देशवासियों की प्यास बुझाने का चैलेंज कौन लेगा प्रधानमंत्री जी?

नीति आयोग की ताज़ा रपट तक में कहा गया है कि आधे से ज़्यादा देशवासी या तो प्यासे हैं या दूषित पानी पीने को अभिशप्त. गांवों में यह समस्या इस अर्थ में और विकट है कि वहां 84 प्रतिशत ग्रामीण इसकी ज़द में हैं.

//
New Delhi: **COMBO** A combo picture of the still images taken from a video shows Prime Minister Narendra Modi doing yoga exercises. The world is set to observe the 4th International Day of Yoga on June 21, 2018. (Twitter/@narendramodi via PTI Photo) (PTI6_13_2018_000054B)
New Delhi: **COMBO** A combo picture of the still images taken from a video shows Prime Minister Narendra Modi doing yoga exercises. The world is set to observe the 4th International Day of Yoga on June 21, 2018. (Twitter/@narendramodi via PTI Photo) (PTI6_13_2018_000054B)

नीति आयोग की ताज़ा रपट तक में कहा गया है कि आधे से ज़्यादा देशवासी या तो प्यासे हैं या दूषित पानी पीने को अभिशप्त. गांवों में यह समस्या इस अर्थ में और विकट है कि वहां 84 प्रतिशत ग्रामीण इसकी ज़द में हैं.

New Delhi: **COMBO** A combo picture of the still images taken from a video shows Prime Minister Narendra Modi doing yoga exercises. The world is set to observe the 4th International Day of Yoga on June 21, 2018. (Twitter/@narendramodi via PTI Photo) (PTI6_13_2018_000054B)
योग का अभ्यास करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फोटो: पीटीआई)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी योग को कितना महत्व देते हैं, आज की तारीख में यह एक खुला हुआ तथ्य है. वे जब से सत्ता में आये हैं, हर साल इक्कीस जून को विश्व योग दिवस पर चुने हुए प्रतिभागियों और भारी सरकारी तामझाम के साथ सार्वजनिक रूप से योग करते हैं और उन्हें अतिशय ‘प्यार’ करने वाले टीवी चैनल उसका लाइव प्रसारण कर घर-घर पहुंचा देते हैं.

इधर इस सिलसिले में नई बात यह हुई है कि अब वे सुयोग-कुयोग देखे बिना भी योग करने लगे हैं. यह एक ऐसी अति है, जिसे करते देखकर उन्हें याद दिलाने की जरूरत महसूस होने लगी है-अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप!

अभी पिछले दिनों जिस रोज उन्होंने राजधानी दिल्ली की आॅड इवेन जैसे अनेक कर्मकांड़ों के बावजूद नए सिरे से दमघोंटू हो चली हवा के बीच अपने आवास के सुसज्जित बगीचे में पंचतत्वों की अवधारणा पर बने ट्रैक पर योग का वीडियो जारी किया, किसी आम कहे जाने वाले इंसान ने अपने ही जैसे दूसरे शख्स से पूछा कि रोम जल रहा था तो नीरो बांसुरी क्यों बजा रहा था?

उसे जवाब मिला-इसलिए कि न वह नरेंद्र मोदी के वक्त में हुआ, न ही कभी उनसे मिला. वरना बांसुरी क्यों बजाता, योग न करता!

पूछने वाले ने इसका बुरा मानने का अभिनय किया तो दूसरे ने कहा-तुम्हीं बताओ, किसी देश की राजधानी में जनता के लिए अपने वातावरण की जहरीली हवा में सांस लेना दूभर हो रहा हो और उसका प्रधानमंत्री इस स्थिति पर चिंतित होने के बजाय एक क्रिकेटर का फिटनेस चैलेंज स्वीकार कर प्राणायाम और योग करता दिखे तो उसे नीरो नहीं तो और क्या कहा जाये?

इस सवाल-जवाब को आगे बढ़ाकर टीवी चैनलों जैसे कौआरोर में फंसने के मुकाबले यहां यह जानना ज्यादा जरूरी है कि मामला सिर्फ दिल्ली का नहीं है. दिल्ली के पड़ोसी राज्य हरियाणा और साथ ही उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में इस भीषण गर्मी में भी ऐसी धूल व धुंध छाई है, जैसी आमतौर पर जाड़ों में भी नहीं छाती.

