जीडीपी घटकर 6.6 फीसदी पर पहुंची, पिछले 15 महीनों में सबसे कम दर

कृषि और विनिर्माण क्षेत्र के कमज़ोर प्रदर्शन और उपभोक्ता मांग घटने से जीडीपी की रफ़्तार कम हुई है.

(फोटो: रॉयटर्स)

कृषि और विनिर्माण क्षेत्र के कमज़ोर प्रदर्शन और उपभोक्ता मांग घटने से जीडीपी की रफ़्तार कम हुई है.

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नई दिल्लीः वित्त वर्ष 2018-19 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में आर्थिक वृद्धि दर (जीडीपी) घटकर 6.6 फीसदी हो गई है. यह दर पिछली पांच तिमाही यानी 15 महीनों में सबसे कम है. गुरुवार को जारी सरकारी आकंड़ों से यह जानकारी मिली.

कृषि और विनिर्माण क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन और उपभोक्ता मांग घटने से जीडीपी की रफ्तार कम हुई है.

हालांकि, तीसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर धीमी पड़ने के बावजूद भारत अब भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है. चीन की आर्थिक वृद्धि दर दिसंबर में समाप्त तिमाही में 6.4 प्रतिशत रही.

इसके साथ ही 31 मार्च को समाप्त होने जा रहे चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के सात फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है जबकि इससे पहले जीडीपी के 7.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था.

जीडीपी का संशोधित अनुमान यानी सात प्रतिशत वृद्धि का अनुमान अगर सही साबित होता है तो यह पिछले पांच साल की सबसे कम वृद्धि होगी. तीसरी तिमाही की वृद्धि दर इससे पिछली तिमाही के संशोधित अनुमान 7 फीसदी और अप्रैल-जून तिमाही में 8 फीसदी के अनुमान से कम है.

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर तिमाही में उपभोक्ता व्यय 8.4 फीसदी रहा जो पिछली तिमाही में 9.9 फीसदी था.

कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर आलोच्य तिमाही में कम होकर 2.7 फीसदी रही जो दूसरी और पहली तिमाही में क्रमश: 4.2 फीसदी और 4.6 फीसदी रही.

वहीं दूसरी तरफ रिफाइनरी उत्पादों और बिजली उत्पादन में कमी से आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर जनवरी 2019 में कम होकर 19 महीने के न्यूनतम स्तर 1.8 प्रतिशत रही जो दिसंबर 2018 में 2.7 फीसदी थी. वहीं पिछले साल के जनवरी महीने में यह 6.2 फीसदी थी.

बिजली क्षेत्र में जनवरी महीने में 0.4 प्रतिशत की गिरावट आयी जो 71 महीने में सबसे कम है. फरवरी 2013 के बाद क्षेत्र में गिरावट हुई है.

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत ने कहा कि अर्थव्यवस्था का आकार 2018-19 में 190.54 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है. पूर्व में इसके 188.41 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान रखा गया था. इससे सरकार को 2018-19 में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी.

हालांकि, चालू वित्त वर्ष में जनवरी तक राजकोषीय घाटा इसके तय लक्ष्य का 121.5 फीसदी तक पहुंच गया.

उन्होंने कहा, ‘वित्त वर्ष 2018-19 में जीडीपी दर सात फीसदी रहने का अनुमान बताता है कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार कुछ हल्की हो रही है. चौथी तिमाही में 6.5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि हासिल होने पर 2018-19 में वृद्धि दर 7 प्रतिशत हो पाएगी.’

सीएसओ के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 2.7 फीसदी, विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 8.1 फीसदी रहने का अनुमान है. हालांकि व्यापार, होटल और परिवहन क्षेत्र की वृद्धि दर कम होकर 6.8 प्रतिशत रहने की संभावना है.

पंत ने बुनियादी उद्योग की वृद्धि दर के बारे में कहा, ‘अक्टूबर महीने से बुनियादी उद्योग की वृद्धि दर में गिरावट औद्योगिक गतिविधियों में कमजोर रुख और दूसरी छमाही में सुस्त आर्थिक वृद्धि का संकेत देता है। जनवरी 2019 में औद्योगिक वृद्धि दर में कमी की आशंका थी.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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