरवरी को मामले की शिकायत केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) से की है.
पंजाब नेशनल बैंक ने बुधवार को खुलासा किया कि उसने 1.77 अरब डॉलर (करीब 11,400 करोड़ रुपये) के घोटाले को पकड़ा है. इस मामले में अरबपति हीरा कारोबारी नीरव मोदी (46) ने कथित रूप से बैंक की मुंबई शाखा से फ़र्ज़ी गारंटी पत्र (एलओयू) हासिल कर अन्य भारतीय ऋणदाताओं से विदेशी ऋण हासिल किया.
पीएनबी ने इस मामले में दस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है. साथ ही मामले को जांच के लिए सीबीआई के पास भेज दिया है.
वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा कि यह एक अकेला मामला है और इससे अन्य बैंकों पर असर नहीं होगा. उन्होंने पीटीआई भाषा से कहा, ‘वित्त मंत्रालय ने तेजी से कदम उठाते हुए बैंक से यह मामला सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भेजने को कहा है.
पीएनबी ने बयान में कहा कि उसकी मुंबई की एक शाखा में कुछ धोखाधड़ी वाले अनाधिकृत लेन-देन का पता चला है. ये लेन-देन कुछ चुनिंदा खाताधारकों को लाभ पहुंचाने वाले हैं और इसमें उनकी भी सांठ-गांठ है. बैंक ने कहा कि इन लेन-देन के आधार पर अन्य बैंकों ने संभवत: कुछ ग्राहकों को विदेशों में ऋण दिया है.
हालांकि, पीएनबी ने इन बैंकों का नाम नहीं लिया. लेकिन समझा जाता है कि यूनियन बैंक आॅफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और एक्सिस बैंक ने पीएनबी के गारंटी पत्रों के आधार पर क़र्ज़ दिया.
एलओयू वह पत्र है जिसके आधार पर एक बैंक द्वारा अन्य बैंकों को एक तरह से गारंटी पत्र उपलब्ध कराया जाता है जिसके आधार पर विदेशी शाखाएं ऋण की पेशकश करती हैं.
विदेशी बैंक शाखाएं भी जांच के घेरे में हैं.
इस घोटाले में कई बड़ी आभूषण कंपनियां मसलन गीतांजलि, गिन्नी और नक्षत्र भी विभिन्न जांच एजेंसियों की जांच के दायरे में आ गई हैं. इन कंपनियों से तत्काल प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है.
पिछले सप्ताह पीएनबी ने सीबीआई के पास एफ़आईआर दर्ज कराई थी. इसमें कहा गया था कि 16 जनवरी को सबसे पहले 280.7 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी वाले गारंटी पत्र जारी किए गए. उस समय बैंक ने कहा था कि वह रिकॉर्डों की जांच कर रहा है जिससे पता चल सके कि घोटाला कितना बड़ा है.
अपनी शिकायत में पीएनबी ने नीरव मोदी की तीन हीरा कंपनियों डायमंड्स आर यूएस, सोलर एक्सपोर्ट्स और स्टेलर डायमंड्स का नाम लिया था.
शिकायत में कहा गया था कि उन्होंने 16 जनवरी को बैंक से विदेशी आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान को ख़रीददार ऋण के लिए संपर्क किया था. बैंक ने एलओयू जारी करने के लिए प्रतिशत का नकद मार्जिन मांगा था जिसका इन कंपनियों ने विरोध करते हुए कहा था कि वे यह सुविधा 2010 से प्राप्त कर रही हैं.
नीरव मोदी, उनकी पत्नी एमी और भाई निशाल और मेहुल चौकसी डायमंड्स आर यूएस, सोलर एक्सपोर्ट्स तथा स्टेलर डायमंड्स में भागीदार हैं. इन कंपनियों की हांगकांग, दुबई और न्यूयॉर्क जैसे विदेशी गंतव्यों में इकाइयां हैं.
जिन बैंक अधिकारियों का नाम इस मामले में आया है उनमें उप प्रबंधक गोकुलनाथ शेट्टी भी शामिल हैं, जो 31 मार्च 2010 से पीएनबी के मुंबई में विदेशी विनिमय विभाग में कार्यरत थे. कथित रूप से शेट्टी ने एक अन्य अधिकारी मनोज खारत के साथ मिलकर ये एलओयू जारी किए.
