आरटीआई कार्यकर्ता अमित जेठवा हत्या मामले में भाजपा के पूर्व सांसद समेत सात को उम्रक़ैद

आरटीआई कार्यकर्ता अमित जेठवा ने गिर वन क्षेत्र में अवैध खनन गतिविधियों को सामने लाने का प्रयास किया था, जिसके चलते 2010 में गुजरात हाईकोर्ट के बाहर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी.

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आरटीआई कार्यकर्ता अमित जेठवा ने गिर वन क्षेत्र में अवैध खनन गतिविधियों को सामने लाने का प्रयास किया था, जिसके चलते 2010 में गुजरात हाईकोर्ट के बाहर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी.

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अपनी पत्नी और बच्चों के साथ आरटीआई कार्यकर्ता अमित जेठवा (फोटो साभारः दमयंती धर)

अहमदाबादः सीबीआई की एक विशेष अदालत ने साल 2010 में आरटीआई कार्यकर्ता अमित जेठवा की हत्या के लिए भाजपा के पूर्व सांसद दीनू सोलंकी और छह अन्य को बृहस्पतिवार को उम्रकैद की सजा सुनाई.

आरटीआई कार्यकर्ता अमित जेठवा ने गिर वन क्षेत्र में अवैध खनन गतिविधियों को सामने लाने का प्रयास किया था, जिसके चलते 2010 में गुजरात हाईकोर्ट के बाहर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी.

सीबीआई के विशेष न्यायाधीश केएम दवे ने बृहस्पतिवार को सजा का ऐलान किया. उन्होंने सोलंकी और उसके भतीजे पर 15-15 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. उसका भतीजा भी मामले में आरोपी है.

अदालत ने फैसला सुनाते हुए सोलंकी और उसके भतीजे शिवा सोलंकी और पांच अन्य को हत्या तथा इसकी साजिश रचने का दोषी ठहराया. सोलंकी 2009 से 2014 तक जूनागढ़ के सांसद रह चुके हैं.

पिछले हफ्ते अदालत ने सभी आरोपियों को हत्या और आपराधिक साजिश रचने के आरोप में दोषी करार दिया था.

मामले में दोषी पाए गए पांच अन्य आरोपियों में शैलेष पंड्या, बहादुर सिंह वढेर, पंचेन जी देसाई, संजय चौहान और उदयजी ठाकोर शामिल हैं.

पेशे से वकील जेठवा की गिर वन्यजीव अभयारण्य और उसके आसपास अवैध खनन का आरटीआई आवेदनों के जरिये खुलासा करने को लेकर गोली मारकर हत्या कर दी गई. इन खनन गतिविधियों में सोलंकी शामिल था. जेठवा ने 2010 में गिर वन क्षेत्र में अवैध खनन गतिविधियों के खिलाफ हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की थी.

दीनू सोलंकी और शिव सोलंकी याचिका में प्रतिवादी बनाए गए थे. जेठवा ने अवैध खनन में उनकी संलिप्तता को उजागर करने के लिए कई दस्तावेज पेश किए थे.

शुरुआत में अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा ने मामले की जांच की और दीनू सोलंकी को क्लीनचिट दे दी थी. इस जनहित याचिका पर सुनवाई के समय ही गुजरात हाईकोर्ट के बाहर 20 जुलाई 2010 को जेठवा की हत्या कर दी गई थी.

मृतक के पिता भीखाभाई जेठवा के हाईकोर्ट का रुख करने के बाद अदालत ने जांच पर असंतोष जताते हुए साल 2013 में मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया था.

सीबीआई ने नवंबर 2013 में सोलंकी और छह अन्यों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था. मई 2016 में उनके खिलाफ हत्या और आपराधिक षडयंत्र के आरोप तय किए गए. अदालत ने 2017 में नए सिरे से मामला चलाने के आदेश दिए.

जेठवा के पिता भिखाभाई ने बीते शनिवार को आरोपियों को दोषी ठहराने के फैसले को भारतीय न्याय प्रणाली और संविधान की जीत बताया था. उन्होंने हाईकोर्ट से कहा था कि आरोपियों द्वारा दबाव डालने के चलते करीब 105 गवाह मुकर गए.

मृतक आरटीआई कार्यकर्ता के पिता भिखाभाई जेठवा ने अदालत के फैसले के बाद कहा, ‘हमारी न्यायपालिका समय लेती है लेकिन उसने आखिरकार हमारे परिवार को न्याय प्रदान किया. यहां तक कि सोलंकी जैसे अपराधी से भी न्याय किया.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)