छत्तीसगढ़: टाटा संयंत्र के लिए अधिग्रहित की गई आदिवासियों की ज़मीन वापस होगी

बस्तर ज़िले के लोहांडीगुड़ा में टाटा के इस्पात संयंत्र के लिए साल 2008 में अधिग्रहित की गई थी आदिवासी किसानों की ज़मीन. कांग्रेस ने घोषणापत्र में किया था ज़मीन वापस दिलाने का वादा.

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एक चुनावी सभा के दौरान जनता से मिलते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (फोटो साभार: ट्विटर/@BhupeshBaghel9)

बस्तर ज़िले के लोहांडीगुड़ा में टाटा के इस्पात संयंत्र के लिए साल 2008 में अधिग्रहित की गई थी आदिवासी किसानों की ज़मीन. कांग्रेस ने घोषणापत्र में किया था ज़मीन वापस दिलाने का वादा.

एक चुनावी सभा के दौरान जनता से मिलते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (फोटो साभार: ट्विटर/@BhupeshBaghel9)
एक चुनावी सभा के दौरान जनता से मिलते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (फोटो साभार: ट्विटर/@BhupeshBaghel9)

रायपुर: कर्जमाफी के वादे को पूरा करने के बाद छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने घोषणापत्र में किए अपने एक अन्य वादे को अमली जामा पहनाने की शुरुआत कर दी है.

सोमवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर जिले में टाटा संयंत्र के लिए अधिग्रहित भूमि किसानों को वापस करने के लिए अधिकारियों को मंत्रिपरिषद में प्रस्ताव लाने के निर्देश दिए.

मालूम हो कि आदिवासी बहुल बस्तर जिले के लोहांडीगुड़ा क्षेत्र में टाटा इस्पात संयंत्र के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहित की गयी थी.

विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने जनघोषणा पत्र में प्रदेश के किसानों से यह वादा किया गया है कि औद्योगिक उपयोग के लिए अधिग्रहित कृषि भूमि, जिसके अधिग्रहण की तारीख से 5 वर्ष के भीतर उस पर कोई परियोजना स्थापित नहीं की गई है, वह किसानों को वापस की जाएगी.

चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी बस्तर में की गई रैली के दौरान किसानों को विश्वास दिलाया था कि उन्हें उनकी जमीन वापस दिलाई जाएगी.

सोमवार को मुख्यमंत्री बघेल ने किसानों से किए गए इस वादे का उल्लेख करते हुए बस्तर जिले में टाटा इस्पात संयंत्र के लिए 10 गांवों के किसानों की अधिग्रहित जमीन वापस करने के लिए अधिकारियों को इसकी प्रक्रिया तत्काल शुरू करने के लिए कहा है.

इस फैसले के बाद द वायर  से बात करते हुए बघेल ने कहा, ‘राहुल जी ने चुनाव से पहले बस्तर में आदिवासियों से वादा किया था, हमने उस वादे को पूरा किया. यह जल, जंगल, ज़मीन पर आदिवासियों के हक़ की पुनर्स्थापना की तरह है. हम आदिवासियों का विश्वास जीतना चाहते हैं और विकास की यह दिशा ही माओवाद को अलग-थलग करेगी.’

ज्ञात हो कि टाटा संयंत्र के लिए यह जमीन फरवरी 2008 और दिसंबर 2008 में अधिग्रहित की गई थी, जिस पर अब तक संबंधित कंपनी द्वारा कोई उद्योग स्थापित नहीं किया गया है.

उस समय संयंत्र के लिए जिन गांवों में भूमि अधिग्रहण किया गया था, उनमें लोहांडीगुड़ा तहसील के अंतर्गत कुम्हली, छिंदगांव, बेलियापाल, बडांजी, दाबपाल, बड़ेपरोदा, बेलर और सिरिसगुड़ा और तोकापाल तहसील के अंतर्गत टाकरागुड़ा शामिल हैं.