सूत्रों के अनुसार चैनल में हुए इन बदलावों के बीच भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को पिछले हफ्ते संसद भवन में कुछ पत्रकारों से कहते सुना गया था कि वे ‘एबीपी को सबक सिखाएंगे.’
नई दिल्ली: देश के बड़े टीवी न्यूज़ चैनल एबीपी न्यूज़ से दो बड़े पत्रकारों के इस्तीफे और तीसरे को काम करने से रोकने को मीडिया और राजनीतिक हलकों में किसी मीडिया हाउस के सत्तारूढ़ दल को खुश रखने की कोशिश की तरह देखा जा रहा है.
बुधवार 1 अगस्त को चैनल प्रबंधन ने एडिटर इन चीफ मिलिंद खांडेकर के इस्तीफे की घोषणा की. इसके बाद हाल ही में एबीपी पहुंचे, चर्चित शो ‘मास्टर स्ट्रोक’ के एंकर और पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी के चैनल छोड़ने की खबर आई.
इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है कि बाजपेयी ने इस्तीफ़ा दिया या उन्हें चैनल छोड़ने के लिए कहा गया. गौरतलब है कि उनका चैनल से जाना उनके शो के उस एपिसोड के बाद हुआ है, जिसमें उन्होंने छत्तीसगढ़ की एक महिला किसान के मोदी सरकार की योजना के चलते ‘दोगुनी हुई आय’ के प्रधानमंत्री के दावे का खंडन प्रसारित किया था. बताया जा रहा है कि इससे कई मंत्री नाराज़ थे. दो दिन पहले उन्हें बताया गया था कि अब से ‘मास्टर स्ट्रोक’ की एंकरिंग नहीं करेंगे.
एबीपी के सूत्रों ने द वायर को बताया कि इन दोनों के अलावा चैनल के सीनियर न्यूज़ एंकर अभिसार शर्मा को 15 दिन के लिए ‘ऑफ एयर’ रहने (चैनल पर न आने) के लिए कहा गया है. बताया जा रहा है कि अभिसार ने उनके कार्यक्रम में मोदी की आलोचना न करने के बारे में दिए मैनेजमेंट के निर्देशों के बारे में सवाल किए थे.
द वायर को मिली जानकारी के अनुसार चैनल में हुए इन बदलावों के बीच भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को पिछले हफ्ते संसद भवन में कुछ पत्रकारों से कहते सुना गया था कि वे ‘एबीपी को नया सबक सिखाएंगे.’
‘मोदी की आलोचना नहीं’
अभिसार के खिलाफ चैनल की कार्रवाई की वजह उनका बीते दिनों लखनऊ में नरेंद्र मोदी द्वारा प्रदेश की कानून व्यवस्था में हुए सुधार के दावे के खिलाफ बोलना है. अभिसार ने इस दावे के साथ मोदी के कार्यक्रम के अगले दिन हुई दो बर्बर हत्याओं का ज़िक्र किया था.
अभिसार ने जैसे ही प्रधानमंत्री का नाम लिया, वैसे ही न्यूज़रूम में खलबली मच गयी क्योंकि एबीपी न्यूज़ नेटवर्क के सीईओ अतिदेब सरकार ने फौरन इस कार्यक्रम को बंद करने को कहा. एबीपी न्यूज़रूम के सूत्र बताते हैं कि सरकार ने खांडेकर को तुरंत शो बंद न करने पर डांटा, जबकि खांडेकर यह कहते रहे कि ऐसा नहीं किया जा सकता क्योंकि 5 मिनट का बुलेटिन जा चुका है. जब यह बुलेटिन खत्म हुआ तब एंकर को दोबारा मोदी की आलोचना न करने का निर्देश दिया गया.
इसके बाद चैनल प्रबंधन ने उनसे कहा कि उन पर 15 दिन की रोक रहेगी. बताया जा रहा है कि ऐसे निर्देश कथित तौर पर चैनल के सभी एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसरों को दिए गए कि अब से मोदी की आलोचना करता कोई भी कंटेंट प्रसारित नहीं होगा.
सूत्रों के मुताबिक ये सभी फैसले सीधे अतिदेब सरकार द्वारा लिए गए हैं. इसी शाम को बाजपेयी को बताया गया कि अब से उनका शो चित्रा त्रिपाठी एंकर करेंगी.
