सात राज्यों की कुल 25 राज्यसभा सीटों पर मतदान हुआ था जिनमें भाजपा ने 12, कांग्रेस ने चार, तृणमूल कांग्रेस और टीआरएस ने क्रमश: 4 और 3 और शरद यादव गुट वाले जद (यू) और सपा ने एक-एक सीट पर जीत दर्ज की.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में दिलचस्प राजनीतिक घटनाक्रम के बीच भाजपा ने सात राज्यों में राज्यसभा की बची हुई 25 सीटों में से 12 सीटें जीत लीं. उत्तर प्रदेश में किसी समय धुर विरोधी रहे समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की नई-नई दोस्ती भी यहां बसपा उम्मीदवार को जिताने के काम नहीं आई और राज्य की दस राज्यसभा सीटों में से नौ भाजपा की झोली में चली गईं.
कुल मिलाकर राज्यसभा की 59 सीट रिक्त हुई थीं. इनके लिए 10 राज्यों के 33 उम्मीदवारों को 15 मार्च को निर्विरोध विजेता घोषित किया गया. इनमें से 16 उम्मीदवार भाजपा के थे.
जीतने वाले प्रमुख नामों में वित्त मंत्री अरुण जेटली और भाजपा नेता जीवीएल नरसिम्हा राव, सपा की जया बच्चन (सभी उत्तर प्रदेश से), कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी और भाजपा के राजीव चंद्रशेखर प्रमुख हैं.
शरद यादव के धड़े वाले जनता दल (यू) की राज्य इकाई के अध्यक्ष एमपी वीरेंद्र कुमार शुक्रवार को केरल से राज्यसभा के लिए चुने गए. कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू नेता नीतीश कुमार के भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से हाथ मिलाने के विरोध में संसद के उच्च सदन से इस्तीफा दे दिया था. जिसके चलते एक सीट रिक्त हुई थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा चुनाव में विजेताओं को बधाई दी. उन्होंने ट्वीट किया, ‘विभिन्न राज्यों से चुनकर राज्य सभा में आए सभी लोगों को बधाई और फलदायी संसदीय जीवन के लिये शुभकामना. मैं उम्मीद करता हूं कि ये सांसद जिस राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं उसकी अकांक्षाओं को प्रभावी तरीके से आवाज देंगे.’
उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा द्वारा निर्वाचन आयोग से दो मत निरस्त करने की मांग को लेकर शिकायत किए जाने के कारण करीब दो घंटे देर से शुरू हुई मतगणना के नतीजों ने विपक्ष को निराश कर दिया. सत्तारूढ़ भाजपा ने विपक्ष के तमाम दावों और मंसूबों को दस में से नौ सीट जीतकर नाकाम कर दिया.
मतगणना के देर रात तक घोषित नतीजों में भाजपा उम्मीदवार अरूण जेटली, डॉक्टर अशोक बाजपेयी, विजयपाल सिंह तोमर, सकलदीप राजभर, कांता कर्दम, डॉक्टर अनिल जैन, जीवीएल नरसिम्हा राव, हरनाथ सिंह यादव तथा अनिल कुमार अग्रवाल विजयी करार दिए गए. अग्रवाल ने द्वितीय वरीयता वाले मतों के आधार पर बाजी मार ली. सपा की जया बच्चन चुनाव जीत गई जबकि बसपा के भीमराव आंबेडकर को निराशा हाथ लगी.
कुछ दिन पहले सपा और बसपा की संयुक्त ताकत के आगे भाजपा गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव हार गई थी. यह चुनाव आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सूबे की दो बड़ी सियासी ताकतों सपा और बसपा के गठबंधन की सम्भावनाओं के लिहाज से निर्णायक माना जा रहा था. हालांकि बसपा के विधायक अनिल सिंह ने ही भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की. कांग्रेस विधायक नरेश सैनी के भी भाजपा को वोट देने की खबर आई थी लेकिन उन्होंने मीडिया के सामने आकर इसका खण्डन किया.
