गोरखपुर दंगा: सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार से पूछा, क्यों न चलाएं आदित्यनाथ पर मुक़दमा

योगी आदित्यनाथ पर 2007 में कथित भड़काऊ भाषण देकर दंगे भड़काने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ़्तों के भीतर जवाब मांगा है.

2014 से 2017 तक सांप्रदायिक हिंसा की 2,920 घटनाएं, 389 लोगों की मौत

सांप्रदायिक हिंसा की सबसे ज़्यादा घटनाएं उत्तर प्रदेश में हुईं. यहां 2014 से लेकर 2017 तक में 645 मामले सामने आए जिसमें 121 लोग मारे गए. ये आंकड़ा सभी राज्यों में मारे गए लोगों का लगभग 32 प्रतिशत है.

अगर ‘विकास’ और ‘अच्छे दिन’ की तलाश में हैं, तो नरेंद्र मोदी की ट्विटर टाइमलाइन पर जाइए

अगर आप केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ट्विटर टाइमलाइन देखेंगे, तो आपको पता नहीं लगेगा कि देश में क्या चल रहा है.

भारत में धार्मिक अल्पसंख्यक असुरक्षित, गोरक्षकों की हिंसा पर दर्ज नहीं होता केस: रिपोर्ट

अमेरिकी विदेश मंत्री ने वर्ष 2017 की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वंतत्रता रिपोर्ट जारी की. इसमें कहा गया है कि भारत में साल के पहले छह महीनों में ईसाइयों को प्रताड़ित करने की 410 घटनाएं सामने आईं हैं.

58 सांसदों-विधायकों पर भड़काऊ भाषण देने का केस, भाजपा नेताओं पर सबसे ज़्यादा मामले दर्ज: एडीआर

नफ़रत फैलाने वाले भाषण देने वाले सांसदों/विधायकों की संख्या के लिहाज से भाजपा शासित उत्तर प्रदेश शीर्ष पर है. राज्य में सांप्रदायिक हिंसा के मामलों में भी वृद्धि हुई है.

हमारी फेल राजनीति के पास धार्मिक उन्माद ही आखिरी हथियार बचा है

आपकी लड़ाई हिंदू या मुसलमान से नहीं है, उस नेता और राजनीति से है जो आपको भेड़ बकरियों की तरह हिंदू-मुसलमान के फ़साद में इस्तेमाल करना चाहता है.

जन गण मन की बात, एपिसोड 217: सांप्रदायिक हिंसा की बढ़ती घटनाएं और चुनाव आयोग

जन गण मन की बात की 217वीं कड़ी में विनोद दुआ देश में सांप्रदायिक हिंसा की बढ़ती घटनाओं और चुनाव आयोग की भूमिका पर उठते सवालों पर चर्चा कर रहे हैं.

पिछले साल देश में सबसे ज़्यादा सांप्रदायिक हिंसा उत्तर प्रदेश में हुई: गृह मंत्रालय

लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने वर्ष 2017 में देश भर में हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं का ब्यौरा दिया है.

कासगंज हिंसा: भड़काऊ मैसेज फैलाने पर वॉट्सऐप ग्रुप एडमिन गिरफ़्तार

गणतंत्र दिवस पर कासगंज में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद से ‘नक्षत्र कम्प्यूटर’ नाम के वॉट्सएप ग्रुप में भड़काऊ वीडियो और तस्वीरें पोस्ट की जा रही थीं.

अब तो अटल बिहारी जैसा कोई प्रधानमंत्री भी नहीं है, जो योगी को राजधर्म की याद दिलाए

कासगंज में जिन अल्पसंख्यकों ने तिरंगा फहराने के लिए सड़क पर कुर्सियां बिछा रखी थीं, वे अचानक वंदे मातरम् का विरोध और पाकिस्तान का समर्थन क्यों करने लगेंगे?

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