कुमार ने कहा, ‘यह जांच स्वच्छता अभियान का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत 2015 में संपत्ति गुणवत्ता समीक्षा (एक्यूआर) के साथ हुई थी.’ वित्तीय सेवा सचिव ने कहा कि इस सफाई अभियान के बाद बैंक हमेशा के लिए साफ-सुथरे और स्वस्थ हो जाएंगे.
पीएनबी के अधिकारी ने कहा कि वित्त मंत्रालय से सख़्त निर्देश है कि कोई बड़ी मछली बचने न पाए और ईमानदार करदाता को किसी तरह की परेशानी न हो. अधिकारी ने कहा कि बैंक अब अपनी प्रणाली और प्रक्रियाओं की जांच कर रहे हैं ताकि इस तरह के घोटाले की पुनरावृत्ति न हो.
सभी बैंकों से जल्द से जल्द स्थिति रिपोर्ट देने को कहा गया है. वर्ष 2015 में बैंक ऑफ बड़ौदा में भी दिल्ली के दो कारोबारियों द्वारा 6,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आया था.
पीएनबी ने बयान में कहा कि उसकी मुंबई की एक शाखा में इस तरह के धोखाधड़ी के लेन-देन हुए जिसका फायदा कुछ चुनिंदा खाताधारकों को मिला है. ये लेन-देन नीरव मोदी के भाई निशाल, पत्नी एमी और मेहुल चीनूभाई चौकसी ने किए हैं जिनके आधार पर अन्य बैंकों ने विदेश में ग्राहकों को क़र्ज़ दिया.
पैसा चुकाने के लिए नीरव मोदी ने छह महीने का समय मांगा
नीरव मोदी के शोरूम सिर्फ़ भारत में नहीं बल्कि विदेश में भी हैं. हांगकांग, न्यूयॉर्क, लंदन और मकाऊ में भी शोरूम उनके शोरूम हैं. एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने पीएनबी को पत्र लिखकर छह महीने का वक़्त मांगा है.
नीरव ने बैंक को चिट्टी लिखकर कहा है कि उनकी फायरस्टार डायमंड नाम की एक कंपनी है, जिसकी कीमत 6,435 करोड़ रुपये हैं और वो उस कंपनी के ज़रिये बैंक का पैसा चुका देंगे.
प्रवर्तन निदेशालय ने नीरव के दिल्ली, मुंबई और सूरत के शोरूम मिलाकर कुल 9 जगह पर छापेमारी की है. फिलहाल वे भारत से बाहर हैं.
पीएनबी घोटाले में गीतांजलि, गिन्नी और नक्षत्र जैसी आभूषण कंपनियां जांच के घेरे में
नीरव मोदी के आभूषण दुनिया भर की हस्तियों में काफी लोकप्रिय हैं. उनके ख़िलाफ़ नए सिरे से सीबीआई जांच हो सकती है. जांच एजेंसी उचित कार्रवाई की तैयारी कर रही है.
मोदी के ख़िलाफ़ पहले से ही पीएनबी की एक शाखा में कथित रूप से 280 करोड़ रुपये की जालसाज़ी और धोखाधड़ी के मामले की सीबीआई जांच चल रही है.
रिपोर्ट के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘चार बड़ी आभूषण कंपनियां गीतांजलि, गिन्नी, नक्षत्र और नीरव मोदी जांच के घेरे में हैं. सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय उनकी विभिन्न बैंकों से सांठगांठ और धन के अंतिम इस्तेमाल की जांच कर रहे हैं.’
हालांकि इन कंपनियों से तत्काल प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है. नीरव मोदी वही कारोबारी हैं जिनके ख़िलाफ़ सीबीआई ने बीते दिनों 280 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी के मामले में केस दर्ज किया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा के मुताबिक सीबीआई के अधिकारियों ने बताया था कि नीरव मोदी, उनके भाई, पत्नी और कारोबारी साझेदार ने पंजाब नेशनल बैंक को कथित तौर पर 280 करोड़ रुपये से ज़्यादा की चपत लगाई है.
