भारत मानवाधिकारों के समर्थकों को उचित सुरक्षा नही देताः संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधि

मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि मैरी लॉलर एक ऑनलाइन कार्यक्रम में एल्गार परिषद मामले में हुई 83 वर्षीय स्टेन स्वामी की गिरफ़्तारी पर चिंता जताते हुए कहा कि देश मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रति जवाबदेह है.

झारखंड: महिला ने 17 लोगों पर लगाया बलात्कार का आरोप, एक गिरफ़्तार

मामला दुमका ज़िले का है, जहां शुक्रवार को पुलिस ने 16-17 लोगों द्वारा एक विवाहिता से बलात्कार की पुष्टि करते हुए बताया कि एक आरोपी पकड़ा गया है. राष्ट्रीय महिला आयोग ने घटना का स्वतः संज्ञान लेते हुए डीजीपी को समयबद्ध ढंग से जांच कर आयोग को रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं.

स्टेन स्वामी की गिरफ़्तारी सामाजिक कार्यकर्ताओं को डराने का प्रयास है

केंद्र सरकार द्वारा स्टेन स्वामी सहित देश के 16 सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार करना आंदोलनरत जनसंगठनों और उनसे जुड़े नेताओं को भयभीत कर इन आंदोलनों को कमज़ोर करने की कोशिश है.

आदिवासियों के पड़ोसी फादर स्टेन स्वामी आज जेल में हैं

हमारे देश और राज्य को सुरक्षित रखने के नाम पर अगर स्टेन स्वामी को क़ैद में डाला जा सकता है तो क्या हम ख़ुद को आज़ाद कहलाने के क़ाबिल रह गए हैं?

एल्गार परिषदः एनआईए ने सामाजिक कार्यकर्ता स्टेन स्वामी को गिरफ़्तार किया

83 साल के सामाजिक कार्यकर्ता स्टेन स्वामी देश के सबसे उम्रदराज शख़्स हैं, जिन पर आतंकवाद से संबंधित आरोपों में मामला दर्ज किया गया है. वह जून 2018 के बाद से इस मामले में गिरफ़्तार किए गए 16वें शख्स हैं.

भीमा-कोरेगांव: एनआईए ने सामाजिक कार्यकर्ता स्टेन स्वामी से की पूछताछ

सामाजिक कार्यकर्ता स्टेन स्वामी से भीमा-कोरेगांव मामले में पहले भी पूछताछ की जा चुकी है. दिसंबर 2019 में मामले की जांच के संबंध में रांची स्थित उनके घर पर छापा मारकर कंप्यूटर की हार्ड डिस्क और इंटरनेट मॉडेम ज़ब्त किया गया था.

झारखंडः रांची में नाबालिग से सामूहिक बलात्कार, दोनों आरोपी गिरफ़्तार

घटना रांची के नामकुम इलाके में तीन जुलाई को हुई. दोनों आरोपी जबरन पीड़िता के घर घुस आए, उसका बलात्कार किया और घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड भी किया.

निर्भया कोष ख़र्च नहीं होने पर अदालत ने झारखंड सरकार को लगाई फटकार, कहा- शर्म की बात

साल 2013 में पांच साल की एक बच्ची के बलात्कार के बाद उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी थी. इस मामले में झारखंड पुलिस अब तक अपराधियों का पता नहीं लगा सकी है. मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की.

झारखंडः क़ानून की छात्रा को अगवा कर सामूहिक बलात्कार, 12 लोग गिरफ़्तार

घटना झारखंड की राजधानी रांची में 26 नवंबर को हुई. छात्रा अनुसूचित जनजाति की है. पुलिस ने आईपीसी की धारा 376डी (सामूहिक बलात्कार), 120बी (आपराधिक षडयंत्र) और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम की धाराओं के तहत केस दर्ज किया है.

झारखंड: रांची का एक आदिवासी टोला, जहां राज्य बनने के 19 साल बाद भी ‘विकास’ नहीं पहुंचा

झारखंड राज्य के निर्माण को 19 साल हो गए हैं. रांची नगर निगम के वार्ड 50 में आने वाले नदी दीपा टोला के लोग एक अदद पुल के निर्माण के लिए पिछले कई सालों से सरकार से गुहार लगाते-लगाते थक चुके हैं.

क़ुरान बांटने के आदेश पर चर्चा में आई छात्रा झारखंड पुलिस के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट पहुंची

रांची की एक छात्रा ऋचा भारती को सोशल मीडिया पर धार्मिक भावनाओं काे ठेस पहुंचाने वाले पोस्ट करने के आरोप में बीते 12 जुलाई को गिरफ़्तार किया गया था. स्थानीय अदालत ने उन्हें पांच क़ुरान बांटने की शर्त पर ज़मानत दी थी. बाद में अदालत ने क़ुरान बांटने का आदेश वापस ले लिया था.

झारखंडः सोशल मीडिया पोस्ट के लिए गिरफ़्तार छात्रा को पांच क़ुरान दान करने की शर्त पर ज़मानत

रांची की एक 19 वर्षीय छात्रा ऋचा भारती को सोशल मीडिया पर धार्मिक भावनाओं काे ठेस पहुंचाने वाले पोस्ट करने के आरोप में 12 जुलाई को गिरफ़्तार किया गया था. स्थानीय अदालत ने उन्हें 5 क़ुरान दान करने की शर्त पर ज़मानत दी है. छात्रा का कहना है कि वे ऐसा नहीं करना चाहतीं.

झारखंड की ये ‘निर्भया’ बलात्कार और हिंसा के चलते चार महीने कोमा में रही, फिर चल बसी

ग्राउंड रिपोर्ट: झारखंड के लातेहार ज़िले में बीते जनवरी में दो बच्चों की मां के साथ सामूहिक बलात्कार और मारपीट की गई, जिसके बाद वह कोमा में चली गईं. तकरीबन चार महीने कोमा की हालत में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकने के बाद इस आदिवासी महिला की मौत हो गई.

झारखंड का एक गांव, जहां कहीं आने-जाने के लिए सेना की लेनी होती है अनुमति

ग्राउं​ड रिपोर्ट: झारखंड की राजधानी रांची के नज़दीक स्थित सुगनू गांव के लोगों को आर्मी कैंप की वजह से कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

देश की आज़ादी से भी पुरानी हैं चुनावी हिंसा की जड़ें

चुनावी बातें: चुनाव में होने वाली हिंसा की नींव आज़ादी से पहले ही पड़ चुकी थी. झारखंड (तत्कालीन बिहार) में मार्च 1946 में हिंसक तत्वों ने संविधान सभा के प्रतिनिधि के चुनाव को भी स्वतंत्र व निष्पक्ष नहीं रहने दिया था.