सरकार के सामने कटोरा लेकर मदद मांगने की बजाय पूर्व छात्रों से मदद लें स्कूल: प्रकाश जावड़ेकर

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि कुछ स्कूल फंड के लिए सरकार के पास चले आते हैं, जबकि वे अपने पूर्व छात्र-छात्राओं को आसानी से कह सकते हैं. यह पूर्व छात्र-छात्राओं का कर्तव्य है कि वे अपने स्कूल, कॉलेज के लिए योगदान दें.

New Delhi: HRD Minister Prakash Javadekar speaks during a press conference at BJP Headquarter in New Delhi, on Friday. PTI Photo by Manvender Vashist(PTI3_23_2018_000241B)
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (फोटो: पीटीआई)

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि कुछ स्कूल फंड के लिए सरकार के पास चले आते हैं, जबकि वे अपने पूर्व छात्र-छात्राओं को आसानी से कह सकते हैं. यह पूर्व छात्र-छात्राओं का कर्तव्य है कि वे अपने स्कूल, कॉलेज के लिए योगदान दें.

New Delhi: HRD Minister Prakash Javadekar speaks during a press conference at BJP Headquarter in New Delhi, on Friday. PTI Photo by Manvender Vashist(PTI3_23_2018_000241B)
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (फोटो: पीटीआई)

पुणे: केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शैक्षणिक संस्थानों से बेहतरी के लिए सरकार के सामने मदद के लिए हाथ फैलाने की बजाय उनसे अपने पूर्व छात्रों के संगठनों की मदद लेने को कहा.

जावड़ेकर शुक्रवार को पुणे के ज्ञान प्रबोधिनी स्कूल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे.

प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ‘कुछ स्कूल फंड मांगने के लिए सरकार के पास चले आते हैं, जबकि वे मदद के लिए अपने पूर्व छात्र-छात्राओं को आसानी से कह सकते हैं. यह पूर्व छात्र-छात्राओं का कर्तव्य है कि वे अपने स्कूल, कॉलेज के लिए योगदान दें. इस तरह के व्यवहार को स्कूलों में बढ़ावा मिलना चाहिए.’

जावड़ेकर ने कहा, ‘पूरे विश्व में, शैक्षणिक संस्थानों को कौन चलाता है? पूर्व छात्र चलाते हैं. विश्वभर में विश्वविद्यालय कौन चलाते हैं? पूर्व छात्र जो अपने-अपने क्षेत्र में उम्दा साबित हुए हैं.’

उन्होंने कहा, ‘ऐसे छात्र-छात्राएं अपने शैक्षणिक संस्थानों के लिए वापस कुछ करते हैं. ज्ञान प्रबोधिनी स्कूल इस तरह के नज़रिये को कई सालों से अपने छात्रों में विकसित कर रहा है और अपने पूर्व छात्र-छात्राओं के योगदान की वजह से संस्थान पिछले 50 सालों से सफलतापूर्वक चल रहा है.’

हालांकि जावड़ेकर ने कहा कि कुछ स्कूल हैं जो मदद के लिए बार-बार हाथ फैलाते हुए सरकार के पास चले आते हैं जबकि असल मदद (पूर्व छात्र) उनके भीतर ही मौजूद है.

साथ ही उन्होंने मंत्रालय द्वारा स्कूल बस्तों का 50 प्रतिशत बोझ कम करने के प्रयासों के बारे में भी बताया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अपने छात्र जीवन को याद करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि वह ज़िला परिषद स्कूल में पढ़ा करते थे, जहां उनकी मां शिक्षक थीं. उन्होंने कहा बिना ई-शिक्षा और डिजिटल संसाधनों के बिना छात्र-छात्राएं स्कूल से ज्ञान और ज़िंदगी के कौशल को सीखा करते थे.

उन्होंने कहा, ‘आज सातवीं कक्षा का छात्र चौथी क्लास के गणित के सवालों को हल नहीं कर सकता. ये बेहद दुखद स्थिति है. हमने पिछले साल राष्ट्रीय मूल्यांकन सर्वे शुरू किया जिसके तहत कक्षा तीन, पांच, आठ और 10 के छात्र-छात्राओं का मूल्यांकन किया गया. हमने एक ज़िलास्तरीय दस्तावेज़ तैयार किया और इसे स्थानीय सांसदों के साथ साझा किया, ताकि वे अपने क्षेत्र की स्थितियों के बारे में जान सकें. हालांकि सरकार की ओर से किया गया इस तरह का काम पर्याप्त नहीं है, पूरे समाज को इसके लिए साथ आना होगा ताकि स्थितियों में सुधार आ सके.’

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जल्द ही स्कूलों का पाठ्यक्रम 50 प्रतिशत तक कम कर दिया जाएगा ताकि छात्र-छात्राओं को पाठ्यक्रम से अतिरिक्त गतिविधियों का समय मिल सके.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)