वीरों की ‘बस्ती’ को उजाड़ क्यों बता गए भारतेंदु?

अयोध्या के उत्तर से बहने वाली सरयू के दूसरी तरफ स्थित बस्ती की 'महिमा' अयोध्या का पड़ोसी होने के बावजूद घटी ही है. इस कदर कि कई लोग उसे अयोध्या की छाया या पासंग भर भी नहीं मानते. वे चिंंतित हो उठे कि ‘नई सभ्यता अभी तक इधर नहीं आई है.’

इस घुप्प अंधेरे में नागरिकों के विवेक को संबोधित करने वाले लोग कहां हैं?

इस समय संविधान की सबसे बड़ी सेवा सत्ताधीशों के स्वार्थी मंसूबों की पूर्ति के उपकरण बनने से इनकार करना है. समझना है कि संविधान के मूल्यों को बचाने की लड़ाई सिर्फ न्यायालयों में या उनकी शक्ति से नहीं लड़ी जाती. नागरिकों के विवेक और उसकी शक्ति से भी लड़ी जाती है.

क्या मतदाता सरकारों से ‘संतुष्ट’ रहने लगे हैं?

हर बार चुनावों से पहले मीडिया के मैनेजमेंट से छनकर बढ़ती ग़रीबी, ग़ैर-बराबरी, बेरोज़गारी व महंगाई वगैरह के कारण सरकारों के प्रति आक्रोश व असंतोष की जो बातें सामने आ जाती हैं, क्या वे सही नहीं हैं? मतदाताओं की सरकारों से इस 'संतुष्टि' को कैसे देखा जाए?

जयंती विशेष : नेता जी के प्रतिद्वंद्वी भर नहीं थे पट्टाभि सीतारमैया

डॉ. भोगाराजू पट्टाभि सीतारमैया ने ‘द हिस्ट्री ऑफ कांग्रेस’ नाम से कांग्रेस का इतिहास लिखा, जो प्रामाणिकता में आज भी अपना सानी नहीं रखता. आज उनकी जन्मतिथि है.

उत्तर प्रदेश: उपचुनावों के नतीजों से बड़ा हो गया है उनकी विश्वसनीयता का सवाल

यूपी उपचुनाव के नतीजों के समय याद रखना चाहिए कि मतदान के दिन कई जगह पुलिसकर्मी नापसंद मतदाताओं को मतदान से वंचित करने के लिए उनके पहचान पत्र चेक करते, राह रोकते, उन पर रिवॉल्वर तक तानते दिखे थे. सत्ता तंत्र इस तरह चुनाव कराने लगेगा तो लोकतंत्र का भविष्य क्या होगा.

डॉ. रखमाबाई राउत: पितृसत्ता के ख़िलाफ़ संघर्ष की प्रणेता

जयंती विशेष: 19वीं सदी के उत्तरार्ध में महिला अधिकारों की स्थिति कहीं बदतर थी. ऐसे में ख़ुद बाल विवाह का शिकार हुईं बॉम्बे की रखमाबाई ने इस विवाह के विरुद्ध अपनी पूरी शक्ति से मुखर हुईं, तो पितृसत्ता व पुनरुत्थान के सारे पैरोकार तिलमिलाहट से भरकर उनके विरुद्ध हमलावर हो उठे थे.

जैसे फ़ैज़ाबाद अब फ़ैज़ाबाद नहीं रहा, वैसे ही उसमें कुंवर नारायण की स्मृतियां भी नहीं बचीं

पुण्यतिथि विशेष: कुंवर नारायण का जन्म अयोध्या के उस हिस्से में हुआ था, जिसे तब फ़ैज़ाबाद कहा जाता था. उनके बारे में कहा जाता है कि वे अनुपस्थित रहकर हमारे बीच ज्यादा उपस्थित रहेंगे, पर अपनी जन्मभूमि में उनकी किंचित भी ‘उपस्थिति’ नहीं दिखाई देती.

