अलवर लिंचिंग: भाजपा विधायक की मांग, ‘निर्दोष’ गोरक्षकों को रिहा किया जाए

रामगढ़ से भाजपा विधायक ज्ञानदेव आहूजा का कहना है कि जब पुलिस ने अकबर ख़ान की मौत पुलिस हिरासत में होना स्वीकार कर लिया है, तो आरोपी गोरक्षकों को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए.

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रामगढ़ से भाजपा विधायक ज्ञानदेव आहूजा का कहना है कि जब पुलिस ने अकबर ख़ान की मौत पुलिस हिरासत में होना स्वीकार कर लिया है, तो आरोपी गोरक्षकों को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए.

Akbar Khan Gyandev Ahuja Collage
(बाएं) लिंचिंग में मारे गए अकबर खान और रामगढ़ विधायक ज्ञानदेव आहूजा

जयपुर:  भाजपा विधायक ज्ञान देव आहूजा ने अलवर के रामगढ़ में गो तस्करी के संदेह में अकबर उर्फ रकबर खान के साथ कथित मारपीट के मामले में गिरफ्तार किये गये आरोपियों को रिहा करने की मांग की है.

विधायक ने यहां जारी एक बयान में कहा कि गृहमंत्री ने जब पीड़ित की मौत हिरासत में होना स्वीकार कर लिया है और मामले की न्यायिक जांच की घोषणा कर दी है, तो ऐसे में गिरफ्तार किये गये गो रक्षकों को तत्काल प्रभाव मुक्त किया जाना चाहिए.

आहूजा ने कहा, ‘गृहमंत्री ने गो तस्करी मामले में अकबर खान की मौत पुलिस हिरासत में होना स्वीकार कर लिया है. जब गृह मंत्री ने इस मामले में पुलिस की लापरवाही एवं पीड़ित की मौत पुलिस हिरासत में होना स्वीकार कर लिया गया है तो निर्दोष गो रक्षकों और ग्रामीणों को क्यों आरोपी बनाया जा रहा है? उन्हें तत्काल प्रभाव से मुक्त किया जाना चाहिए.’

विधायक ने इस संबंध में पूर्व में भी बार-बार कहा था कि अकबर खान की मौत ग्रामीणों द्वारा नहीं की गई और उसकी मौत पुलिस हिरासत में हुई है.

बयान में विधायक ने गिरफ्तार गो रक्षकों को तुरंत प्रभाव से रिहा करने और गो तस्करी के दूसरे आरोपी असलम (मृतक अकबर खान का साथी) को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की है.

अलवर के रामगढ़ थाना क्षेत्र में गत शुक्रवार-शनिवार की रात को अकबर खान के साथ गो तस्करी के संदेह में भीड़ के एक समूह ने कथित रूप से मारपीट की थी, जिसके बाद उनकी मौत हो गयी थी. उनका साथी असलम इस हमले से बच निकलने में कामयाब हो गया था.

पुलिस ने पीड़ित अकबर खान को कथित रूप से लगभग दो से ढाई घंटे की देरी से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, जहां उसे मृत लाया गया घोषित किया गया. मीडिया रिपोर्ट्स में यह सामने आया कि अगर पुलिस अकबर को समय पर अस्पताल ले गयी होती तो उनकी जान बच सकती थी.

मामले में पुलिस की लापरवाही उभर कर सामने आई है, जिसके बाद चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई. हालांकि पुलिस ने कहा कि यह ‘हिरासत में मौत’ का मामला नहीं है, जो कुछ भी हुआ वह स्थानीय पुलिस की स्थिति को निपटने में लिए गए निर्णय की त्रुटि के कारण हुआ.

वहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक अकबर की मौत मारपीट के दौरान लगी चोट के सदमे से हुई है. मामले में अब पुलिस और रामगढ़ विधायक ज्ञानदेव आहूजा आमने-सामने आ गए हैं.

पुलिस में दर्ज शिकायत के अनुसार मृतक और उसके साथी ने लाडपुर गांव से गायें खरीदीं. पुलिस गायों के खरीदने की पुष्टि करने का प्रयास कर रही है.

विशिष्ट पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) एन आर के रेड्डी ने बताया, ‘हम इस बात की जांच कर रहें कि अकबर और असलम ने साढ़े तीन वर्षीय और साढ़े छह वर्षीय गायों को कानूनी रूप से खरीदा था या नहीं. यह निश्चित तौर पर जांच का एक हिस्सा है.’

इससे पहले गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने मंगलवार को मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक के साथ अलवर के रामगढ़ में घटनास्थल का दौरा कर मामले की न्यायिक जांच की घोषणा की थी.

इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. साथ ही रामगढ़ थाने के सहायक पुलिस उप निरीक्षक को निलंबित कर दिया गया और तीन कांस्टेबल को पुलिस लाइन भेजा गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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