आरबीआई द्वारा लगाई गई पाबंदी के तहत लक्ष्मी निवास बैंक पर कर्ज देने, नई शाखाएं खोलने और लाभांश का भुगतान करने पर रोक लग गई है.
नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने निजी क्षेत्र के लक्ष्मी विलास बैंक पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उसे प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) फ्रेमवर्क में डाल दिया है, जिसके तहत बैंक नए कर्ज नहीं दे सकता और न ही नई शाखा खोल सकता है.
अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक, बैंक का कहना है कि नेट एनपीए ज्यादा होने, अपर्याप्त कैपिटल टू रिस्क वेटेड असेट्स रेश्यो (सीआरएआर) और कॉमन इक्विटी टियर 1 (सीईटी1) जैसी वजहों से आरबीआई ने यह कार्रवाई की है.
पीसीए के तहत लक्ष्मी निवास बैंक पर कर्ज देने, नई शाखाएं खोलने और लाभांश का भुगतान करने पर रोक लग गयी है. बैंक को चुनिंदा क्षेत्रों को दिये ऋण में कमी लाने पर भी काम करना होगा.
रिजर्व बैंक ने यह कार्रवाई ऐसे समय में की है जब दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने 790 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में लक्ष्मी विलास बैंक के निदेशक मंडल के खिलाफ मामला दर्ज किया है. यह मुकदमा पुलिस ने वित्तीय सेवा कंपनी रेलिगेयर फिनवेस्ट की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए किया है.
दिल्ली पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में रेलिगेयर ने कहा है कि उसने 790 करोड़ रुपये की एक एफडी बैंक में की थी, जिसमें से हेराफेरी की गई है.
पुलिस ने कहा कि शुरुआती जांच में ऐसा लग रहा है कि पैसों में हेराफेरी योजनाबद्ध तरीके से की गई है. फिलहाल पुलिस ने बैंक के निदेशकों के खिलाफ धोखाधड़ी, विश्वासघात, हेराफेरी व साजिश का मुकदमा दर्ज किया है.
आरबीआई के इस कदम से इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस का लक्ष्मी विलास बैंक में प्रस्तावित विलय पर असर पड़ सकता है. विलय को अभी रिजर्व बैंक से मंजूरी नहीं मिली है.
रिजर्व बैंक ने 31 मार्च 2019 को समाप्त वित्त वर्ष के लिये जोखिम की निगरानी के तहत हुई जांच के बाद यह कार्रवाई शुरू की है.
वित्त वर्ष 2018-19 में लक्ष्मी निवास बैंक का शुद्ध एनपीए 7.49 प्रतिशत, पूंजी पर्याप्तता अनुपात 7.72 प्रतिशत रहा और संपत्तियों पर 2.32 प्रतिशत नुकसान हुआ. इस दौरान बैंक को 894.10 करोड़ रुपये का घाटा हुआ.
लक्ष्मी निवास बैंक ने कहा कि रिजर्व बैंक की कार्रवाई से उसका प्रदर्शन बेहतर होगा और सामान्य तौर पर जमा स्वीकार करने या पुनर्भुगतान समेत उसके दैनिक परिचालन पर प्रतिकूल असर नहीं होगा.
बैंक ने अलग से बीएसई को बताया कि उसे प्रतिभूति कर 1,000 करोड़ रुपये की पूंजी जुटाने के लिये शेयरधारकों की मंजूरी मिल गयी है.
आपको बता दें कि आरबीआई किसी बैंक को पीसीए फ्रेमवर्क में उस समय डालता है, जब उसे लगता है कि किसी बैंक की आय नहीं हो रही है या उसका नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) बढ़ रहा है.
गौरतलब है कि पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक (पीएमसी) में वित्तीय गड़बड़ियों के सामने आने के बाद आरबीआई ने इसी हफ्ते बैंक पर कई प्रतिबंध लगा दिये थे.
पहले ग्राहकों के लिए 6 महीने में निकासी की सीमा 1,000 रुपये रखी गई थी लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर दस हजार रुपये कर दिया गया.
हालांकि, इस दौरान पीएमसी बैंक न तो लोन दे सकता है और न ही कोई निवेश कर सकता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)