यूपी: बरेली में नेहरू की प्रतिमा का अपमान उनके प्रति कुत्सा भरे अभियान का नतीजा है

आठ महीने पहले यूपी के बरेली में नगर निगम व ज़िला प्रशासन द्वारा शहर को 'स्मार्ट' बनाने के लिए पुनर्स्थापित करने के वादे पर जवाहरलाल नेहरू की एक प्रतिमा को उसकी जगह से उखाड़ा गया, जो पिछले दिनों मिशन अस्पताल परिसर में कूड़े के ढेर में मिली.

अयोध्या विवाद: किन्हें, क्यों और कैसे याद आएंगे चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़

कई जानकारों का कहना है कि जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल में (खासकर अंतिम दिनों में) जो कुछ भी कहा व किया, उससे इस बात को ख़ुद अपने ही हाथों निर्धारित कर डाला कि इतिहास उनके प्रति कैसा सलूक करे.

अयोध्या: दीपोत्सव में सपा सांसद अवधेश प्रसाद को न बुलाने को लेकर विवाद

अयोध्या में 30 अक्टूबर को आयोजित आठवें सरकारी दीपोत्सव में फ़ैज़ाबाद सांसद अवधेश प्रसाद अनुपस्थित थे, जिनका कहना है कि उन्हें आमंत्रण ही नहीं मिला. स्थानीय भाजपा नेताओं ने कहा कि वे झूठ बोल रहे हैं. हालांकि अवधेश प्रसाद को कोई निमंत्रण भेजा गया, इसका प्रमाण इन नेताओं ने नहीं दिया.

दीये जलाइए तो माटी और कुम्हार को याद कीजिए

समृद्ध अतीत वाली कुम्हारी का वर्तमान दोहरे संकट का शिकार है. एक तो प्लास्टिक-फाइबर वगैरह से बनी वस्तुओं ने रोज़मर्रा की ज़िंदगी में तेज़ी से जगह बनाकर कुम्हारों के पैरों तले की ज़मीन तक छीन ली है, दूसरी ओर अब उनके काम लायक मिट्टी और आंवा के लिए ईंधन भी सुलभ नहीं रह गए हैं.

चरथ भिक्खवे: ‘हम कब तक श्रेष्ठ का निर्यात कर कमतर से अपना काम चलाते रहेंगे?’

हिंदी के सुपरिचित कवि व संपादक प्रो. सदानंद शाही इन दिनों ‘साखी’और प्रेमचंद साहित्य संस्थान (गोरखपुर) के तत्वावधान में ‘चरथ भिक्खवे’ नाम की सचल कार्यशाला व साहित्यिक-सांस्कृतिक यात्रा निकाल रहे हैं. उनसे बातचीत.

यूपी उपचुनाव: फूलपुर में कौन चुनेगा फूल और किसे चुभेंगे कांटे?

उत्तर प्रदेश में प्रयागराज ज़िले के फूलपुर विधानसभा क्षेत्र की जनता को किसी दल या प्रत्याशी से 'वफादारी' निभाने के बजाय चुनावी रोटियों को उलटते-पलटते रहने की आदत है और उनकी इस आदत से इस सीट पर होने जा रहे उपचुनाव में प्रायः सारे प्रतिद्वंद्वी पक्ष डरे हुए हैं.

बहराइच: उत्तर प्रदेश का सबसे गरीब ज़िला दंगे की आग में क्यों झुलसा?

नीति आयोग के अनुसार, बहराइच उत्तर प्रदेश का सबसे गरीब ज़िला है, जिसमें कुल आबादी के 55 फीसदी लोग गरीबी में जीवन बसर करते हैं. लेकिन हाल के दशकों में निरंतर ताकतवर होते गए हिंदुत्ववादियों को यह त्रासद या अपमानजनक नहीं लगता.

यूपी उपचुनाव: कटेहरी में कभी नहीं चला मोदी-योगी का जादू, क्या इस बार खिल पाएगा कमल?

आंबेडकर नगर ज़िले के कटेहरी विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ख़ुद उपचुनाव की कमान संभाल रखी है, जिससे उत्साहित उनके समर्थक दावा कर रहे हैं कि इस बार सपा-बसपा आपस में लड़ती रह जाएंगी और वे ‘क से कटेहरी, क से कमल’ कर दिखाएंगे.

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