बीते मार्च में डीजी वंजारा और एनके अमीन ने सीबीआई की विशेष अदालत में एक याचिका दाखिल करते हुए उन्हें तत्काल इस मामले में बरी करने की मांग की थी. इससे पहले गुजरात सरकार ने सीबीआई को दोनों पूर्व अधिकारियों के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने की मंज़ूरी देने से इनकार कर दिया था.
नई दिल्ली: इशरत जहां कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में पूर्व पुलिस अधिकारियों डीजी वंजारा और एनके अमीन के ख़िलाफ़ सुनवाई रोकते हुए सीबीआई की एक विशेष अदालत ने बृहस्पतिवार को उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया.
जस्टिस जेके पांड्या की विशेष सीबीआई अदालत ने पूर्व पुलिस अधिकारियों डीजी वंजारा और एनके अमीन द्वारा ख़िलाफ़ दाख़िल दो याचिकाओं पर बीते 30 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रख लिया था.
Ahmedabad: Special CBI Court of Justice JK Pandya accepts the applications of retired police officers DG Vanzara and NK Amin seeking dropping of proceedings against them in Ishrat Jahan fake encounter. The court had concluded hearing in the case on April 16.
— ANI (@ANI) May 2, 2019
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, फैसला आने के बाद वंजारा के वकील विनोद गज्जर ने कहा, अदालत के आदेश यह साबित होता है कि मुठभेड़ वास्तविक थी.
इस साल 26 मार्च को इन दोनों सेवानिवृत्त अधिकारियों ने याचिका दाखिल करते हुए मांग की थी कि उन्हें तत्काल इस मामले में बरी किया जाए. इसके साथ ही उन्होंने यह भी मांग की थी कि इस मामले में बिना कोई देरी किए हुए सुनवाई रोक दी जाए.
उन्होंने यह याचिका गुजरात सरकार के उस फैसले के बाद दाख़िल की थी जिसमें उसने सीबीआई को दोनों पूर्व अधिकारियों के ख़िलाफ़ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया था.
बता दें कि भारतीय दंड संहिता (सीआरपीसी) की धारा 197 के अनुसार, आधिकारिक ड्यूटी पर तैनात रहने के दौरान किसी सरकारी कर्मचारी पर अगर उसके कार्यों के लिए मुकदमा चलाना है तो सरकार की मंजूरी लेना आवश्यक होता है.
अदालत में इशरत की मां शमीमा कौसर ने कहा था कि याचिकाएं कानून और तथ्य के आधार पर आधारहीन हैं और राज्य सरकार दोनों अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी से इनकार करने के लिए उपयुक्त प्राधिकारी नहीं थी.
बता दें कि इससे पहले पिछले साल फरवरी में विशेष सीबीआई अदालत ने इशरत जहां और तीन अन्य के कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में गुजरात के पूर्व प्रभारी पुलिस महानिदेशक पीपी पांडे को आरोप मुक्त कर चुकी है.
विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश जेके पांड्या ने पांडे को आरोप मुक्त करने की अर्जी इस आधार पर स्वीकार कर ली थी कि इशरत जहां एवं तीन अन्य के अपहरण एवं उनकी हत्या के संबंध में उनके विरुद्ध कोई सबूत नहीं है.
सीबीआई ने इस मामले की जांच की थी और उसने अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के तत्कालीन प्रमुख पांडे पर कथित फर्जी मुठभेड़ में शामिल होने का आरोप लगाया था.
अदालत ने यह भी कहा था कि गवाहों की गवाही विरोधाभासी है क्योंकि उन्होंने विभिन्न जांच एजेंसियों के सामने अलग-अलग गवाही दी है.
अदालत ने कहा था कि पांडे सरकारी सेवक थे लेकिन सीआरपीसी की धारा 197 के अनुसार उनके विरुद्ध आरोप पत्र दायर करने से पहले जांच अधिकारी ने सरकार से उन पर मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं ली.
बता दें कि वंजारा और अमीन उन सात आरोपियों में शामिल हैं जिनके खिलाफ इस मामले में सीबीआई ने आरोपपत्र दाखिल किए हैं. वंजारा पूर्व पुलिस उप महानिरीक्षक हैं और अमीन सेवानिवृत्त पुलिस अधीक्षक हैं.
पूर्व डीआईजी) वंजारा और पूर्व पुलिस अधीक्षक अमीन गुजरात के उन सात पुलिस अधिकारियों में शामिल हैं, जिनके खिलाफ 2013 में सीबीआई ने जून 2004 में अहमदाबाद के बाहरी इलाके में हुई मुंबई के समीप मुंब्रा की 19 वर्षीय कॉलेज छात्रा इशरत जहां, उसके दोस्त प्रणेश पिल्लई उर्फ जावेद शेख और दो कथित पाकिस्तानी नागरिक – जीशान जौहर और अमजियाली राणा की हत्या के आरोप में केस दायर किया था.
गुजरात पुलिस ने तब दावा किया था कि ये चारों आतंकवादी थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने आए थे.