योगी सरकार के प्रवक्ता स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि प्रयागराज नाम रखे जाने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंज़ूरी प्रदान कर दी है. ऋगवेद, महाभारत और रामायण में प्रयागराज का उल्लेख मिलता है.
लखनऊ: संगम नगरी इलाहाबाद अब प्रयागराज के नाम से जानी जाएगी. उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को यह महत्वपूर्ण फैसला किया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में तय किया गया कि इलाहाबाद का नाम अब प्रयागराज होगा.
बैठक के बाद राज्य सरकार के प्रवक्ता स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने लखनऊ में संवाददाताओं को बताया कि प्रयागराज नाम रखे जाने का प्रस्ताव कैबिनेट की बैठक में आया, जिसे मंज़ूरी प्रदान कर दी गई. ऋगवेद, महाभारत और रामायण में प्रयागराज का उल्लेख मिलता है.
उन्होंने कहा कि सिर्फ़ वह ही नहीं, बल्कि समूचे इलाहाबाद की जनता, साधु और संत चाहते थे कि इलाहाबाद को प्रयागराज के नाम से जाना जाए. दो दिन पहले जब मुख्यमंत्री ने कुंभ से संबंधित एक बैठक की अध्यक्षता की थी, तो उन्होंने ख़ुद ही प्रस्ताव किया था कि इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया जाना चाहिए. सभी साधु-संतों ने सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव पर मुहर लगाई थी.
गौरतलब है कि 16वीं सदी में इलाहाबाद का नाम बादशाह अकबर के नाम पर रखा गया था. इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किए जाने की मांग अरसे से चल रही थी. राज्यपाल राम नाईक ने भी इस शहर का नाम बदले जाने पर सहमति जताई थी.
इससे पहले कुंभ के लिए मार्गदर्शक मंडल की मीटिंग में भाग लेने के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि उन्हें इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने का प्रस्ताव मिला था, सरकार इस पर बहुत जल्द फैसला लेगी.
उन्होंने कहा था, ‘प्रयाग का मतलब दो नदियों का संगम होता है. यहां तीन नदियों- गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है, इसलिए इसका नाम प्रयागराज किया जाएगा.’
टाइम्स आॅफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल मई में जब योगी आदित्यनाथ इलाहाबाद में थे तो अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल उनसे मिला था और इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने की मांग की थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इलाहाबाद कश्मीरी और बंगाली परिवारों का घर है जिनके पूर्वज यहां अध्ययन, सरकारी नौकरी या अधिवक्ता के रूप में प्रैक्टिस करने के लिए आए थे. इलाहाबाद के प्रभावशाली कश्मीरी परिवारों में नेहरू, काटजू और सप्रू शामिल हैं. इन परिवारों ने भारत की राजनीति और न्यायपालिका में उल्लेखनीय योगदान दिया है.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ से नहीं बल्कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी यूनियन से एनडी तिवारी, वीपी सिंह, मदनलाल खुराना जैसे नेता निकले हैं. वहीं भौतिकविद् मेघनाद साहा, दौलत सिंह कोठारी, रसायन विज्ञानी रतन धर आदि ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ाई की थी.
रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह, भारत रत्न पुरुषोत्तम दास टंडन आदि ने इलाहाबाद में ही अपना छात्र जीवन बिताया है.
प्रख्यात साहित्यकार फ़िराक़ गोरखपुरी, हरिवंश राय बच्चन, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, धर्मवीर भारती, डॉ. रघुवंश और राम स्वरूप चतुर्वेदी आदि इलाहाबाद में ही रहते थे.
1866 में अंग्रेज़ों द्वारा मद्रास, बॉम्बे और कलकत्ता के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट की स्थापना की गई थी. लखनऊ पीठ को मिलाकर यहां 160 जज और 90 कोर्टरूम. इसके अलावा अकेले इलाहाबाद हाईकोर्ट में 22 हज़ार वकील प्रैक्टिस करते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, इलाहाबाद हाईकोर्ट वर्तमान में देश का सबसे बड़ा हाईकोर्ट हैं. यहां से दिए गए तमाम फैसलों ने भारत की राजनीति को प्रभावित किया है. जून 1975 में जस्टिस जगमोहनलाल सिन्हा ने रायबरेली लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी की जीत को रद्द कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने देश में आपातकाल घोषित कर दिया था.
भाजपा ने फैसले का स्वागत किया, विरोधी दल नाराज़
भारतीय जनता पार्टी ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किए जाने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि जिस मानसिकता से अकबर ने प्रयागराज का नाम इलाहाबाद परिवर्तित किया था, उसी मानसिकता के लोग आज उसका नाम प्रयागराज होने पर विरोध कर रहे हैं.
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ल ने कहा, ‘अकबर ने 400 वर्ष पूर्व प्रयागराज का नाम इलाहाबाद किया था. आज उस भूल को सुधारने का काम भाजपा सरकार ने किया है.’
उन्होंने विपक्षी दलों द्वारा नाम बदले जाने का विरोध किए जाने के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘जिस मानसिकता से 15वीं शताब्दी में अकबर ने नाम परिवर्तित किया था, उसी मानसिकता के लोग आज उसका नाम प्रयागराज होने पर विरोध कर रहे हैं .’
योगी सरकार के फैसले पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि ये लोग पुन: नामकरण करके ही अपना कार्य दिखाना चाहते हैं.
कांग्रेस प्रवक्ता ओंकार सिंह ने कहा जिस क्षेत्र में कुंभ होता है, उसे प्रयागराज ही कहा जाता है और अगर सरकार इतनी ही उतावली है तो एक अलग नगर बसा सकती है लेकिन इलाहाबाद का नाम नहीं बदला जाना चाहिए.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)