सेंसरशिप की नया तरीका!
द वायर से बात करते हुए एबीपी के सूत्रों ने पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया पर चल रही उन अटकलों की भी पुष्टि की, जिनमें कहा जा रहा था कि चैनल की ओर से जानबूझकर विभिन डीटीएच प्लेटफॉर्मों पर बाजपेयी के शो के टेलीकास्ट में रुकावट डाली जा रही थी, जिससे सरकार रुष्ट न हो जाए.
Didn't believe earlier when some friends told me that every day at 9 PM, the telecast of Masterstroke by @ppbajpai at @abpnewstv gets disturbed. Witnessed it today by myself. @TataSky do you have any answer. pic.twitter.com/XfPOYos2zK
— Kumar Anshuman (@anshumanscribe) July 30, 2018
पिछले कई हफ़्तों से देश भर से कई दर्शक दावा कर रहे थे कि वे बाजपेयी का शो नहीं देख पा रहे हैं. चैनल से जुड़े एक वरिष्ठ पत्रकार के मुताबिक यह परेशानी उस दिन के बाद शुरू हुई जब इस शो में छत्तीसगढ़ की चंद्रमणि कौशिक के मोदी के योजना से उनकी आय दोगुनी के सरकारी दावे का खंडन वाली स्टोरी प्रसारित की गयी.
What is happening to #abpnews #MasterStroke most of the times between 9 to 10 pm signal problem on dish tv ????. सच से डर लगता है साहिब क्या। pic.twitter.com/QbP9SceHPC
— Mukesh Sharma (@advmickey) July 30, 2018
बाजपेयी ने खुद पिछले महीने इस ‘ब्लैकआउट’ की आलोचना करते हुए लिखा था, ‘आप ‘मास्टरस्ट्रोक’ की स्क्रीन को ब्लैक करोगे.. हम उसे ‘ब्लैक बोर्ड’ मान कर सच लिख देगें…’
आप “मास्टरस्ट्रोक “ के स्क्रीन को ब्लैक करोगे..
हम उसे “ब्लैक बोर्ड” मान कर सच लिख देगें…
( मिलते है 9 बजे )— punya prasun bajpai (@ppbajpai) July 23, 2018
हालांकि द वायर स्वतंत्र रूप से इस ‘ब्लैकआउट’ के दावे की पुष्टि करने में सक्षम नहीं है. लेकिन इस शो के एपिसोड अब भी चैनल के यूट्यूब पेज पर उपलब्ध हैं.
हालिया दिनों में बाजपेयी ‘बिना किसी झिझक के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों का मजाक बनाने वाले एजेंडा से जुडाव’ को लेकर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन राठौर और कृषि राज्यमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत समेत कई केंद्रीय मंत्रियों के निशाने पर आ चुके हैं.
https://twitter.com/Modassir_Hassan/status/1023960502282711041
20 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के किसानों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात की थी. इस दौरान छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के कन्हारपुरी गांव की एक महिला चंद्रमणि कौशिक से जब प्रधानमंत्री मोदी ने खेती से होने वाली आय संबंधी सवाल किए तो उन्होंने कहा था कि पहले के मुकाबले अब उन्हें ज्यादा मुनाफा हो रहा है और उनकी आय दोगुनी हो गई है.
इस बात को लेकर प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के कई अन्य नेताओं ने किसानों की स्थिति सुधारने की बात कहकर खूब वाहवाही बटोरी थी.
हालांकि 6 जुलाई को एबीपी न्यूज़ ने अपनी एक रिपोर्ट में इस दावे को गलत बताया. चैनल के एक संवाददाता ने कन्हारपुरी गांव जाकर जब वापस चंद्रमणि कौशिक से बातचीत की, तो उन्होंने कहा कि वे दो एकड़ में धान की खेती करती हैं, उसे लेकर उनकी आय दोगुनी नहीं हुई है.
इस रिपोर्ट के बाद मंत्रियों द्वारा चैनल पर चंद्रमणि के बयान को तोड़-मरोड़ के पेश करने का आरोप लगाया गया, तब चैनल ने अपने रिपोर्टर को दोबारा चंद्रमणि के गांव भेजा, जिससे वहां के और ज्यादा लोगों से बात कि जा सके.