बैंक का दावा है कि नीरव, उनके भाई निशाल, पत्नी अमी और मेहुल चीनूभाई चोकसी ने बैंक के अधिकारियों के साथ साज़िश रची और उसे नुकसान पहुंचाया. ये सभी डायमंड आर यूएस, सोलर एक्सपोर्ट और स्टेलर डायमंड्स में पार्टनर हैं.
ईडी ने दर्ज किया मनी लॉड्रिंग का मामला
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में हुई 280 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के संबंध में नीरव मोदी एवं अन्य के ख़िलाफ़ मनी लॉड्रिंग का मामला दर्ज किया है. यह मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी के आधार पर दर्ज किया गया है.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस महीने की शुरुआत में दर्ज हुई सीबीआई प्राथमिकी के आधार पर यह मामला मनी लांड्रिंग रोधक कानून (पीएमएलए) के तहत दर्ज हुआ है. ऐसा माना जा रहा है कि ईडी ने नीरव मोदी एवं अन्य के ख़िलाफ़ पीएनबी की शिकायत का भी संज्ञान लिया है.
उन्होंने कहा कि एजेंसी इस बात की जांच करेगी कि क्या बैंक की धोखाधड़ी की गई राशि की हेरा-फेरी की गई थी और अवैध संपत्ति बनाने के लिए आरोपियों ने इस तरीके का बार-बार इस्तेमाल किया था.
सीबीआई ने इस संबंध में नीरव मोदी, उनके भाई, उनकी पत्नी और कारोबारी भागीदार के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है.
इसके अलावा जांच एजेंसी ने मोदी, उनके भाई निशाल, पत्नी एमी और मेहुल चीनूभाई चौकसी के आवास पर छापेमारी भी की है. ये सभी डायमंड्स आर यूएस, सोलर एक्सपोर्ट्स और स्टेलर डायमंड्स में भागीदार हैं. दो बैंक अधिकारियों के आवास पर भी छापेमारी की गई है. नीरव मोदी फोर्ब्स की भारतीय अमीरों की सूची में भी शामिल रहे हैं.
सेबी कर सकता है बैंकों-आभूषण कंपनियों के ख़ुलासे में खामी की जांच
बाज़ार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में हुई 11 हज़ार करोड़ रुपये से ज़्यादा की धोखाधड़ी के मामले में कई आभूषण कंपनियों समेत बैंकों द्वारा खुलासा करने में हुई खामियों की जांच करेगा.
अधिकारियों ने बताया कि सेबी और शेयर बाज़ार इन कंपनियों और उनके शीर्ष अधिकारियों के कारोबारी आंकड़े का विश्लेषण करेंगे. इनमें से कुछ भेदिया कारोबार एवं अन्य उल्लंघन को लेकर पहले ही जांच के घेरे में हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि इस घटना के बाद नियामक ऋण के डिफॉल्ट होने की स्थिति में इसकी जानकारी एक दिन के भीतर देना अनिवार्य बनाने पर मजबूर हो सकता है.
अधिकारियों ने कहा कि सेबी विभिन्न सूचीबद्ध कंपनियों और बैंकों द्वारा खुलासे में की गई गड़बड़ियों की पड़ताल कर सकता है.
पीएनबी ने फर्जीवाड़ा के तौर-तरीके को लेकर दूसरे बैंकों को आगाह किया
पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने 11 हज़ार करोड़ रुपये की फ़र्ज़ीवाड़ा की चपेट में आने के बाद दूसरे बैंकों को इस तौर-तरीके को लेकर सावधान किया है.
पीएनबी ने विभिन्न बैंकों को भेजे पत्र में कहा, ‘शुरुआती जांच से यह पता चला है कि मुंबई में हमारी शाखाओं के कर्मचारियों के साथ सांठगांठ करके साज़िशकर्ताओं ने संदिग्ध फ़र्ज़ीवाड़े को अंजाम दिया.’
पत्र के मुताबिक यह पाया गया कि संबंधित कंपनियां शाखा में सिर्फ़ चालू खाता चला रही थीं और किसी भी लेनदेन को केंद्रीयकृत बैंकिंग व्यवस्था के ज़रिये नहीं किया गया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)