एयर इंडिया में विनिवेश की समयसीमा ख़त्म, किसी ने बोली नहीं लगाई

2017 तक एयर इंडिया पर कुल 48,000 करोड़ रुपये का क़र्ज़ का बोझ था. एयर इंडिया की कर्मचारी यूनियनों ने एयरलाइन के रणनीतिक विनिवेश के लिए कोई बोली नहीं मिलने को अपनी जीत बताया है.

(फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

2017 तक एयर इंडिया पर कुल 48,000 करोड़ रुपये का क़र्ज़ का बोझ था. एयर इंडिया की कर्मचारी यूनियनों ने एयरलाइन के रणनीतिक विनिवेश के लिए कोई बोली नहीं मिलने को अपनी जीत बताया है.

(फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)
(फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

नई दिल्ली: सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र की एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश के लिए कोई बोली नहीं मिली है. नागर विमानन मंत्रालय ने ट्वीट कर यह जानकारी दी.

एयर इंडिया की रणनीतिक हिस्सेदारी बिक्री में इच्छुक पार्टियों की ओर से रुचि ज़ाहिर करने की बीते 31 मई को अंतिम तारीख़ थी.

नागर विमानन मंत्रालय की ओर से कहा है कि विनिवेश के लिए शुरुआती बोलियां नहीं मिलने के बाद अब हिस्सेदारी बिक्री की रणनीति पर नए सिरे से विचार किया जा सकता है.

मंत्रालय ने कहा, ‘लेनदेन सलाहकार ने सूचित किया है कि एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश के लिए निकाले गए रुचि पत्र (एक्सप्रेशन आॅफ इंटरेस्ट- ईओआई) के लिए कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.’

बयान में कहा गया है कि इस पर आगे की कार्रवाई उचित तरीके से तय की जाएगी.

सरकार ने राष्ट्रीय विमानन कंपनी में 76 प्रतिशत इक्विटी शेयर पूंजी की बिक्री का प्रस्ताव किया है. आरंभिक सूचना ज्ञापन के अनुसार इसके अलावा एयर इंडिया के प्रबंधन का नियंत्रण भी निजी कंपनी को दिया जाएगा.

इस सौदे के तहत एयर इंडिया के अलावा उसकी कम लागत वाली इकाई एयर इंडिया एक्सप्रेस और एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड की भी बिक्री की जाएगी. एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज एयर इंडिया और सिंगापुर की एसएटीएस लिमिटेड का संयुक्त उद्यम है.

इससे पहले इसी महीने सरकार ने ईओआई जमा करने की तारीख़ को बढ़ाकर 31 मई किया था. पहले यह समयसीमा 14 मई थी. पात्र बोलीदाताओं को 15 जून तक सूचित किया जाना था.

सरकार एयरलाइन में 24 प्रतिशत हिस्सेदारी अपने पास रखेगी. 28 मार्च को जारी ज्ञापन के अनुसार बोली जीतने वाली कंपनी को कम से कम तीन साल तक एयरलाइन में अपने निवेश को कायम रखना होगा. मार्च, 2017 के अंत तक एयरलाइन पर कुल 48,000 करोड़ रुपये का क़र्ज़ का बोझ था.

एयर इंडिया विनिवेश रणनीति पर नए सिरे से विचार कर सकती है सरकार: नागर विमानन मंत्रालय

नागर विमानन मंत्रालय ने बीते गुरुवार को कहा कि उसे एयर इंडिया की हिस्सेदारी बिक्री प्रक्रिया में बेहतर भागीदारी की उम्मीद थी. मंत्रालय ने संकेत दिया है कि विनिवेश के लिए शुरुआती बोलियां नहीं मिलने के बाद अब हिस्सेदारी बिक्री की रणनीति पर नए सिरे से विचार किया जा सकता है.

वहीं मुंबई से मिली ख़बरों के अनुसार, एयर इंडिया की कर्मचारी यूनियनों ने एयरलाइन के रणनीतिक विनिवेश के लिए कोई बोली नहीं मिलने को अपनी जीत बताया है.

एयर इंडिया यूनियनों के संयुक्त मंच ने बयान में कहा, ‘एयर इंडिया के लिए कोई बोली नहीं मिली. यह एयरलाइन को बचाने के संयुक्त मंच के प्रयासों की जीत है.’

नागर विमानन सचिव आरएन चौबे ने कहा, ‘हम आगे बेहतर भागीदारी की उम्मीद कर रहे हैं.’

चौबे ने कहा कि वित्त मंत्री की अगुवाई वाली वैकल्पिक व्यवस्था के तहत एयर इंडिया के विनिवेश के लिए भविष्य की कार्रवाई तय की जाएगी. हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सरकार नहीं चाहेगी कि एयरलाइन की बाज़ार हिस्सेदारी कम हो.

रुचि पत्र देने की समयसीमा समाप्त होने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में चौबे ने संकेत दिया कि विनिवेश की रणनीति पर नए सिरे से विचार किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि ताजा घटनाक्रमों से एयरलाइन को परिचालन में किसी तरह की दिक्कतें नहीं आएं.

मुंबई से मिली ख़बरों के अनुसार, सेंटर फॉर एशिया पैसिफिक एविएशन (कापा) ने सरकार से क़र्ज़ के बोझ से दबी एयर इंडिया का व्यापक पुनर्गठन करने को कहा है.

सिडनी के शोध संस्थान कापा ने कहा कि इस विफलता के बाद विनिवेश की योजना को छोड़ना उचित नहीं होगा. कापा ने सलाह दी कि अब सरकार को एयर इंडिया के निजीकरण के नियमों को सरल करना चाहिए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)