PM जी अपनी मन की बात सुनाते हैं यह तो सभी जानते थे। आज यह मालूम पड़ रहा है कि वह सिर्फ अपने ही मन की बात सुनना भी चाहते हैं । pic.twitter.com/dEqvklqtRR
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 9, 2018
इस सच और फेक न्यूज़ की खींचतान के बीच सबसे ज़्यादा चौंकाने वाली बात ये रही कि केंद्रीय मंत्री ऐसी एक किसान की कहानी पर जश्न मना रहे थे, जो तयशुदा दैनिक न्यूनतम मजदूरी का चौथाई और विश्व बैंक द्वारा निर्धारित अत्यंत गरीबी रेखा के आधे से भी कम कमाती हैं.
एबीपी के अंदरूनी स्रोतों का मानना है कि बाजपेयी आधिकारिक लाइन से हटने के कारण मोदी सरकार के निशाने पर हैं. चैनल से जुड़े सूत्रों का कहना है कि छत्तीसगढ़ रिपोर्ट से बढ़े दबाव के चलते मिलिंद खांडेकर को चैनल छोड़ना पड़ा. भाजपा के अनुसार यह रिपोर्ट ऐसे माहौल में जहां गांव-किसानों में यह धारणा है कि पार्टी उनके लिए कुछ नहीं कर रही है, मुश्किल पैदा करने वाली है.
क्या गोयनका चैनल खरीदने वाले हैं?
मीडिया इंडस्ट्री में चल रही अटकलों के अनुसार उद्योगपति संजीव गोयनका एबीपी न्यूज़ को खरीदने की सोच रहे हैं. यह चैनल अभी सरकार परिवार द्वारा चलाया जा रहा है, जो आनंदबाज़ार पत्रिका और द टेलीग्राफ अख़बार भी निकलते हैं. यहां बता दें कि संजीव इंडियन एक्सप्रेस के संस्थापक रामनाथ गोयनका परिवार से नहीं हैं, वे आरपी संजीव गोयनका समूह के अध्यक्ष हैं.
गोपनीयता की शर्त पर एक वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं, ‘संजीव उस तरह के कारोबारी हैं, जो बंगाल में ममता बनर्जी के साथ रहेंगे और दिल्ली आकर नरेंद्र मोदी और अमित शाह के साथ हो जाएंगे.’
द वायर द्वारा बाजपेयी, अभिसार और खांडेकर को संपर्क करने की कई कोशिशें की गयी, जहां खांडेकर और अभिसार शर्मा ने इस पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से मना कर दिया, वहीं बाजपेयी से संपर्क नहीं हो सका. चैनल के सीईओ अतिदेब सरकार को इस बारे में सवाल भेजे गए हैं, जिनका जवाब इस रिपोर्ट के प्रकाशन के समय तक नहीं दिया गया था. उनका जवाब आने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
लोकसभा में गूंजा मुद्दा
शुक्रवार को एबीपी चैनल से एडिटर-इन-चीफ और दो एंकरों को कथित तौर पर हटाने का मुद्दा लोकसभा में उठाया गया. कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना के चलते चैनल पर दबाव डालकर इन लोगों को हटाया गया है.
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि यह प्रेस की आजादी पर सरकार का हमला है. सरकार चैनल बंद करना चाहती है, मीडिया को दबाना चाहती है. यह असंवैधानिक है क्योंकि प्रेस की आजादी मूलभूत अधिकार है.
इस पर जवाब देते हुए केंद्रीय सूचना और प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कहा कि ये चैनल का अंदरूनी मसला है, सरकार का इससे कोई संबंध नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि चैनल की टीआरपी लगातार गिर रही थी और लोग उसे नहीं देखना चाहते.
राठौर ने बिना किसी चैनल का नाम लिए कहा कि खड़गे जिस चैनल की बात कर रहे हैं उसने पहले एक गलत खबर प्रसारित की थी, लेकिन सरकार ने उनसे कोई सवाल नहीं किया. जो हुआ उसी वजह से चैनल की लोकप्रियता कम हुई है.
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