इसका अर्थ है कि वायुप्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. इसीलिए राजधानी में अनेक लोगों को गैस चैम्बर जैसी घुटन होने लगी है.

प्रधानमंत्री और उनकी सरकार इस ‘अनहोनी’ को दैवीय या प्राकृतिक कहकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकते. दरअसल, यह हवा न एक दिन में या अचानक जहरीली हुई है और न उसके पीछे शहरों को कंक्रीट के जंगल में बदल डालने की उस हवस की कुछ कम भूमिका है, जिसे तीव्र विकास से जोड़ा जाता है.

तभी तो जब आग लग गई है तो कुंआ खोदने की तर्ज पर दिल्ली के उपराज्यपाल ने वहां कुछ दिनों के लिए निर्माण गतिविधियां रोक दी हैं ताकि अभी तक के धूल के अपरिमित उत्पादन पर कुछ तो रोक लगे. लेकिन उपराज्यपाल को ही नहीं, सबको पता है-ऐसे फौरी कदमों का कोई हासिल नहीं है और पर्यावरण का प्रदूषण दिल्ली की ही नहीं, तमाम राज्यों की समस्या है. इससे पीड़ित नागरिकों को न सांस लेने के लिए शुद्ध हवा मयस्सर है, न पीने को साफ पानी.

नरेंद्र मोदी राज में योजना आयोग की जगह आये नीति आयोग की ताजा रपट तक में कहा गया है कि आधे से ज्यादा देशवासी या तो प्यासे हैं या दूषित पानी पीने को अभिशप्त. गांवों में यह समस्या इस अर्थ में और विकट है कि वहां 84 प्रतिशत ग्रामीण इसकी जद में हैं.

जब इतनी बड़ी संख्या में देशवासियों को साफ पानी भी नहीं मिल पा रहा तो इस तरह के आंकड़े बताना तो फिजूल ही है कि ठीक उसी वक्त जब प्रधानमंत्री देश को महाशक्ति बनाने का मुगालता पाले हुए हैं, उसकी कितनी बड़ी जनसंख्या दोनों जून भोजन की मोहताज है या ग्लोबल हंगर इंडेक्स में उसकी स्थिति क्या है?

बहरहाल, दूसरी ओर पूर्वोत्तर के कई राज्य बाढ़ का सामना कर रहे हैं. मणिपुर, मेघालय, मिजोरम और असम में भारी वर्षा के कारण नदियां उफान पर हैं और नागरिक इस अंदेशे से हलकान कि हर साल की तरह बाढ़ इस बार भी उनके घर-बार, खेती-बाड़ी और व्यापार आदि अपने साथ तो नहीं बहा ले जाएगी, जिसके बाद सरकार मुआवजे के नाम पर कुछ पैसे थमाकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर देगी.

सोचिये जरा, इन हालात में प्रधानमंत्री के स्वीकारने के लिए सबसे स्वाभाविक चैलेंज कौन-सा है? क्या वही जो भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने फिटनेस के नाम पर उन्हें दिया और जिसके जवाब में वे पंचतत्वों वाले ट्रैक पर अपने योग का वीडियो जारी करने तक जा पहुंचे?

तब जहरीली हवा को सांस लेने लायक बनाने और देशवासियों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने का चैलेंज कौन लेगा? क्या प्रधानमंत्री अपने बचे हुए एक साल में भी योग शिक्षक या कि कुछ और ही बने रहेंगे और प्रधानमंत्री जैसे नहीं नजर आयेंगे?

यों, उनके इस विचलन के लिए विराट को ही दोष क्यों दिया जाये? जानकारों के अनुसार तो फिटनेस चैलेंज का यह सारा खटराग उनके खेलमंत्री राज्यवर्धन राठौर ने शुरू किया है, जो ओलम्पियन भी रहे हैं. राठौर ने ही सोशल मीडिया पर नामी हस्तियों को अपनी फिटनेस दिखाने की चुनौती पेश की.

