सत्यापन किए बिना 500 करोड़ रुपये की कृषि आय को टैक्स से छूट दी गई: कैग

कैग ने इस बात को लेकर चेताया है कि अगर बिना सत्यापन के कृषि आय के तहत टैक्स छूट दी जाती रहेगी तो इसकी आड़ में बेहिसाब काला धन आने की आशंका है.

Karad: Farmers plough their field as they sow soyabean at a field in Ghogaon village near Karad, Friday, July 5, 2019. Finance Minister Nirmala Sitharaman said the government will invest widely in agriculture infrastructure and support private entrepreneurship for value addition in farm sector. (PTI Photo) (PTI7_5_2019_000217B)
Karad: Farmers plough their field as they sow soyabean at a field in Ghogaon village near Karad, Friday, July 5, 2019. Finance Minister Nirmala Sitharaman said the government will invest widely in agriculture infrastructure and support private entrepreneurship for value addition in farm sector. (PTI Photo) (PTI7_5_2019_000217B)

कैग ने इस बात को लेकर चेताया है कि अगर बिना सत्यापन के कृषि आय के तहत टैक्स छूट दी जाती रहेगी तो इसकी आड़ में बेहिसाब काला धन आने की आशंका है.

Karad: Farmers plough their field as they sow soyabean at a field in Ghogaon village near Karad, Friday, July 5, 2019. Finance Minister Nirmala Sitharaman said the government will invest widely in agriculture infrastructure and support private entrepreneurship for value addition in farm sector. (PTI Photo) (PTI7_5_2019_000217B)
(प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई)

नई दिल्ली: भारत में कृषि के जरिये हुई कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता है. कृषि आय को टैक्स छूट की श्रेणी में रखा गया है.

लेकिन भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षण (कैग) की हालिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बिना सत्यापन किए 500 करोड़ रुपये के कृषि आय को टैक्स छूट दिया गया.

कैग ने पाया कि आयकर विभाग इसे लेकर सत्यापन नहीं किया कि जिस 500 करोड़ रुपये को कृषि आय घोषित किया गया है, क्या ये वाकई कृषि के जरिए हुई आय है या इसका कोई अन्य स्रोत है. इस प्रक्रिया का पालन किए बगैर ही आयकर विभाग ने 500 करोड़ की आय को टैक्स छूट दे दिया.

कैग ने कुल 6,778 आयकर रिटर्न का अध्ययन किया और पाया कि 1,527 मामलों में (22%) प्रदान किए गए दस्तावेज अपर्याप्त थे. इन मामलों में, 716 में भूमि रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं थे. अन्य 1,270 मामलों में कृषि आय के प्रमाण जैसे कि खाता बही, बिल और इनवॉइस उपलब्ध नहीं थे.

इस तरह के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु से सामने आए. उदाहरण के तौर पर, महाराष्ट्र में 484 मामलों में से 303 (63%) में कैग ने पाया कि पर्याप्त दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया गया था. लेकिन, आयकर विभाग ने इस आय को कृषि आय घोषित किया.

कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘इसलिए यह स्पष्ट नहीं पाया कि मूल्यांकन करने वाले अधिकारी ने किस तरीके से इन मामलों में टैक्स छूट दी और उनके इस दावे पर सवालिया निशान खड़ा होता है कि जिन्हें टैक्स छूट दी गई है वो इसके लिए योग्य थे.’

ऑडिटर ने ये भी कहा कि कई सारे ऐसे मामले सामने आए जहां जरूरी दस्तावेज दिखाए बगैर ही आय को कृषि आय घोषित कर दिया गया. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता रहा तो कृषि आय की आड़ में बेहिसाब काला धन आने की आशंका है.

रिपोर्ट में गणना में कई त्रुटियां, व्यावसायिक व्यय के गलत भत्ते के उदाहरण, ब्याज की वसूली में गलतियां, मूल्य में कमी की अनुमति में अनियमितता आदि शामिल हैं.

कैग की ये रिपोर्ट टैक्स से छूट प्राप्त की श्रेणी में आने वाले ‘कृषि एवं चैरिटेबल ट्रस्ट आय’ पर केंद्रित है. ऑडिटर ने इस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला इसलिए किया क्योंकि इससे पहले की रिपोर्ट में देखा गया था कि गैर-कृषि आय को कृषि से आय के रूप में दिखाया जा रहा है और इस तरह से लोग टैक्स देने से बच रहे हैं.

कैग ने सुझाव दिया है कि आयकर विभाग एक निश्चित सीमा से ऊपर, उदाहरण के तौर पर 10 लाख, के सभी मामलों की फिर से जांच करे और इस बात का सत्यापन करे कि जिन्हें कृषि आय के आधार पर टैक्स छूट दी गई है वो पात्र हैं या नहीं.

कैग ने ये भी सुझाव दिया है कि आयकर विभाग अपने पूरे सिस्टम को और मजबूत करे ताकि कोई भी गलत तरीके से टैक्स छूट न प्राप्त कर सके.

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