बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई की आरे कॉलोनी को वन क्षेत्र घोषित करने की सभी याचिकाओं को ख़ारिज करते हुए कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के समक्ष लंबित है, इसलिए हम इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते.
मुंबईः बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरे कॉलोनी को वन क्षेत्र घोषित करने और वहां पेड़ों की कटाई संबंधी बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) का फैसला रद्द करने को लेकर दायर याचिकाओं को शुक्रवार को खारिज कर दिया.
अदालत ने इन याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि पर्यावरणविद नाकाम रहे हैं.
मालूम हो कि बीएमसी ने इस हरित क्षेत्र में मेट्रो कार शेड के लिए तकरीबन 2,600 पेड़ों को काटने की मंजूरी दी थी.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो साल से पर्यावरणविद् आरे कॉलोनी में कार शेड बनाने के लिए बीएमसी के वृक्ष प्राधिकरण द्वारा आरे कॉलोनी में तकरीबन 2700 पेड़ों को काटने की मंज़ूरी दिए जाने के निर्णय के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. आरे में पांच लाख से ज़्यादा पेड़ हैं.
इसके अलावा अदालत ने बीएमसी के वृक्ष प्राधिकरण की मंजूरी के खिलाफ याचिका दायर करने वाले शिवसेना पार्षद यशवंत जाधव पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जाधव खुद भी वृक्ष प्राधिकरण के सदस्य हैं.
बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंदराजोग और जस्टिस भारती डांगरे की पीठ ने मुंबई में गोरेगांव की आरे कॉलोनी के संबंध में एनजीओ और पर्यावरण कार्यकर्ताओं द्वारा चार याचिकाओं को खारिज कर दिया. गोरेगांव, मुंबई का प्रमुख हरित क्षेत्र है.
Maharashtra: Bombay High Court has dismissed all petitions against BMC decision which allowed felling of more than 2700 trees in Mumbai’s Aarey forest for metro car shed. pic.twitter.com/doCrwddxKQ
— ANI (@ANI) October 4, 2019
खंडपीठ ने आरे कॉलोनी को हरित क्षेत्र घोषित करने के संबंध में गैर सरकारी संगठन ‘वनशक्ति’ की याचिका भी खारिज कर दी.
अदालत ने कार्यकर्ता जोरु बथेना की याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें आरे कॉलोनी को बाढ़ क्षेत्र घोषित करने का अनुरोध किया गया था और मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को कार शेड बनाने के लिए आरे कॉलोनी में 2,656 पेड़ काटने की बीएमसी की मंजूरी को भी चुनौती दी गई थी.
अदालत ने कहा, ‘पर्यावरणविदों ने इसलिए याचिकाएं दायर की क्योंकि कानून के तहत अपनाई जाने वाली प्रक्रिया से उनका संपर्क खत्म हो चुका है. घड़ी की सूइयों को वापस नहीं घुमाया जा सकता. हम कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते क्योंकि याचिकाकर्ताओं को अब सुप्रीम कोर्ट जाना है.’
अदालत ने कहा, ‘यह मामला सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के समक्ष लंबित है इसलिए हम याचिका को एक जैसा मामला होने के कारण खारिज कर रहे हैं, न कि गुण-दोष के आधार पर.’
अदालत ने मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एमएमआरसीएल) के वकील आशुतोष कुंभकोनी की इन दलीलों पर भी ध्यान दिया कि वृक्ष प्राधिकरण ने संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में 20,900 पेड़ लगाए हैं.
मुंबई के उपनगर गोरेगांव की की आरे कॉलोनी हरित क्षेत्र है. यह संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान से लगी हुई है और इस हरित क्षेत्र को मुंबई का फेफड़ा भी कहा जाता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)