केंद्रीय सूचना आयोग ने इसी साल 15 जून को आदेश दिया था कि मध्य प्रदेश के ग्वालियर से सांसद नरेंद्र सिंह तोमर, ग्वालियर के ज़िलाधिकारी और सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय सांसद निधि के तहत ख़र्च की गई राशि की विस्तृत जानकारी दें.
नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना आयोग के आदेश के बावजूद केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस बात की जानकारी नहीं दी कि उन्होंने सांसद निधि के तहत मिले 11.16 करोड़ की राशि किस तरह खर्च किया है.
मध्य प्रदेश के रतलाम निवासी और इस मामले में सूचना का अधिकार याचिकाकर्ता प्रशांत जैन ने द वायर को ये जानकारी दी है. केंद्रीय मंत्री द्वारा आरटीआई के तहत जवाब न देना नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था बनाने के दावे पर सवालिया निशान खड़ा करता है.
केंद्रीय सूचना आयोग ने प्रशांत जैन की याचिका पर इसी साल 15 जून को आदेश दिया था कि मध्यप्रदेश के ग्वालियर से सांसद नरेंद्र सिंह तोमर, ग्वालियर के जिलाधिकारी और सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय सांसद निधि के तहत खर्च की गई राशि की विस्तृत जानकारी दें.
हालांकि अभी तक प्रशांत को कोई जानकारी नहीं मिली है. प्रशांत ने द वायर को बताया, ‘जिस तरह की जानकारी मैंने मांगी थी वो नरेंद्र सिंह तोमर और ग्वालियर कलेक्टर के पास है. मैंने व्यक्तिवार जानकारी मांगी थी कि सांसद निधि के तहत किस जगह निर्माण कार्य में कितनी राशि खर्च की गई है.’
उन्होंने बताया कि सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने कुछ जानकारी भेजी थी लेकिन वो धार लोकसभा क्षेत्र से संबंधित था, जबकि मैंने ग्वालियर क्षेत्र की जानकारी मांगी थी. इसके बाद जब मैंने इसकी शिकायत की तो उन्होंने ग्वालियर की जानकारी भेजी. लेकिन ये बिल्कुल अपर्याप्त है और उससे कुछ भी समझ नहीं आता है.
इस मामले की सुनवाई के दौरान सांख्यिकि मंत्रालय द्वारा पेश किए गए ग्वालियर जिला के ‘मासिक प्रगति रिपोर्ट’ पर सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने अपने फैसले में कहा था, ‘पूरी रिपोर्ट को सिर्फ कुछ आंकड़ों में समेटा गया है, जो कि याचिकाकर्ता को किसी भी तरह की जानकारी नहीं देता है. इससे ये नहीं पता चलता कि कब किस काम का आवंटन किया गया, कब काम पूरा किया, कितना काम बचा है, कब तक काम पूरा हो जाएगा और अगर काम पूरा करने में कोई देरी हुई तो क्या उसका कोई कारण बताया गया है या नहीं.’
आचार्युलु ने कहा कि मंत्रालय द्वारा पेश की गई ये रिपोर्ट सांसद निधि के बारे में जानकारी देने से ज्यादा ये चीजों को छुपाती है. मात्र कुछ आंकड़े बताकर जिला प्रशासन ने जानकारी छिपा दी है.
बता दें कि सीआईसी ने एक महीने का समय दिया था कि इस बीच में याचिकाकर्ता को जानकारी दे दी जानी चाहिए. हालांकि तीन महीने से ज्यादा का समय निकल चुका है लेकिन अभी जानकारी नहीं भेजी गई है.
सांसद निधि योजना केंद्र सरकार द्वारा फंड की जाती है और राज्य सरकारों द्वारा इसे लागू किया जाता है. इसके तहत देश के हर एक सांसद को एक साल के लिए पांच करोड़ का फंड जारी किया जाता है.
सांसद अपने विवेक के आधार पर उनके पास आए आवेदनों में से किसी विशेष क्षेत्र या व्यक्तियों के विकास के लिए इस फंड से राशि आवंटित करते हैं. इसके बाद सांसद जिला अधिकारी के पास विकास कार्यों से संबंधित सिफारिश भेजते हैं, जहां से इसे लागू किया जाता है.
मुख्य रूप से सांसद निधि से खर्च की जानकारी जिला प्रशासन के पास होता है, जिसे वे सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के पास भेजते हैं.
द वायर ने ग्वालियर के डीएम अशोक वर्मा से ये जानना चाहा कि नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा सांसद निधि के खर्च की जानकारी क्यों नहीं दी गई. इस पर पहले तो उन्होंने कहा कि हमने तो जानकारी भेज दी है. लेकिन जब उन्हें ये बताया गया कि याचिकाकर्ता ने कहा है कि उनके पास कोई जानकारी नहीं है.
