केंद्र सरकार पहले भी राजकोषीय घाटा कम करने के लिए आरबीआई से अंतरिम लाभांश ले चुकी है. पिछले साल सरकार ने आरबीआई से 28 हजार करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश लिया था. इससे पहले 2017-18 में इस तरह से 10 हजार करोड़ रुपये लिए गए थे.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार राजकोषीय घाटा के लक्ष्य को पाने के लिये इस वित्त वर्ष के अंत तक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से करीब 30 हजार करोड़ रुपये के अंतरिम लाभांश की मांग कर सकती है. सूत्रों ने इसकी जानकारी दी.
राजस्व संग्रह में कमी तथा चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में छह साल के निचले स्तर पर पहुंची वृद्धि दर को 5 प्रतिशत से ऊपर उठाने के लिए किए गए उपायों के कारण सरकार के वित्त संसाधनों पर दबाव है.
एक अधिकारी ने कहा, ‘यदि आवश्यकता हुई तो केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक से 25-30 हजार करोड़ रुपये के अंतरिम लाभांश की मांग कर सकती है.’ उन्होंने कहा कि इस बारे में जनवरी की शुरुआत में आकलन किया जाएगा.
सूत्रों ने कहा कि रिजर्व बैंक के लाभांश के अतिरिक्त विनिवेश को बढ़ाने और राष्ट्रीय लघु बचत कोष का अधिक इस्तेमाल करने समेत कुछ अन्य साधन भी हैं.
सरकार पहले भी राजकोषीय घाटा कम करने के लिये रिजर्व बैंक से अंतरिम लाभांश ले चुकी है. पिछले साल सरकार ने रिजर्व बैंक से 28 हजार करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश लिया था. इससे पहले 2017-18 में इस तरह से 10 हजार करोड़ रुपये लिये गये थे.
पिछले महीने गवर्नर शक्तिकांत दास के नेतृत्व वाले आरबीआई केंद्रीय बोर्ड ने सरकार को 1,76,051 करोड़ की राशि हस्तांतरित करने के लिए अपनी मंजूरी दी थी, जिसमें वर्ष 2018-19 के लिए 1,23,414 करोड़ रुपये का अधिशेष और 52,637 करोड़ रुपये के अतिरिक्त प्रावधान शामिल थे. अतिरिक्त प्रावधान की यह राशि आरबीआई की आर्थिक पूंजी से संबंधी संशोधित नियमों (ईसीएफ) के आधार पर निकाला गया है.
कुल राशि में से 28 हजार करोड़ रुपये सरकार को अंतरिम लाभांश के रूप में पहले ही ट्रांसफर किया जा चुका है.
बता दें कि, बजट 2019-20 में चालू वित्त वर्ष के लिए सकल ऋण को 7.10 लाख करोड़ रुपये आंका गया है. यह राशि 2018-19 के वित्तीय वर्ष के लिए सकल ऋण से ज्यादा है, जो कि 5.35 लाख करोड़ था.
वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के दौरान सरकार की सकल उधारी 4.42 लाख करोड़ होगी, जो पूरे वर्ष के कुल लक्ष्य का 62.3 प्रतिशत है.
अर्थव्यवस्था को छह साल में सबसे कम वृद्धि दर और 45 साल की सबसे अधिक बेरोजगारी से निकालने के लिए सरकार निजी निवेश बढ़ाने पर जोर दे रही है और इसके लिए कॉरपोरेट टैक्स दर में लगभग 10 प्रतिशत की कटौती करने जैसे उपायों को अपना रही है.
कॉर्पोरेट टैक्स घटाने और अन्य रियायतों से सरकार के खजाने पर 1.45 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा.
इसके साथ ही सरकार ने घरेलू पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स के साथ विदेशी पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स के के लिए दीर्घावधि और अल्पकालिक पूंजीगत लाभ पर बढ़ा सरचार्ज भी वापस ले लिया है, जिससे सरकार के खजाने पर 1400 करोड़ का बोझ बढ़ेगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)