वजुभाई वाला: जनसंघ के जुझारू सिपाही से लेकर कर्नाटक के राज्यपाल का सफ़र

गुजरात में जनसंघ की नींव रखने वालों में से एक वजुभाई ने साल 2002 में नरेंद्र मोदी के लिए अपनी परंपरागत विधानसभा सीट छोड़ दी थी.

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The Governor of Karnataka, Shri Vajubhai Vala calls on the Prime Minister, Shri Narendra Modi, in New Delhi on September 04, 2014.

गुजरात में जनसंघ की नींव रखने वालों में से एक वजुभाई ने साल 2002 में नरेंद्र मोदी के लिए अपनी परंपरागत विधानसभा सीट छोड़ दी थी.

कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला (फोटो: यूट्यूब)
कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला (फोटो: यूट्यूब)

नई दिल्ली: कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला गुजरात में भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक रहे हैं. गुजरात में एक लंबे समय तक वित्त मंत्रालय के साथ अन्य महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल चुके 79 वर्षीय वजुभाई  गुजरात विधानसभा के सभापति (स्पीकर) भी रह चुके हैं.

राजनीति में छह दशक का समय गुज़ारने वाले वजुभाई गुजरात राज्य में भाजपा के दो बार प्रदेश अध्यक्ष (1996-98 और 2005-06) भी रहे हैं. वे गुजरात के सबसे लंबे समय तक रहने वाले वित्त मंत्री थे और अपने कार्यकाल में 18 बजट पेश कर चुके हैं, जो कि एक रिकॉर्ड है.

कर्नाटक का राज्यपाल बनने से पहले वर्ष 2012 में वे गुजरात विधानसभा के सभापति थे. इससे पहले उनके पास वित्त मंत्रालय के अलावा राजस्व और शहरी विकास जैसे बड़े मंत्रालय थे. 2014 में उन्हें कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त किया गया.

गुजरात के प्रभावशाली नेता रहे वजुभाई वाला को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क़रीबी माना जाता है. साल 2002 में जब नरेंद्र मोदी अपना पहला चुनाव लड़ने वाले थे, तब वजुभाई ने राजकोट की अपनी परंपरागत सीट मोदी को दे दी थी. उसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में मोदी मणिनगर से लड़ने चले गए और वजुभाई को वापस राजकोट सीट मिल गई.

यह भी कहा जाता है कि नरेंद्र मोदी जब प्रधानमंत्री पद लिए गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे रहे थे तो आनंदीबेन पटेल से पहले वजुभाई मुख्यमंत्री बनने वाले थे, लेकिन बाद में आनंदीबेन पटेल को मुख्यमंत्री बना दिया गया.

(फोटो: NarendraModi.in)
साल 2012 में गुजरात विधानसभा का सभापति बनने के बाद विधायकों का अभिवादन करते वजुभाई वाला. (फाइल फोटो: NarendraModi.in)

वजुभाई ने अपनी राजनीतिक करिअर की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से की थी और 1971 में गुजरात में जनसंघ पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे. वे संघ से 57 साल तक जुड़े रहे हैं और आपातकाल के दौरान 11 महीने जेल में भी रहे हैं.

विधायक और मंत्री बनने से पहले वजुभाई ने अपनी राजनीतिक पारी राजकोट के मेयर के रूप में शुरू हुई थी. वे राजकोट से भाजपा के पहले मेयर थे. इतना ही नहीं सौराष्ट्र में भाजपा को मज़बूत करने में उनकी और पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल की अहम भूमिका थी. सौराष्ट्र 1980 तक कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता था.

वजुभाई के मेयर बनने से पहले राजकोट में पानी की बहुत समस्या थी. उन्हें यहां पानी की समस्या दूर करने के लिए भी जाना जाता है. उन्होंने ट्रेन से राजकोट में पानी लाने का काम शुरू किया था. उस दौरान उन्हें पानीवाले मेयर के नाम से भी जाना जाता था.

मेयर के बाद 1985 में वह पहली बार राजकोट पश्चिम सीट से गुजरात विधानसभा में बतौर विधायक चुनकर पहुंचे और 1990 में भाजपा और जनता दल की सरकार में पहली बार मंत्री बने.

1996 से 1998 दो साल छोड़ दिया जाए तो वजुभाई 1990 से लेकर 2012 तक मंत्री रहे हैं. दो साल वह मंत्री इस वजह से नहीं थे क्योंकि उस समय शंकरसिंह वाघेला ने भाजपा से बगावत कर कांग्रेस के साथ सरकार बना ली थी. 2012 के बाद उन्हें गुजरात विधानसभा का सभापति बना दिया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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