इसके पूर्व, बसपा और सपा की शिकायत पर निर्वाचन आयोग ने भाजपा और बसपा के एक-एक वोट को निरस्त कर दिया. बसपा विधायक उमाशंकर सिंह ने बताया कि उन्होंने निर्वाचन आयोग से शिकायत की है कि बसपा के विधायक अनिल सिंह ने अपना वोट देने से पहले पार्टी के एजेंट को नहीं दिखाया, लिहाजा उनका वोट निरस्त किया जाए.
सपा ने भी अपने विधायक नितिन अग्रवाल के संबंध में ऐसी ही शिकायत की जिनके पिता नरेश अग्रवाल हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं. सपा के विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह साजन ने बताया कि नितिन अग्रवाल ने सपा के एजेंट को दिखाए बगैर मतदान किया है लिहाजा उनका वोट निरस्त किया जाए.
जेल में बंद बाहुबली बसपा विधायक मुख्तार अंसारी के वोट देने पर गुरूवार लगी उच्च न्यायालय की रोक और कारागार में बंद सपा विधायक हरिओम यादव की राज्यसभा चुनाव में वोट डालने की अनुमति सम्बन्धी याचिका को अपर सत्र न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने से ही विपक्ष को करारा झटका लगा था.
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा में एक उम्मीदवार को जिताने के लिए 37 प्रथम वरीयता के वोट मिलना जरूरी था. प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में 324 विधायकों के संख्याबल के आधार पर आठ सीटें आराम से जीत सकने वाली भाजपा ने 10 सीटों के लिए नौ प्रत्याशी उतारे थे.
सपा के पास विधानसभा में 47 सदस्य हैं. उसके पास अपनी उम्मीदवार जया बच्चन को चुनाव जिताने के बाद तकनीकी रूप से 10 वोट बचते. मगर नितिन अग्रवाल के भाजपा को वोट देने और जेल में बंद विधायक हरिओम के वोट ना दे पाने के बाद उसके पास आठ वोट ही बचे थे. अनिल सिंह के भाजपा को वोट देने के बाद बसपा के पास 17 वोट बचे थे जबकि कांग्रेस के पास सात और राष्ट्रीय लोकदल के पास एक वोट था. इस तरह यह आंकड़ा 33 का बैठता था. बसपा प्रत्याशी को जिताने के लिये चार और मतों की जरूरत थी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संवाददाताओं से कहा कि भाजपा की सभी नौ सीटों पर विजय से सपा का अवसरवादी चेहरा सामने आ गया है. उन्होंने कहा कि सपा का अवसरवादी चरित्र कुछ नया नहीं है और राज्य की जनता पहले से ही इसे देखती आ रही है.
झारखंड में राज्यसभा की दो सीटों के लिए चुनाव हुआ जिसमें से एक सीट भाजपा के समीर उरांव को और दूसरी सीट कांग्रेस के धीरज साहू को मिली. यहां भाजपा के दूसरे उम्मीदवार प्रदीप सोंथालिया को हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस उम्मीदवार को दूसरे विपक्षी दलों का भी समर्थन हासिल था.
निर्वाचन पदाधिकारी विनय कुमार के अनुसार, 80 सदस्यीय विधानसभा में सौ फीसदी मतदान हुआ. इनमें से दो मतों को विभिन्न कारणों से अवैध घोषित कर दिया गया. इसके बाद वैध 78 मतों में से उरांव को 26.01 मत मिले और साहू को 26 मत मिले. उन्होंने बताया कि भाजपा के दूसरे उम्मीदवार प्रदीप सोंथालिया को 25.99 मत मिले.
पश्चिम बंगाल में कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी और तृणमूल कांग्रेस के चार उम्मीदवारों ने राज्यसभा चुनाव जीता. राज्यसभा चुनाव जीतने वाले तृणमूल कांग्रेस के चार उम्मीदवार नदीमुल हक, सुभाशीष चक्रवर्ती, अबीर बिश्वास और शांतनु सेन हैं.