तो उन्होंने कहा कि ठीक है, मैं इस पर चेक कर के बताता हूं. इसके बाद द वायर ने लगातार फोन कर जानकारी लेनी चाही लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया.
वहीं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी इस पर कोई जवाब नहीं दिया है. उन्हें सवालों की सूची ई-मेल के जरिए भेजी गई है. अगर कोई जवाब आता है तो स्टोरी में शामिल कर दिया जाएगा.
सांसद निधि की वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ों के मुताबिक ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र के लिए अभी तक 15 करोड़ की राशि जारी की गई है. जिसमें से नरेंद्र सिंह तोमर ने 13.33 करोड़ की राशि के लिए अपने क्षेत्र में विकास कार्यों का आवंटन किया था. इसमें से 11.16 करोड़ की राशि जिला प्रशासन द्वारा खर्च किया जा चुका है और 4.07 करोड़ की राशि अभी भी बकाया है.
हालांकि आरटीआई का जवाब नहीं देने की वजह से अभी तक ये स्पष्ट नहीं कि ये 11.16 करोड़ की राशि कहां-कहां खर्च की गई है.
जब याचिकाकर्ता प्रशांत जैन से द वायर ने पूछा कि क्या इसमें आपको किसी भ्रष्टाचार की आशंका है. तो उन्होंने कहा, ‘मैं ऐसा अभी नहीं कह सकता हूं. लेकिन मैंने एक नागरिक के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभाई है और पारदर्शिता के नाते सांसद निधि से संबंधित पूरी जानकारी देश के नागरिकों को दी जानी चाहिए और पूरी रिपोर्ट वेबसाइट पर डाली जानी चाहिए.’
प्रशांत जैन ने आठ सितंबर 2017 को आरटीआई आवेदन दायर कर ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र में जनवरी 2015 से लेकर अगस्त 2017 तक सांसद निधि के तहत खर्च की गई राशि से संबंधित विस्तृत जानकारी मांगी थी.
इस पर सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने जवाब दिया कि सांसद निधि से संबंधित जानकारी वेबसाइट (http://www.mpland.gov.in/) पर मौजूद है. इस जवाब से असंतुष्ट होकर याचिकाकर्ता ने प्रथम अपील दायर की और यहां भी जरूरी जानकारी नहीं मिलने पर ये मामला केंद्रीय सूचना आयोग पहुंचा.
इस संबंध में केंद्रीय सूचना आयोग ने अपने विस्तृत फैसले में ग्वालियर से सांसद नरेंद्र सिंह तोमर, ग्वालियर जिला प्रशासन और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय को कई निर्देश दिए.
आयोग ने जिला कार्यालय को निर्देश दिया कि क्षेत्रवार परियोजनाओं के विवरण के साथ ठेकेदारों/ सुपरवाइजर्स के नाम और काम के उद्देश्य, भौतिक विवरण, काम पूरा होने के लिए समयसीमा, देरी के कारण और कार्रवाई में देरी के कारण से संबंधित सभी जानकारी दें.
जिला कार्यालय को ये भी कहा गया कि वो बताएं कि सांसद निधि के तहत कुल कितने आवेदन प्राप्त हुए थे और उनमें से कितने आवेदनों को स्वीकार किया गया और उनमें से कितने को खारिज किया गया. जिन आवेदनों को खारिज किया गया, उनका कारण बताएं.
आयोग ने कहा था कि ये बेहद चिंताजनक है कि साख्यिकि मंत्रालय सांसद निधि का फंड जारी करता है लेकिन उनके पास इसके खर्च से जुड़ी सटीक जानकारी नहीं है.
आयोग ने मंत्रालय को निर्देश दिया कि वे जिला प्रशासन से मिली जानकारी को सांसद-वार, निर्वाचन क्षेत्रवार और आवंटित किए गए कार्य के आधार पर रिपोर्ट प्रकाशित करें और इसे सार्वजनिक करें.
केंद्रीय सूचना आयोग ने कहा कि सांसद निधि की कुछ जानकारियां नरेंद्र सिंह तोमर के पास हैं. ये उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने द्वारा सौंपे गए कार्यों पर नज़र बनाए रखें.
आचार्युलु ने कहा कि अपने कामों के प्रति जवाबदेह और उत्तरदायी होना राजनैतिक, नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है. इसलिए नरेंद्र सिंह तोमर सौंपे गए कामों की जानकारी और सांसद निधि के लिए आए आवेदन और खारिज किए गए आवेदन के बारे में कारणों के साथ बताएं.
फिलहाल केंद्रीय सूचना आदेश का आदेश नहीं मामने और जानकारी नहीं देने की वजह से सीआईसी में मानहानि याचिका लगाई गई है, जिस पर सुनवाई होना अभी बाकी है.
नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा सूचना आयोग को दिया गया जवाब नीचे पढ़ सकते हैं.
नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा सा… by on Scribd