गिर में तीन हफ़्तों में 23 शेरों की मौत, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ध्यान दे केंद्र सरकार

गुजरात के गिर अभयारण्य में बीते 3 हफ़्तों में 23 शेरों की मौत हो चुकी है. गुजरात सरकार का कहना है कि इसके लिए कैनाइन डिस्टेम्पर वायरस और प्रोटोजोआ का संक्रमण ज़िम्मेदार है.

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फोटो: रॉयटर्स

गुजरात के गिर अभयारण्य में बीते 3 हफ़्तों में 23 शेरों की मौत हो चुकी है. गुजरात सरकार का कहना है कि इसके लिए कैनाइन डिस्टेम्पर वायरस और प्रोटोजोआ का संक्रमण ज़िम्मेदार है.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र से कहा कि गुजरात के गिर अभयारण्य में तीन सप्ताह के भीतर 23 शेरों की रहस्यमय मृत्यु के मामले पर गौर करे. ऐसा संदेह है कि किसी वायरस संक्रमण की वजह से इन शेरों की मौत हुई है.

जस्टिस मदन बी. लोकुर, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एएनएस नाडकर्णी से कहा, ‘आज हमारे सामने एकदम अजीब समस्या है. शेर मर रहे हैं. ऐसा लगता है कि वहां किसी किस्म का वायरस है. हमें मालूम नहीं. ऐसा ही अखबारों में आ रहा है. आप इसका पता लगाएं.’

पीठ को सूचित किया गया कि दुनिया में एशियाई शेरों के इस एकमात्र ठिकाने में पिछले तीन सप्ताह में 23 शेरों की मौत हो चुकी है.

अधिवक्ता ऋत्विक दत्ता ने पीठ से कहा, ‘यदि यह किसी किस्म का वायरस संक्रमण है, तो फिर इस इलाके से सारे ही शेरों का सफाया हो जायेगा.’

यह पीठ अफ्रीका में नामीबिया से भारत में चीतों को फिर से लाने से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी. उन्होंने कहा कि जिस तरह से शेरों की मौत हो रही है, उससे दूसरे जानवरों में भी यह महामारी फैलने की आशंका है.

गुजरात सरकार ने सोमवार को कहा था कि कुछ शेरों की मौत वायरस संक्रमण के कारण हुई है. उसने कहा था कि इन शेरों की मौत के जिम्मेदार वायरस की अभी पहचान होनी है.

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने शीर्ष अदालत में एक आवेदन दायर कर यह अनुरोध किया था कि न्यायालय का 2013 का फैसला भारत में उचित जगह पर अफ्रीका से लाकर चीते बसाने से प्राधिकारियों को रोकता नहीं है.

इस मामले में सुनवाई के दौरान पीठ ने नाडकर्णी से गिर अभयारण्य में शेरों की मौत के बारे में पूछा और कहा, ‘शेरों के मामले में आप क्या कर रहे हैं?’

इस पर नाडकर्णी ने पीठ से कहा कि गुजरात में शेरों से संबंधित एक मामला पहले से ही शीर्ष अदालत में लंबित है. उन्होंने कहा, ‘मैं पता लगाऊंगा.’

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सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के वकील ने पीठ से कहा कि उसने अफ्रीका से भारत में चीतों को बसाने के लिये अंतरराष्ट्रीय प्राकृतिक संरक्षण यूनियन की आवश्यकताओं का पालन किया है.

हालांकि, पीठ ने प्राधिकरण से सवाल किया कि क्या उसने इस संगठन से अनुमति प्राप्त की है. क्या उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं है. न्यायालय इस मामले में अब 29 अक्तूबर को आगे विचार करेगा.

विषाणु और प्रोटोजोआ के संक्रमण से हुई 11 बब्बर शेरों की मौत: गुजरात सरकार

गिर के जंगलों में 12 सितंबर से अब तक हुई कम से कम 11 बब्बर शेरों की मौत पर गुजरात सरकार का कहना है कि इसके लिए कैनाइन डिस्टेम्पर विषाणु (सीडीवी) और प्रोटोजोआ का संक्रमण जिम्मेदार है.

अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि फिलहाल 36 से ज्यादा शेरों को निगरानी में रखा गया है. इनमें से तीन की हालत गंभीर बताई जा रही है.

गौरतलब है कि वन विभाग पहले कई बार यह कह चुका है कि बब्बर शेरों में आपस में हुई लड़ाई के दौरान लगे जख्मों के कारण उनकी मौत हुई है. ज्ञात हो कि बब्बर शेर पूरे एशिया में सिर्फ गिर के जंगलों में बचे हुए हैं.

उन्होंने बताया कि गिर के इन बब्बर शेरों को बचाने के लिए एहतियात के तौर पर अमेरिका से 300 टीके मंगवाये गये हैं.

राज्य वन एवं पर्यावरण मंत्री गणपत वसावा ने बताया कि पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान ने अपनी जांच में पाया कि 11 शेरों में से चार में सीडीवी संक्रमण मिला जबकि बाकि सात में प्रोटोजोआ संक्रमण मिला है.

कैनाइन डिस्टेम्पर विषाणु से फैलने वाली संक्रामक बीमारी है, जिससे तमाम तरह की पशु प्रजातियां प्रभावित होती हैं. इस बीमारी से पशु की श्वसन प्रणाली, आंतें और तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है.

इससे पहले सीडीवी ने पूर्वी अफ्रीका के सेरेंगेती के जंगलों में रहने वाले शेरों में से करीब एक तिहाई की जान ले ली थी.

मालूम हो कि मंगलवार को गिर में दो और शेरों की मौत हो जाने से बीते 3 हफ़्तों में मरने वाले शेरों की संख्या 23 हो गयी है. मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने मौतों को काफी दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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