पुलिसकर्मी को जेल अधीक्षक के तौर पर नियुक्त नहीं किया जा सकता है: उत्तराखंड हाईकोर्ट

अदालत ने कहा कि हम क़ैदियों के सुधार और पुनर्वास के दौर में आ गए हैं. पुलिस एवं जेल प्रशासन की ट्रेनिंग अलग-अलग होती है, इसी आधार पर उनकी सोच का भी निर्माण होता है, इसलिए पुलिस अधिकारी को जेल का काम नहीं सौंपा जा सकता.

भारत की जेलों में महिला क़ैदियों की ज़िंदगी केवल शोक के लिए अभिशप्त है…

जेलें क़ैदियों को उनके अपराध के आधार पर वर्गीकृत कर सकती हैं, लेकिन जेलों, ख़ासतौर पर महिला जेलों में वर्गीकरण सिर्फ अपराधों से तय नहीं होता है. यह सदियों की परंपराओं और अक्सर धर्म द्वारा स्थापित नैतिक लक्ष्मण रेखा लांघने से जुड़ा है. ऐसे में भारतीय महिलाएं जब जेल जाती हैं, तब वे अक्सर जेल के भीतर एक और जेल में दाख़िल होती हैं.

जेलों की दयनीय हालत पर सुप्रीम कोर्ट नाराज़, कहा- क्या कैदियों के कोई अधिकार हैं?

जस्टिस मदन बी. लोकुर ने नाराज़गी भरे लहज़े में कहा, 'पूरी चीज़ का मज़ाक बना दिया गया है. क्या कैदियों के कोई अधिकार हैं? मुझे नहीं पता कि अधिकारियों की नजरों में कैदियों को इंसान भी माना जाता है या नहीं.’

जेल सुधारों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने किया समिति का गठन

जस्टिस अमिताव रॉय की अध्यक्षता वाली ये समिति महिला कैदियों से जुड़े मुद्दों को भी देखेगी. सुप्रीम कोर्ट देश की 1,382 जेलों में कैदियों की स्थिति से जुड़े मुद्दों की सुनवाई कर रही है.

भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ़्तार कार्यकर्ताओं ने जेल में शुरू की भूख हड़ताल

पुणे पुलिस द्वारा माओवादियों से कथित संबंध के आरोप में जून महीने में गिरफ़्तार 5 सामाजिक कार्यकर्ता पुणे की यरवडा जेल में बंद हैं. उनके वकील का दावा है कि यूएपीए हटाने समेत विभिन्न मांगों को लेकर इन लोगों ने जेल में भूख हड़ताल शुरू की है.

जेलों में क्षमता से अधिक कै़दी होना मानवाधिकारों का उल्लंघन है: सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जेल अधिकारी जेलों के क्षमता से अधिक भरे होने के मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. ऐसी कई जेलें हैं जो क्षमता से 100 फीसद तथा कुछ मामलों में तो 150 फीसद से अधिक भरी हैं.

क़ैदियों के भी मानवाधिकार हैं, उन्हें पशुओं की तरह जेल में नहीं रखा जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

देश की कई जेलों में निर्धारित संख्या से छह गुना अधिक क़ैदी रखे जाने पर शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर उन्हें सही से नहीं रख सकते हैं तो उन्हें रिहा कर देना चाहिए.

महिला क़ैदियों के साथ रहने वाले बच्चों की सुविधाओं का ध्यान रखे महाराष्ट्र सरकार: अदालत

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने कहा कि बच्चों को किशोर न्याय क़ानून के तहत देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता है.