राज्यसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस का समर्थन सिंघवी को था जिन्होंने पांचवें उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था. कांग्रेस के पास यहां अपने उम्मीदवार को जितवाने के लिए विधानसभा में पर्याप्त संख्याबल नहीं था.
पीठासीन अधिकारी जयंता कोले ने बताया कि नदीमुल हक को 52 मत मिले, सुभाशीष चक्रवर्ती को 54, अबीर विश्वास को 52 और शांतनु सेन को 51 मत मिले.
कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस के तीनों उम्मीदवारों ने राज्यसभा चुनाव में जीत हासिल की जबकि विपक्षी भाजपा के खाते में एक सीट गई. वहीं, जनता दल (सेक्यूलर) ने चुनावी कदाचार और निर्वाचन अधिकारी पर कांग्रेस से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए चुनाव का बीच में ही बहिष्कार कर दिया.
विधानसभा में अपनी मजबूत स्थिति के साथ कांग्रेस को दो सीटें जीतने का पूरा यकीन था और उसने तीसरी सीट पर निशाना साध रखा था. उसने तीसरी सीट जेडीएस के बागी विधायकों एवं निर्दलीय विधायकों की मदद से जीत ली.
विधानसभा में जेडीएस के विधायकों की संख्या 37 है और उसके सात विधायकों के पाला बदलकर कांग्रेस की ओर चले जाने से जीत के लिए जरूरी 44 मतों से उसके पास 14 वोट कम हो गए.
उद्योगपति राजीव चंद्रशेखर ने 50 वोट हासिल किए जो जरूरी मतों से छह ज्यादा थे. उन्हें छोटे दलों एवं निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिला. कांग्रेस के चंद्रशेखर को 46, हनुमनथैया को 44 और हुसैन को 42 वोट मिले. दो वोट अवैध घोषित कर दिए गए जबकि दो खारिज कर दिए गए.
निर्वाचन अधिकारी ने कांग्रेस के डॉ. एल हनुमनथैया, डॉ सैयद नासिर हुसैन एवं जीसी चंद्रशेखर और भाजपा के राजीव चंद्रशेखर को निर्वाचित घोषित किया. जेडीएस के चुनाव आयोग से शिकायत करने से मतगणना शुरू करने में देरी हुई.
तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के उम्मीदवार बी प्रकाश, बी लिंगैया यादव और जे संतोष कुमार तेलंगाना से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए. मुख्य विरोधी दल कांग्रेस के उम्मीदवार पी बलराम को यहां हार का सामना करना पड़ा. राज्य में राज्यसभा की तीन सीटें खाली हो रही थीं.
प्रकाश, यादव और संतोष कुमार को क्रमश: 33, 32 और 32 मत मिले. आधिकारिक सूत्रों ने आज कहा कि बलराम को महज 10 वोट मिले थे.
119 सदस्यों वाली तेलंगाना विधानसभा में 117 वैध मतदाता थे. हाल ही में कांग्रेस के दो विधायकों को सदन से निष्कासित कर दिया गया था. सदन में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 17 थी और उसने आरोप लगाया कि उसके सात विधायकों ने टीआरएस के लिए मतदान किया.
वहीं, भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव सरोज पांडे ने छत्तीसगढ़ में राज्यसभा की एकमात्र सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी लेखराम साहू को हरा दिया. राज्य विधानसभा सचिव चंद्र शेखर गंगराडे ने बताया कि राज्य विधानसभा परिसर में हुए चुनाव में पांडे को 51 मत मिले जबकि साहू को 36 मत मिले. गंगराडे निर्वाचन अधिकारी भी हैं.
सदन में भाजपा के 49, कांग्रेस के 39, बसपा का एक विधायक तथा एक निर्दलीय विधायक हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)