सीबीआई जांच में पता चला है कि नीरव की टीम के पास बैंक के स्विफ्ट सिस्टम का पासवर्ड था, जो लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) के लिए जरूरी है. नीरव के लाेग पीएनबी अधिकारी के तौर पर अवैध तरीके से स्विफ्ट सिस्टम में लॉग इन करते थे.
नई दिल्ली: पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में हुए 11,000 करोड़ से ज्यादा के देश के सबसे बड़े बैंक घोटाले की शुरुआती जांच में पता चला है कि नीरव मोदी की टीम बिना किसी रुकावट के बैंक के कंप्यूटर सिस्टम का इस्तेमाल करती थी और खुद ही एलओयू जारी कर देती थी.
पंजाब नेशनल बैंक ने पिछले बुधवार को खुलासा किया कि उसने 1.77 अरब डॉलर (करीब 11,400 करोड़ रुपये) के घोटाले को पकड़ा है. इस मामले में अरबपति हीरा कारोबारी नीरव मोदी (46) ने कथित रूप से बैंक की मुंबई शाखा से फ़र्ज़ी गारंटी पत्र (एलओयू) हासिल कर अन्य भारतीय बैंकों से विदेशी ऋण हासिल किया.
दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार, पीएनबी के पूर्व डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी, सीडब्ल्यूओ मनोज खरात और नीरव के अॉथराइज्ड सिग्नेटरी हेमंत भट्ट ने पूछताछ में सीबीआई को बताया है कि लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) के लिए जरूरी सभी लॉग इन-पासवर्ड नीरव की टीम के पास थे.
सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, आरोपियों ने बताया कि स्विफ्ट सिस्टम में लॉग इन के लिए अकाउंट डिटेल और पासवर्ड नीरव की टीम के पास थे. उनके पास स्विफ्ट सिस्टम का पासवर्ड था, जो लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) के लिए जरूरी है. नीरव के लाेग पीएनबी अधिकारी के तौर पर अवैध तरीके से स्विफ्ट सिस्टम में लॉग इन करते थे.
सूत्रों के अनुसार इस काम के लिए बैंक कर्मचारी और अधिकारियों को हर एलओयू पर कमीशन मिलता था. हर एलओयू और स्विफ्ट सिस्टम के अवैध एक्सेस पर प्रतिशत तय था. यह रकम घोटाले में शामिल कर्मचारियों के बीच बंटती थी. पूछताछ में करीब आधा दर्जन बैंक कर्मचारियों और अन्य बाहरी लोगों का हाथ भी घोटाले में सामने आया है.
गौरतलब है कि नीरव और मेहुल से जुड़ी 200 से ज्यादा फर्जी कंपनियां जांच के दायरे में हैं.
पीएनबी बैंक के अलावा स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, यूनियन बैंक, यूको और एक्सिस बैंक की हांगकांग ब्रांच के अफ़सर भी जांच के घेरे में हैं. इन्हीं बैंकों ने पीएनबी के फर्जी एलओयू के आधार पर नीरव और मेहुल की कंपनी को कर्ज दिया था.
जेम्स (हीरा) सेक्टर में एलओयू की समयसीमा 90 दिन है, लेकिन पीएनबी से ये 365 दिन के लिए जारी हुए थे.
हांगकांग में 11 भारतीय बैंकों की ब्रांच हैं. अभी तक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 1,357 करोड़, यूनियन बैंक ने 1,920, यूको बैंक ने 2,635 और इलाहाबाद बैंक ने 2,000 करोड़ रुपए फंसे होने की जानकारी दी है.
जांच एजेंसी ने रविवार को सभी बैंकों से उनके यहां एलओयू में हुई गड़बड़ियों की रिपोर्ट मांगी है. सूत्रों के अनुसार बहुत सारी एलओयू की समयसीमा मई 2018 तक है और इस स्थिति में घोटाले की रकम बढ़ने की भी आशंका है.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की खबर के अनुसार एक अधिकारी ने बताया कि सीबीआई नीरव मोदी की कंपनी ‘फाइव स्टार डायमंड’ के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) विपुल अंबानी से भी पूछताछ कर रही है. विपुल मुकेश अंबानी के चचेरे भाई हैं.
सीबीआई पीएनबी के दो कर्मचारियों के अलावा पांच और भी बैंक अधिकारियों से पूछताछ कर रही है, जिसमें जनरल मैनेजर स्तर के अधिकरी भी शामिल हैं. जांच के दायरे में आने वाले अब कुल 11 बैंक अधिकारी हो गए हैं.
इस घोटाले के चलते सिर्फ बैंकिंग सेक्टर ही नहीं, बल्कि 24 कंपनी और 18 व्यापारी भी मुश्किल में पड़ गए हैं. इन व्यापारियों ने 2013 से 2017 के बीच मेहुल और नीरव की आभूषण कंपनी की शाखाएं खोली थीं. अब वे आर्थिक दिवालिएपन का शिकार हो गए हैं जिसके चलते नीरव और मेहुल की धोखेबाजी के खिलाफ उन्होंने आपराधिक मामले भी दर्ज कराए हैं.