नरेंद्र मोदी के पुलवामा के शहीदों को वोट समर्पित करने वाले बयान पर चुनाव आयोग ने मांगी रिपोर्ट

चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों से चुनाव प्रचार में सुरक्षा बलों की तस्वीरें लगाने और उनकी गतिविधियों को शामिल करने से मना किया हुआ है. मंगलवार को एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार मतदान करने वालों से कहा था कि अपना वोट उन्हें समर्पित करें जिन्होंने बालाकोट हवाई हमले को अंजाम दिया.

जब बिना करोड़ों के ख़र्च और वोट मांगे बग़ैर भी चुनाव जीत जाते थे नेता

चुनावी बातें: मौजूदा दौर में जब चुनाव का वास्तविक ख़र्च करोड़ों में होता है, इस बात की कल्पना भी मुमकिन नहीं कि कोई निर्धन प्रत्याशी ख़ाली हाथ चुनाव के मैदान में उतरेगा और जीत जाएगा, पर 1967 में ऐसा हुआ था.

अमित शाह के ख़िलाफ़ गांधीनगर से चुनाव लड़ेंगे गुलबर्ग नरसंहार पीड़ित फ़िरोज़ पठान

2002 के गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार के पीड़ित इम्तियाज़ पठान ने गुजरात के खेड़ा और फ़िरोज़ पठान ने गांधीनगर लोकसभा सीट से अपना नामांकन दाख़िल कर दिया है.

नमो टीवी: ये थियेटर, स्टेज से ज़्यादा, बैकस्टेज हो रहा है 

पब्लिक डोमेन में मौजूद तमाम सूचनाएं, ये इशारा करती हैं कि प्रधानमंत्री के प्रचार तंत्र का हिस्सा नमो टीवी, अपने सिग्नल अपलिंक और डाउनलिंक करने के लिए एनएसएस-6 सैटेलाइट का इस्तेमाल कर रहा है, जबकि उसके पास इसका लाइसेंस नहीं है.

अयोध्या विवाद: केंद्र की भूमि अधिग्रहण की अर्ज़ी के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा निर्मोही अखाड़ा

केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थान के आसपास 67.390 एकड़ ग़ैर-विवादित अधिग्रहित ज़मीन मूल मालिकों को लौटाने की अपील की थी.

उत्तराखंड: राज्य की पांच लोकसभा सीटों का चुनावी गणित

ग्राउंड रिपोर्ट: राज्य की सभी सीटों पर पहले चरण में 11 अप्रैल को मतदान होना है. 2014 में भाजपा ने राज्य की सभी सीटें जीती थीं, जबकि 2009 में कांग्रेस ने. चुनावी रंगत रोज़ बदल रही है पर बीते कई चुनावों की तरह इस बार भी वोट एकतरफा नहीं पड़ेंगे. दिनेश जुयाल की रिपोर्ट.

मायावती के गांव बादलपुर में क्या है चुनावी माहौल

11 अप्रैल को पहले चरण के चुनाव में गौतमबुद्ध नगर में मतदान होगा. द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी ने मायावती के पैतृक गांव बादलपुर का जायज़ा लिया.

दूरदर्शन, आकाशवाणी के महानिदेशक की नियुक्ति का अधिकार अपने पास रखना चाहती थी मोदी सरकार

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक मसौदा तैयार किया था, जिसके तहत दूरदर्शन और आकाशवाणी के महानिदेशक की नियुक्ति का अधिकार केंद्र सरकार को मिल जाता लेकिन मंत्रालय ने इस मसौदा विधेयक को कुछ ही दिनों के भीतर वापस ले लिया.

मीडिया बोल, एपिसोड 93: नमो टीवी की अनोखी लीला

मीडिया बोल की 93वीं कड़ी में उर्मिलेश लोकसभा चुनाव से ऐन पहले लॉन्च हुए नमो टीवी पर वरिष्ठ पत्रकार प्रंजॉय गुहा ठाकुरता और द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु से चर्चा कर रहे हैं.

लोकसभा चुनाव में बिहार में सारे मुद्दे जातीय समीकरण के आगे ढेर

ग्राउंड रिपोर्ट: बिहार में पहले चरण के चार संसदीय क्षेत्रों में चुनाव प्रचार में जातीय समीकरण सारे समीकरणों पर हावी है. चुनाव में न सर्जिकल स्ट्राइक, न पुलवामा और न ही कांग्रेस के 72 हजार (न्याय) की चर्चा है. ओम गौड़ की रिपोर्ट.

पूर्वोत्तर विशेष: क्या यूनिवर्सल बेसिक इनकम का वादा सिक्किम में एसडीएफ की जीत सुनिश्चित करेगा?

पूर्वोत्तर विशेष की इस कड़ी में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र सिक्किम की राजनीति के बारे में बता रही हैं मीनाक्षी तिवारी.

भाजपा को भरोसा है कि नौजवान अपनी बेरोज़गारी सीने से चिपकाए उसे नाचते-गाते वोट दे आएंगे

घोषणा-पत्र में सरकारी नौकरियों को एक शब्द के लायक न समझकर भाजपा ने साबित कर दिया है कि उसके लिए नौजवान और रोज़गार दोनों का मतलब बदल गया है.

उत्तराखंड: विकास की जगह भाजपा को चौकीदार, राष्ट्रवाद, सर्जिकल स्ट्राइक और मोदी मैजिक का सहारा

लोकसभा चुनाव: भाजपा हो या कांग्रेस दोनों के इर्द-गिर्द ही उत्तराखंड की राजनीति का पहिया राज्य बनने के दौर से घूम रहा है. चाल-चरित्र के मामले में दोनों में कोई भी बुनियादी फ़र्क़ न होने से अलग राज्य बनने के पीछे के सपने चकनाचूर होते चले गए.

असमः गोमांस बेचने के शक़ में भीड़ ने मुस्लिम बुजुर्ग को पीटा, जबरन सुअर का मांस खिलाया

सोशल मीडिया पर सामने आए इस घटना के वीडियो में पीड़ित को कीचड़ में घुटनों के बल बैठे देखा जा सकता है और भीड़ पीड़ित से पूछती दिख रही है कि क्या उसके पास गोमांस बेचने का लाइसेंस है?

मोदी की भाजपा पर लिखे आडवाणी के ब्लॉग में इंदिरा के ख़िलाफ़ लिखे उनके लेखों की झलक है

भाजपा के संस्थापक ने विरोधियों को एंटी-नेशनल कहने पर आपत्ति जताई है, जो मोदी-शाह की रणनीति और अभियान का प्रमुख तत्व रहा है. ऐसा ही कुछ लालकृष्ण आडवाणी ने 1970 के दशक के मध्य में आपातकाल के समय जेल में बंद होने के दौरान भी लिखा था.

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