आगे का काम कई मायनों में असामाजिकता के लिए कुख्यात सोशल मीडिया ने खुद कर दिखाया. वह तो वैसे भी किसी लड़की के आंख मारने से लेकर किसी प्रोफेसर के डांस तक किसी भी ऊटपटांग चीज को ‘लोकप्रिय’ बना डालता है.

अब इस फिटनेस चैलेंज को ‘पवित्र’ साबित करने के लिए बेहद शातिर ढंग से आम लोगों को स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित करने के अभियान से जोड़ दिया गया है!

स्वास्थ्य का जीवन में कितना महत्व है, यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है, लेकिन प्रधानमंत्री या उनकी सरकार फिटनेस चैलेंज की मार्फत लोगों को प्रेरित करना चाहती है, तो यह भी तो बताना चाहिए कि जिन पीड़ित व बेघरबार देशवासियों के सामने अपने जीवन को फिर से शुरू करने का चैलेंज है, वे पहले उससे जूझें या फिटनेस चैलेंज लें? लें तो कैसे लें? क्या वैसे, जैसे सरकार ने जरूरी मुद्दों और चिंताओं से उनका ध्यान भटकाकर सोशल मीडिया की भूलभुलैया में उलझाने की राह चुन ली है? अगर हां, तो इसका अंजाम क्या होगा?

देश के सामने शिक्षा, रोजगार, खेती-किसानी, व्यापार और अमन-चैन जैसी अनेक विकट चुनौतियां पहले से ही मुंह बाये खड़ी हैं. उनसे जूझते करोड़ों गरीबों के सामने फिटनेस चैलेंज का तमाशा हमें फ्रांस की आखिरी रानी मेरी अंतोनियो की याद दिलाता है.

इस रानी को भूख से बेहाल किसानों की दुर्दशा से वाकिफ कराया गया तो उसने पूछा था-किसानों के पास ब्रेड नहीं है, तो केक क्यों नहीं खा लेते? इतिहास गवाह है, किसान केक भले ही नहीं खरीद पाये, अपनी दुर्दशा से तंग आकर उन्होंने ऐसी क्रांति की, जिसने इतिहास की दिशा ही मोड़ डाली.

बेहतर हो कि प्रधानमंत्री और उनके ‘अपने’ ऐसे इतिहास को याद रखने और उससे सबक लेने का चैलेंज भी लें और सोशल मीडिया पर चलाएं. वरना इस देश में उनके फिटनेस चैलेंज की तरह कर्मकांड के तौर पर बहुत कुछ होता रहता है.

इस सिलसिले में एक दैनिक के शब्द उधार लें तो स्कूलों में छात्रों से लिखाये जाने वाले स्वास्थ्य संबंधी निबंधों में अनिवार्य रूप से लिखाया जाता है-साउंड माइंड इन साउंड बॉडी (स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है) लेकिन इससे कोई शरीर या मस्तिष्क स्वस्थ नहीं हो जाता.

इसके लिए स्वास्थ्य की बुनियादी शर्त पूरी करनी होती है. जैसे साफ पानी, हवा, पौष्टिक भोजन, बिना मिलावट के साग-सब्जी-फल, दूध, अंडे, और मांस-मछली की उपलब्धता, बीमारियों का निदान और इलाज की सुविधा. दुनिया की सबसे बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं वाले हमारे देश में उन आम लोगों के लिए, जो अभी भी इन सबका अभाव झेलते आ रहे हैं, सो भी एक साथ, फिटनेस चैलेंज चोंचले से ज्यादा नहीं हो सकता, जब तक कि उनके जीवन से यह बड़ा अभाव खत्म न हो जाये.

ऐसे में प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी की वास्तविक फिटनेस तो तभी प्रमाणित होनी है, जब वे इस अभाव के खात्मे का चैलेंज लें. और किसी से नहीं तो कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी से ही कुछ सीखें, जिन्होंने उनका फिटनेस चैलेंज स्वीकार करने से यह कहकर इनकार कर दिया कि अभी उन्हें कर्नाटक के लोगों की चिंता करनी है.

अब ज्यादा समय नहीं बचा, प्रधानमंत्री को भी चोंचले छोड़ भारतीयों की चिंता शुरू कर देनी चाहिए.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और फ़ैज़ाबाद में रहते हैं.)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq