सीबीआई के डीएसपी एके बस्सी ने पोर्ट ब्लेयर तबादला किए जाने को कोर्ट में दी चुनौती

जांच एजेंसी के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में दर्ज प्राथमिकी की जांच करने वाले एके बस्सी ने आरोप लगाया है कि वह जांच एजेंसी के अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव के शोषण का शिकार हैं.

सीबीआई डीएसपी एके बस्सी. (फोटो: पीटीआई)

जांच एजेंसी के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में दर्ज प्राथमिकी की जांच करने वाले एके बस्सी ने आरोप लगाया है कि वह जांच एजेंसी के अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव के शोषण का शिकार हैं.

सीबीआई डीएसपी एके बस्सी. (फोटो: पीटीआई)
सीबीआई डीएसपी एके बस्सी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो के पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) एके बस्सी ने अपने पोर्ट ब्लेयर तबादले को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. बस्सी का दावा है कि उनका तबादला दुर्भावना से प्रेरित है और इससे जांच ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की जांच प्रभावित होगी.

जांच एजेंसी के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में दर्ज प्राथमिकी की जांच करने वाले एके बस्सी ने आरोप लगाया है कि वह जांच एजेंसी के अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव के शोषण का शिकार हैं.

बस्सी ने याचिका में दावा किया है कि जांच एजेंसी के भीतर कुछ तत्वों का प्रतिनिधित्व कर रहे नागेश्वर राव नहीं चाहते कि राकेश अस्थाना की प्राथमिकी के मामले में याचिकाकर्ता स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से जांच करे.

सीबीआई के इस अधिकारी ने याचिका में कहा है कि नागेश्वर राव ने ही 24 अक्टूबर, 2018 को भी उनका तबादला पोर्ट ब्लेयर किया था और एक बार फिर वह आलोक वर्मा प्रकरण में शीर्ष अदालत के फैसले की अनदेखी करते हुए उन्हें अंडमान निकोबार भेज रहे हैं.

बस्सी ने अपनी याचिका में जांच ब्यूरो के अंतरिम निदेशक के 11 जनवरी के तबादला आदेश को चुनौती देते हुए कहा है कि इससे जांच एजेंसी के पूर्व निदेशक आलोक कुमार वर्मा के मामले में न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन होता है.

शीर्ष अदालत के आठ जनवरी के फैसले के बाद आलोक वर्मा को जांच एजेंसी के निदेशक पद पर बहाल कर दिया गया था परंतु दो दिन बाद ही उन्हें उच्चस्तरीय समिति ने भ्रष्टाचार और जिम्मेदारियों के निर्वहन में लापरवाही के आरोप में पद से हटा दिया था.

शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में बस्सी सहित उन सभी अधिकारियों, जिनका वर्मा को छुट्टी पर भेजने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद अलग-अलग स्थानों पर तबादला किया गया था, से कहा था कि वे अपने तबादलों के मामले में उचित मंच से संपर्क करें.

इस अधिकारी के अनुसार वर्मा की बहाली के बाद नौ जनवरी को उन्होंने जांच एजेंसी के निदेशक को एक प्रतिवेदन दिया था जिस पर उनका वापस दिल्ली तबादला कर दिया गया था.

बस्सी ने अपनी याचिका में कहा है कि उनका तबादला करने का आदेश ऐसे अधिकारी ने दिया है जो ऐसे आदेश देने के लिए सक्षम नहीं है. याचिका में कहा गया है कि इस आदेश का मकसद उनका शोषण करना है और यह राकेश अस्थाना के खिलाफ 15 अक्टूबर, 2018 को दर्ज प्राथमिकी की जांच को अनुचित तरीके से प्रभावित करने वाला है.

बस्सी ने याचिका में यह भी कहा है कि वह अस्थाना से संबंधित प्राथमिकी की जांच करने वाले जांच दल या किसी अन्य मामले की जांच कर रहे ब्यूरो के दल का हिस्सा बनने का दावा नहीं कर रहे हैं.

इससे पहले बीते 30 अक्टूबर को भी, राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच कर रहे सीबीआई अफसर एके बस्सी ने अपनी तबादले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. बीते 24 अक्टूबर को केंद्र सरकार द्वारा सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजे जाने के बाद अस्थाना के खिलाफ जांच कर रहे 13 सीबीआई अफसरों का भी तबादला कर दिया गया था.

आलोक वर्मा के डिप्टी एसपी एके बस्सी इनमें से एक थे. वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के बाद सीबीआई के अंतरिम निदेशक बनाए गए एम. नागेश्वर राव के आदेश पर एके बस्सी का अंडमान व निकोबार के पोर्ट ब्लेयर में तबादला कर दिया गया था और उन्हें वहां सीबीआई की भ्रष्टाचार विरोधी शाखा का डिप्टी एसपी नियुक्त किया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)