चिपको आंदोलन संबद्ध रहे रेमन मैग्सेसे, पद्म भूषण और गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित पर्यावरणवादी चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि जोशीमठ में गुप्त ख़तरों की चेतावनी दो दशक पहले राज्य सरकार को दी गई थी. एक के बाद एक अध्ययन तब तक मदद नहीं करेगा, जब तक कि सरकारें सुझावों पर कार्रवाई शुरू नहीं करतीं.
शाहरुख ख़ान और दीपिका पादुकोण अभिनीत फिल्म ‘पठान’ के ख़िलाफ़ कुछ असामाजिक तत्वों के विरोध पर गीतकार और लेखक जावेद अख़्तर ने कहा कि कोई असामाजिक तत्व नहीं हैं, मंत्री ऐसी बातें कर रहे हैं. मध्य प्रदेश के गृह मंत्री ने गीत पर सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा कि यह तय करना मेरे या आपके लिए नहीं है कि गीत सही है या ग़लत.
अगले साल जनवरी में राम मंदिर के खोले जाने की घोषणा के बीच बेघर और बेसहारा अयोध्यावासियों पर यह जनवरी ही भारी पड़ रही है. प्रदेश में सर्दी के क़हर के दौरान नगर निगम के बड़े-बड़े दावों के बीच रैनबसेरे नदारद हैं. जो थोड़ा-बहुत काम कर रहे हैं, वे भी ज़रूरतमंदों की पहुंच से दूर ही हैं.
छलपूर्ण धर्मांतरण को रोकने के लिए केंद्र और राज्यों को कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश देने का आग्रह करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम पूरे देश के लिए चिंतित हैं. अगर यह आपके राज्य में हो रहा है, तो यह बुरा है. अगर नहीं हो रहा, तो अच्छा है. इसे राजनीतिक मुद्दा न बनाएं.
एक अधिकारी ने बताया कि जोशीमठ की लगभग 610 इमारतों में बड़ी दरारें आ गई हैं, जिससे वे रहने लायक नहीं रह गई हैं. प्रभावित इमारतों की संख्या बढ़ सकती है. स्थानीय लोग इमारतों की ख़तरनाक स्थिति के लिए मुख्यत: एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ जैसी परियोजनाओं और अन्य बड़ी निर्माण गतिविधियों को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं.
भारतीय स्टेट बैंक से सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी बताती है कि 5 से 12 दिसंबर 2022 तक संपन्न हुई चुनावी बॉन्ड बिक्री की 24वीं किस्त में 260 चुनावी बॉन्ड की कुल बिक्री में से 114 करोड़ रुपये के बॉन्ड अकेले मुंबई में बेचे गए थे. 2018 में चुनावी बॉन्ड योजना की शुरुआत से लेकर 24वीं किस्त तक एसबीआई ने 11,699.83 करोड़ रुपये के कुल 20,734 चुनावी बॉन्ड बेचे हैं.
टीवी कलाकार तुनीषा शर्मा की आत्महत्या के बाद बहस मानसिक स्वास्थ्य पर होनी चाहिए थी, इस पर कि इस उम्र में इतना काम करने का दबाव किसी के साथ क्या कर सकता है, वह भी उस दुनिया में जिसकी प्रतियोगिता असामान्य होती है. लेकिन बहस को 'लव जिहाद' का एंगल देते हुए सुविधाजनक दिशा में मोड़ दिया गया है.
गृह मंत्रालय ने 2022 की अपनी समीक्षा रिपोर्ट में कहा है कि बीते तीन सालों में मोदी सरकार के नेतृत्व में जम्मू कश्मीर में 56,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ, लेकिन इससे पहले दिसंबर में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में समान अवधि में 1,084 करोड़ रुपये का निवेश होने की बात कही थी.
आंध्र प्रदेश सरकार ने जन सुरक्षा का हवाला देते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग समेत विभिन्न सड़कों पर जनसभातथा रैलियां आयोजित करने पर रोक लगा दी है. विपक्ष ने आरोप लगाया कि क़ानून-व्यवस्था के नाम पर बुनियादी अधिकारों को दबाना संविधान का उल्लंघन है. इस आदेश का मक़सद उसकी आवाज़ कुचलना है.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल 4,46,79,131 मामले सामने आए हैं और मृतक संख्या 5,30,707 है. विश्व में संक्रमण के 66.17 करोड़ से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं और अब तक 66.95 लाख से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं.
मंत्रियों और उच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर प्रतिबंध से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 4:1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया है. हालांकि जस्टिस बीवी नागरत्ना ने इससे असहमति जताते हुए कहा कि अगर कोई मंत्री अपनी आधिकारिक क्षमता में अपमानजनक बयान देता है तो इसके लिए सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है.
2008 के मालेगांव विस्फोट मामले के आरोपी सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने इस आधार पर आरोप मुक्त करने का अनुरोध किया था कि उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारी के निर्देश पर हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए काम करने वाले संगठन ‘अभिनव भारत’ की बैठकों में हिस्सा लिया, जिसमें मालेगांव धमाके की साज़िश रची गई थी.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले 4,46,78,822 हो गए हैं और 5,30,707 लोग इस महामारी के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं. विश्व में संक्रमण के 66.07 करोड़ से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं और 66.91 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है.
नए साल में असल चिंता का विषय है, भारत में ऐसे हिंदू दिमाग़ का निर्माण जो श्रेष्ठतावाद के नशे में चूर है. मुसलमान मित्रविहीन अवस्था में है. चंद बुद्धिजीवी ही उसके साथ हैं. कश्मीर में मुसलमानों को अधिकार से वंचित किया जा रहा है. असम में उसे कोने में धकेला जा रहा है और पूरे देश में क़ानूनों और ग़ुंडों के गठजोड़ के ज़रिये उसे प्रताड़ित किया जा रहा है.
पुस्तक समीक्षा: विभाजन-साहित्य उन असंख्य लोगों का इतिहास है, जिसे शासकीय ब्योरों में भुला दिया गया. चित्रा बनर्जी दिवाकरुनी का उपन्यास 'इंडिपेंडेंस' इसी कड़ी में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ता है, जहां राष्ट्रों के जन्म, विभाजन की हिंसा, उपद्रव और इसके प्रभावों को आम स्त्रियों की दृष्टि से देखा गया है.