उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सरथ चंद ने समिति से कहा कि 2018-19 के बजट ने हमारी उम्मीदों को धराशायी कर दिया है. 21,338 करोड़ रुपये का आवंटन सेना के आधुनिकीकरण के लिए अपर्याप्त है.
नई दिल्ली: भारतीय सेना ने कहा है कि वह गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रही है और दो मोर्चों पर युद्ध की स्थिति वाली आशंका के मद्देनजर हथियारों की आपात खरीद करने के लिए भी संघर्ष कर रही है. साथ ही कहा कि चीन और यहां तक कि पाकिस्तान भी अपने सुरक्षा बलों का अधुनिकीकरण तेजी से कर रहे हैं.
सेना ने एक संसदीय समिति को बताया कि अगले वित्त वर्ष (2018-2019) के लिए रक्षा बजट में उसे आवंटित किया गया फंड विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों जैसे- उत्तरी सीमा पर चीन का आक्रामक रुख और पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान की लगातार हमलावर नीति से निपटने के लिए अपर्याप्त है.
रक्षा बजट में अपर्याप्त फंड के आवंटन को लेकर सेना की यह हताशा लोकसभा में मंगलवार को संसद की एक स्थायी समिति द्वारा सुरक्षा के मुद्दे पर पेश की गई एक रिपोर्ट में सामने आई है.
रिपोर्ट के अनुसार, उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सरथ चंद ने समिति से कहा कि धन के अपर्याप्त आवंटन से सेना की आधुनिकीकरण की योजना प्रभावित होगी जबकि दूसरी ओर चीनी सेना अमेरिकी सेना के स्तर तक पहुंचने का प्रयास कर रही है.
उन्होंने सेना के सामने मौजूद चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा, ‘खतरे की आशंका पहले की अपेक्षा कई गुना बढ़ गई है. पिछले एक साल में बाहरी संघर्ष और आंतरिक असंतोष की विभिन्न घटनाएं देखी गई हैं. कुछ उदाहरण की बात करें तो डोकलाम विवाद अब तक जारी है और चीन की आक्रमकता में भी तेजी दिखी है. इस दौरान सेना की पेट्रोलिंग में भी बढ़ोतरी हुई और सीमा पर पड़ोसी मुल्क की गतिविधियां भी बढ़ी हैं. बीते कुछ सालों में तिब्बत में भी चीन की गतिविधियों में वृद्धि हुई है.’
देश की पश्चिमी सीमा की बात करते हुए उप सेना प्रमुख ने कहा कि आतंकियों को सहायता पहुंचाने के लिए पाकिस्तान की तरफ से लगातार सीमा पर गोलीबारी में बढ़ोतरी हो रही है.
उन्होंने आगे बताया कि सेना के 68 प्रतिशत हथियार ‘विंटेज श्रेणी’ यानी संग्रहालय में रखने लायक हैं और फंड का अभाव मौजूदा साजो-सामान के रखरखाव और कार्यशीलता पर तो प्रभाव डालेगा ही, साथ ही पुरानी खरीदों की किश्तों के भुगतान को भी प्रभावित कर सकता है.
नई खरीद नीति पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि 2018-19 के बजट ने हमारी उम्मीदों को धराशायी कर दिया है और जो कुछ भी अब तक हमारे द्वारा हासिल किया गया है, यह उसके लिए झटका है.
उन्होंने आगे कहा कि 21,338 करोड़ रुपये का आवंटन सेना के आधुनिकीकरण के लिए अपर्याप्त है. 125 चालू योजनाओं के लिए ही 29,000 करोड़ रुपये की जरूरत है और नई योजनाओं के लिए धनराशि नहीं है. 2017 की देनदारियां भी 2018 में चुकाई जाएंगी, जिससे स्थिति और भी बिगड़ेगी.
क्षेत्रीय सुरक्षा पर बात करते हुए उप सेना प्रमुख ने कहा कि दो मोर्चों पर युद्ध की संभावना एक सच्चाई है और देश को सेना के आधुनिकीकरण पर ध्यान देने की जरूरत है.
सेना ने समिति को यह भी सूचना दी कि उसके पास चीन-भारत सीमा के पास सामरिक सड़कों के निर्माण के लिए भी पर्याप्त संसाधन नहीं हैं. उप सेना प्रमुख ने जम्मू में उरी, पठानकोट, नागरोटा और सुजवां कैंट में सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमलों का उल्लेख करते हुए कहा कि सुरक्षा बलों को उनका बकाया मिलना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘मालदीव में हाल की घटनाओं से पड़ोस में शांति थोड़ी प्रभावित हुई है. संपूर्ण तौर पर देखें तो हमारे लिए हालात परेशान करने वाले हैं और महत्वपूर्ण यह है कि सुरक्षा बलों को अपना बकाया मिलना चाहिए.’
सेना ने समिति को बताया कि उसके पास मेक इन इंडिया इनिशिएटिव के तहत 25 परियोजनाएं हैं लेकिन उन पर काम करने के लिए पर्याप्त बजट नहीं है. जिसके परिणास्वरूप, इनमें से कई अधूरी छोड़कर खत्म की जा सकती हैं.
इस पर भाजपा सांसद बीसी खंडूरी की अध्यक्षता वाली संसद की स्थायी समिति ने भी सरकार को सुरक्षा बलों को आर्थिक संसाधनों के अपर्याप्त आवंटन पर कड़ी फटकार लगाई.
समिति ने कहा, ‘बाहरी संघर्ष और आंतरिक असंतोष की विभिन्न घटनाओं को देखते हुए बढ़ते खतरे को ध्यान में रखकर वर्तमान बजट सेना की अपरिहार्य आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायक नहीं है.’
समिति ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सेना का 68 फीसदी साजो-समान विंटेज श्रेणी या संग्रहालय में विरासत के रूप में रखने लायक हो गया है. वहीं, मौजूदा समय में केवल 24 फीसदी साजो-समान इस्तेमाल करने लायक है, जबकि सेना के पास केवल 8 फीसदी साजो-समान ऐसा है जो पूरी तरह ‘स्टेट आफ द आर्ट’ यानी आधुनिक है.
संसदीय समिति ने भारतीय वायु सेना और नौसेना को आधुनिक बनाने में की जा रही देरी पर भी सरकार के प्रति रोष जताया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)