उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का कहना है कि बीआरडी अस्पताल में बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई थी.
गोरखपुर: गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौत पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ये अस्पताल के अंदर चल रही राजनीति की वजह से हुआ था, न कि ऑक्सीजन की कमी से.
हालांकि योगी आदित्यनाथ के इस बात पर पलटवार करते हुए कांग्रेस ने कहा कि मुख्यमंत्री अपनी गलतियों को छिपाने के लिए ऐसा कह रहे हैं.
राज्य पोषण मिशन कार्यक्रम से संबंधित एक अभियान के शुभारंभ मौके पर आदित्यनाथ ने कहा कि जब उन्होंने बच्चों के मौत की ख़बर सुनी तो उन्हें एक मामला याद आया जहां एक रिपोर्टर ने गलत खबर लिखी थी कि अस्पताल के कर्मचारियों ने उसे वार्ड में घुसने नहीं दिया.
उन्होंने कहा, ‘पिछले साल जब मैंने इस खबर के बारे में सुना, तो मुझे लगा कि ऐसा ही कोई मामला हुआ होगा. लेकिन जब मैंने देखा कि सभी समाचार चैनलों और मीडिया ने इसे एक मुद्दा बना दिया है, तो मैंने डीजी (स्वास्थ्य) को गोरखपुर भेजा और एक रिपोर्ट मांगी. मैंने अपने स्वास्थ्य मंत्री और चिकित्सा शिक्षा मंत्री को भी भेजा और उन्हें एक रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा.’
बता दें कि योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से पांच बार सांसद रह चुके हैं. उन्होंने कहा कि ये पर्याप्त नहीं था इसलिए अगले ही दिन उन्होंने अस्पताल का दौरा भी किया था.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैंने वहां लोगों से पूछा कि वास्तव में क्या मामला है. पता चला कि ऐसा कोई मामला नहीं है. और अगर मौत ऑक्सीजन की कमी के कारण थी, तो जो बच्चे वेंटिलेटर थे, उनकी सबसे पहले मौत होती. मैंने कहा कि निश्चित रूप से कुछ होना चाहिए. मौत के ये आंकड़े कहां से आ रहे थे? तब पता चला कि आंतरिक राजनीति की वजह से ऐसा हुआ.’
आदित्यनाथ ने कहा कि इस घटना के बाद, मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर मरीजों को देखना नहीं चाहते थे क्योंकि उन्हें इस बात की चिंता थी कि यह एक मुद्दा बन सकता है. लेकिन हमने उन्हें समझाया कि आप अपना काम कीजिए और किसी चीज की चिंता ना कीजिए.
योगी ने कहा, ‘हमने डॉक्टरों से कहा, यदि आपकी आत्मा साफ है, तो आपको परेशान नहीं होना चाहिए.’
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्य सभा सांसद पीएल पुनिया ने कहा कि योगी आदित्यनाथ ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वे अपनी नाकामियों को छुपाना चाहते हैं.
पुनिया ने कहा, ‘मुख्यमंत्री अपनी असफलताओं को छिपाने के लिए नए बहाने खोजने की कोशिश कर रहे हैं. उनका ये बयान हास्यास्पद है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण मेडिकल कॉलेज में मौतें नहीं हुई थीं, खासकर जब उनकी सरकार ने फर्म के मालिक को गिरफ्तार कर लिया जो मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की सप्लाई कराता था.’
उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव राजीव कुमार की अगुवाई में एक समिति ने अस्पताल की त्रासदी की जांच की थी और 23 अगस्त 2017 को सौंपी रिपोर्ट में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल डॉ राजीव मिश्रा, एनेस्थीसिया बाल चिकित्सा विभाग के एचओडी डॉ सतीश कुमार, डॉ कफील खान और पुष्पा सेल्स फर्म के प्रभारी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू करने की सिफारिश की गई थी.
24 अगस्त 2017 को इस मामले में नौ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.
बीते जुलाई में ये ख़बर आई थी कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में छह महीनों में 1,049 बच्चों की मौत हो गई है. इनमें इंसेफलाइटिस से ग्रस्त 73 बच्चे भी शामिल हैं. इस अवधि में सबसे अधिक एनआईसीयू (नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट) में 681 बच्चों की मौत हुई. ये बच्चे संक्रमण, सांस संबंधी दिक्कतों, कम वजन आदि बीमारियों से पीड़ित थे. इस वर्ष इंसेफलाइटिस से बच्चों की मौत बढ़ गई है.
अगस्त 2017 में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एक सप्ताह में 60 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी. इसके बाद से योगी सरकार आलोचनाओं के घेरे में है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)