भारत मानवाधिकारों के समर्थकों को उचित सुरक्षा नही देताः संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधि

मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि मैरी लॉलर एक ऑनलाइन कार्यक्रम में एल्गार परिषद मामले में हुई 83 वर्षीय स्टेन स्वामी की गिरफ़्तारी पर चिंता जताते हुए कहा कि देश मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रति जवाबदेह है.

फादर स्टेन स्वामी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि मैरी लॉलर एक ऑनलाइन कार्यक्रम में एल्गार परिषद मामले में हुई 83 वर्षीय स्टेन स्वामी की गिरफ़्तारी पर चिंता जताते हुए कहा कि देश मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रति जवाबदेह है.

फादर स्टेन स्वामी. (फाइल फोटो: पीटीआई)
फादर स्टेन स्वामी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि मैरी लॉलर का कहना है कि भारत मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को उचित सुरक्षा नहीं देता.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने भीमा कोरेगांव मामले में फादर स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी पर चिंता जताते हुए नवंबर में भारत सरकार को पत्र भी लिखा था लेकिन उन्हें इस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.

लॉलर ने स्वामी की गिरफ्तारी के 100 दिनों पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही.

उन्होंने कहा, ‘भारत एक ऐसा देश है, जो मानवाधिकार कार्यकताओं को उचित सुरक्षा मुहैया नहीं कराता. मैं फादर स्टेन स्वामी जैसे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ हो रहे व्यवहार को लेकर व्यथित हूं. ‘

उन्होंने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि देश में मानवाधिकारों की रक्षा और उन्हें बढ़ावा देने के लिए गंभीर चुनौतियां हैं. कोई गलती न करें, देश मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रति जवाबदेह है.’

उन्होंने कहा, ‘नवंबर 2020 में मैंने गिरफ्तारी के प्रति चिंता जताते हुए भारत सरकार को पत्र भेजा था. सरकारों को 60 दिनों के भीतर इसका जवाब देना होता है लेकिन मुझे आज तक भारत सरकार से जवाब नहीं मिला.’

स्टेन स्वामी के साथ मिलकर काम कर चुके आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता जेवियर डियाज़ ने कहा कि जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण, अनुचित और अन्यापूर्ण था.

उन्होंने कहा, ‘लेकिन अगर आप इसे उस तरह से देखें, जिस तरह से स्टेन देखते हैं. स्टेन ने खुद एक राजनीतिक बयान दिया था कि अगर आप हजारों आदिवासियों को उठाकर जेल में डाल सकते हैं तो मेरे साथ भी ऐसा ही करें. हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण लड़ना है.’

इस चर्चा का संचालन करने वाले दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अपूर्वानंद ने कहा कि इस कार्यक्रम को फादर स्टेन स्वामी की बहादुरी के उत्सव के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि वह देश से नहीं लड़ रहे थे, वह देश के साथ युद्ध नहीं कर रहे थे.

उन्होंने कहा, ‘यह शर्म की बात है कि उन्हें उस देश की जेल में 100 दिन बिताने पड़े, जिसे उन्होंने बनाने का प्रयास किया था. उन्हें यकीनन अधिक सताए गए और पीड़ित आदिवासियों, दलितों और अल्पसंख्यकों की आजादी की रक्षा करने के अपराध में जेल भेजा गया.’

नृतक और कार्यकर्ता मल्लिका साराभाई ने कहा कि स्वामी ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने गरीबों और हाशिए पर धकेले गए लोगों के लिए असाधारण काम किया और गिरफ्तार किया गया.

इस अवसर पर हैशटैग ‘रिलीजफादरस्टेन’ के साथ एक स्वामी की सिपर लगी फोटो जारी की गई. बता दें कि जेल प्रशासन द्वारा लंबे समय से स्टेन स्वामी को सिपर मुहैया नहीं कराया जा रहा था.

बता दें कि स्टेन स्वामी को आठ अक्टूबर को झारखंड से गिरफ्तार किया गया. वह जून 2018 के बाद से इस मामले में गिरफ़्तार किए गए 16वें शख्स हैं.

एनआईए की चार्जशीट में कहा गया था कि स्वामी प्रतिबंधित संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) के सदस्य हैं और उसकी गतिविधियों में उनकी सक्रिय भूमिका है. उन्हें माओवादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक सहयोगी के जरिए धनराशि भी मिली थी.

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