एयर इंडिया की कर्मचारी यूनियनों ने कंपनी के निजीकरण की कोशिशों का किया विरोध

आर्थिक संकट से जूझ रही एयर इंडिया के कर्मचारियों एवं अधिकारियों की दर्जन भर से अधिक यूनियनों का कहना है कि निजीकरण समस्या का समाधान नहीं है.

(फोटो: रॉयटर्स)

आर्थिक संकट से जूझ रही एयर इंडिया के कर्मचारियों एवं अधिकारियों की दर्जन भर से अधिक यूनियनों का कहना है कि निजीकरण समस्या का समाधान नहीं है.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

मुंबई/नई दिल्ली: एयर इंडिया कर्मचारियों एवं अधिकारियों की दर्जन भर से अधिक यूनियनों ने अपनी नौकरियों की चिंता को लेकर वित्तीय संकट से जूझ रही एयरलाइन को बेचने की सरकार की दूसरी कोशिश का कड़ा विरोध जताया है. यूनियन से जुड़े सूत्रों ने प्रबंधन के साथ बैठक के बाद यह जानकारी दी.

बजट की घोषणाओं के बाद तत्काल हरकत में आए एयर इंडिया के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने बीते पांच जुलाई को ही निजीकरण की योजना पर चर्चा को लेकर सोमवार को सभी 13 यूनियनों की बैठक बुलाई थी.

मीडिया में चल रही खबरों में कहा गया है कि सरकार ने प्रक्रिया पूरी करने के लिए अक्टूबर तक की समयसीमा तय की है.

निवेश और सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव अतनु चक्रवर्ती ने बीते सात जुलाई को कहा था कि एयर इंडिया की बिक्री का काम 4-5 महीने में पूरी होने की उम्मीद है.

यूनियन के एक पदाधिकारी ने प्रबंधन के साथ बैठक खत्म होने के बाद बताया, ‘13 यूनियनों के मंच ने निजीकरण के विरोध का फैसला किया है.’

सूत्र ने बताया कि करीब दो घंटे तक चली बैठक के बाद विभिन्न यूनियनों के प्रतिनिधियों ने प्रबंधन को बताया कि वे एयरलाइन के कायापलट के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं, लेकिन किसी भी कीमत पर निजीकरण को स्वीकार नहीं करेंगे.

पहले कार्यकाल के दौरान भी मोदी सरकार ने एयरलाइन कारोबार से निकलने की कोशिश की थी लेकिन खरीदार नहीं मिलने के कारण उसे अपना फैसला टालना पड़ा था.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने बजट पेश करते हुए कहा, ‘वर्तमान वृहद आर्थिक मानकों को देखते हुए सरकार न सिर्फ एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रिया फिर से शुरू करेगी बल्कि अन्य केंद्रीय उद्यमों में निजी क्षेत्र की भागीदारी की पेशकश करेगी.’

एयर इंडिया के कर्मचारियों की यूनियन लगातार कंपनी के निजीकरण का विरोध करती रही है. किंगफिशर और जेट एयरवेज का उदाहरण देते हुए उनका कहना है कि निजीकरण इस समस्या का समाधान नहीं है.

मीटिंग में एयर कॉरपोरेशन एम्प्लॉइज यूनियन, एयर इंडिया एम्प्लॉइज यूनियन, इंडियन एयरलाइंस टेक्निशियंस एसोसिएशन, ऑल इंडिया एयरक्राफ्ट इंजीनियर्स एसोसिएशन, इंडियन कॉमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन, इंडियन पायलट्स गिल्ड, एयर इंडिया एयरक्राफ्ट इंजीनियर्स एसोसिएशन, एयर इंडिया केबिन क्रू एसोसिएशन, एयर इंडिया इंजीनियर्स एसोसिएशन, एविएशन इंडस्ट्री एम्प्लॉइज गिल्ड, ऑल इंडिया सर्विस इंजीनियर्स एसोसिएशन और यूनाइटेड एयर इंडिया ऑफिसर्स एसोसिएशन आदि शामिल थे.

एयर इंडिया की बिक्री का काम 4-5 महीने में पूरी होने की उम्मीद: दीपम सचिव

केंद्र सरकार को उम्मीद है कि राष्ट्रीय एयरलाइन एअर इंडिया की बिक्री चार-पांच माह में पूरी कर ली जाएगी. वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी बीते सात जुलाई को दी थी.

निवेश और सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव अतनु चक्रवर्ती ने कहा था कि चालू वित्त वर्ष में 1.05 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य में एयर इंडिया की बिक्री शामिल नहीं है. सरकार संभावित खरीददार को एयर इंडिया की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री की पेशकश कर सकती है. एयर इंडिया स्पेसिफिक अल्टरनेटिव मैकेनिज्म (एआईएसएएम) इस बाबत अंतिम निर्णय करेगा.

एआईएसएएम असल में इस संबंध में निर्णय लेने वाला मंत्रियों का एक समूह है.

चक्रवर्ती ने कहा, ‘खरीददार द्वारा चेक दिए जाने के बाद ही आखिरकार यह (एयर इंडिया) बिकेगा और इसे पूरा करने के लिए कुछ आवश्यक शर्तें भी हैं. मैं अगले चार-पांच महीनों में इसकी उम्मीद कर रहा हूं.’

उन्होंने कहा, ‘अगर पहले नहीं हो सका तो हम इसे दिवाली तक पूरा करने की कोशिश करेंगे.’

मालूम हो कि केंद्रीय बजट में नागरिक विमानन मंत्रालय को मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 4,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. यह पिछले वित्त वर्ष (2018-19) में आवंटित 9,700 करोड़ रुपये से 115 फीसदी कम है. वित्त वर्ष 2018-2019 के अंत तक एयर इंडिया पर 58,300 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का कर्ज था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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