विधि आयोग ने क्रिकेट समेत अन्य खेलों पर सट्टे को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर प्रणालियों के तहत नियमित कर देय गतिविधियों के रूप में अनुमति दी जाने की सिफ़ारिश की है.
नई दिल्ली: विधि आयोग ने सिफारिश की है कि क्रिकेट समेत अन्य खेलों पर सट्टे को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर प्रणालियों के तहत नियमित कर देय गतिविधियों के रूप में अनुमति दी जाए और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) आकर्षित करने के लिए स्रोत के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाए. इस पर कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि सरकार जुए-सट्टे के माध्यम से पीढ़ियों को बर्बाद करने की तैयारी में है.
गौरतलब है कि आयोग की रिपोर्ट ‘लीगल फ्रेमवर्क: गैंबलिंग एंड स्पोर्ट्स बेटिंग इनक्लूडिंग क्रिकेट इन इंडिया’ में सट्टेबाजी के नियमन के लिए और इससे कर राजस्व अर्जित करने के लिए कानून में कुछ संशोधनों की सिफारिश की गई है.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘संसद सट्टेबाजी के नियमन के लिए एक आदर्श कानून बना सकती है और राज्य इसे अपना सकते हैं या वैकल्पिक रूप में संसद संविधान के अनुच्छेद 249 या 252 के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए विधेयक बना सकती है. यदि अनुच्छेद 252 के तहत विधेयक पारित किया जाता है तो सहमति वाले राज्यों के अलावा अन्य राज्य इसे अपनाने के लिए स्वतंत्र होंगे.’
आयोग ने सट्टेबाजी या जुए में शामिल किसी व्यक्ति का आधार या पैन कार्ड भी लिंक करने की और काले धन का इस्तेमाल रोकने के लिए नकदी रहित लेन-देन करने की भी सिफारिश की.
वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार जुए-सट्टे के माध्यम से पीढ़ियों को बर्बाद करने की तैयारी में है.
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी दावा किया कि देश की जनता सरकार के ‘षढयंत्रकारी निर्णयों’ को देख रही है और आगामी चुनावों में सबक सिखाएगी.
उन्होंने काव्यात्मक अंदाज में तंज कसते हुए कहा, ‘गरीब की जिंदगी में जुए के जहर का घोल, टैक्स के लिए भविष्य पर सट्टे का मोल. पहले रोजगार के नाम पर थी पकौड़े बिकवाने की बारी, अब जुए-सट्टे से रोजगार दे पीढ़ियों को बर्बाद करने की तैयारी.’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘मोदीजी, जनता आपके इन सारे षढयंत्रकारी निर्णयों को देख रही है. अब आपकी सरकार जाने वाली है.’
सुरजेवाला ने वाराणसी में गंगा नदी में प्रदूषण की मात्रा 58 फीसदी बढ़ने पर भी सरकार पर निशाना साधा.
उन्होंने ट्वीट कर आरोप लगाया, ‘आरटीआई से खुलासा हुआ है कि मोदीजी ने ‘मां गंगा’ के नाम पर भी देश को झांसा दिया है. 3800 करोड़ खर्च किए, फिर भी प्रदूषण घटने की बजाय 58 फीसदी बढ़ गया.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)