उत्तर प्रदेशः गोरखपुर के हिस्ट्रीशीटर्स की सूची में शामिल किया गया डॉ. कफ़ील ख़ान का नाम

डॉ. कफ़ील ख़ान उन 81 लोगों में हैं, जिन्हें वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जोगेंद्र कुमार के निर्देश पर गोरखपुर ज़िले के हिस्ट्रीशीटर्स की सूची में शामिल किया गया है. डॉ. ख़ान के भाई ने बताया कि उनका नाम इस सूची में जून 2020 में डाला गया था, लेकिन मीडिया से यह जानकारी अब साझा की गई.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्र के ख़िलाफ़ ग़ुंडा एक्ट, छह माह के लिए ज़िले से प्रतिबंधित

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र नेता आरिफ़ त्यागी को ज़िला प्रशासन ने यूपी ग़ुंडा एक्ट के तहत छह महीने के लिए ज़िले से प्रतिबंधित कर दिया है. दोनों समुदायों के बीच नफ़रत फ़ैलाने सहित कई आरोपों में उन पर 2018 से 2020 के दौरान छह मामले दर्ज हैं.

2007 में एएमयू पर प्रकाशित एक लेख के लिए टाइम्स ऑफ इंडिया ने माफ़ी मांगी

टाइम्स ऑफ इंडिया ने साल 2007 में 'एएमयूः व्हेयर द डिग्रीज़ आर सोल्ड लाइक टॉफीज़' शीर्षक से एक लेख छापा था, जिसमें एक अनाम स्रोत के हवाले से कहा गया था कि यूनिवर्सिटी में टॉफियों की तरह डिग्री बांटी जाती हैं. इसके बाद एक पूर्व छात्रसंघ नेता ने अख़बार पर मुक़दमा दायर किया था.

मोदी ने कहा, एएमयू मिनी इंडिया; क्या भाजपा मुस्लिम विरोध की राजनीति का करेगी अंत?

वीडियो: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष समारोह में दिए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण पर चर्चा कर रही हैं आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.

एनएसएः सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाईकोर्ट के फ़ैसले में हस्तक्षेप से इनकार पर डॉ. कफ़ील ने क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट ने बीते 17 दिसंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत डॉ. कफ़ील ख़ान की हिरासत को रद्द करने और उन्हें तत्काल रिहा किए जाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया था. इस फ़ैसले पर डॉ. कफ़ील ने द वायर से बातचीत की.

डॉ. कफ़ील की रिहाई के फ़ैसले में हस्तक्षेप से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, कहा- अच्छा फ़ैसला था

उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा रासुका के तहत गिरफ़्तार किए गए डॉ. कफ़ील ख़ान की हिरासत रद्द कर उन्हें तत्काल रिहा किए जाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी, जिसे सीजेआई एसए बोबड़े की अगुवाई वाली पीठ द्वारा ख़ारिज कर दिया गया.

‘मेरे हिजाब की वजह से मीडिया पोर्टल ने मुझे नौकरी नहीं दी’

वीडियो: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री लेने वाली ग़ज़ाला अहमद ने आरोप लगाया है कि उनके हिजाब पहनने के कारण एक हिंदी मीडिया पोर्टल ने उन्हें नौकरी देने से इनकार कर दिया था. उनका कहना है कि नौकरी के लिए उनका चयन हो चुका था, लेकिन जब मीडिया पोर्टल संस्थान को हिजाब का पता चला तो उन्हें मना कर दिया गया.

कैंपस में अनुशासन को लेकर जेएनयू, जामिया, एएमयू और बीएचयू जैसे विश्वविद्यालयों ने चर्चा की

जामिया मिलिया इस्लामिया द्वारा आयोजित वेबिनार ‘विश्वविद्यालयों में अनुशासन’ में जामिया, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया हमदर्द शामिल थे. चर्चा में कैंपस के उपद्रवी तत्वों को अलग-थलग करने से लेकर पुलिस के साथ संपर्क पर चर्चा की गई.

क्या रिहाई के बाद और बढ़ सकती हैं डॉ. कफ़ील ख़ान की मुश्किलें

बीते साल ऑक्सीजन हादसे की विभागीय जांच में दो आरोपों में मिली क्लीनचिट के बाद डॉ. कफ़ील ख़ान की बहाली की संभावनाएं बनी थीं, लेकिन सरकार ने नए आरोप जोड़ते हुए दोबारा जांच शुरू कर दी. मथुरा जेल में रिहाई के समय हुई हुज्जत यह इशारा है कि इस बार भी हुकूमत का रुख़ उनकी तरफ नर्म होने वाला नहीं है.

योगी सरकार के आगे नहीं झुकूंगा, अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाता रहूंगा: डॉ. कफ़ील ख़ान

एएमयू में सीएए के ख़िलाफ़ कथित 'भड़काऊ भाषण' देने के आरोप में जनवरी से मथुरा जेल में बंद डॉ. कफ़ील ख़ान को हाईकोर्ट के आदेश के बाद मंगलवार देर रात रिहा कर दिया गया. उनका कहना है कि उन्हें इतने दिन जेल में इसलिए रखा गया क्योंकि वे प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की कमियों को उजागर करते रहते हैं.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ. कफ़ील ख़ान के ख़िलाफ़ रासुका के आरोप हटाने और तुरंत रिहाई का आदेश दिया

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पिछले साल दिसंबर में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के मामले में 29 जनवरी को डॉ. कफ़ील ख़ान को गिरफ़्तार किया गया था. 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से ज़मानत मिलने के बाद रिहा करने के बजाय उन पर रासुका लगा दिया गया था.

डॉ. कफ़ील की रासुका अवधि फिर तीन महीने के लिए बढ़ाई गई

बीती 29 जनवरी को उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में बीते साल दिसंबर में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के मामले में डॉ. कफ़ील ख़ान को मुंबई हवाई अड्डे से गिरफ़्तार किया था. तब से वह जेल में हैं.

15 दिन में तय करें कि डॉ. कफ़ील को रिहा कर सकते हैं या नहीं: सुप्रीम कोर्ट

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पिछले साल दिसंबर में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में 29 जनवरी को डॉ. कफ़ील ख़ान को गिरफ़्तार किया गया था. 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से ज़मानत मिलने के बाद रिहा करने के बजाय उन पर रासुका लगा दिया गया था.

क्या ऑक्सीजन कांड में चुप न रहने की सज़ा काट रहे हैं डॉ. कफील ख़ान

गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में हुए ऑक्सीजन कांड के तीन बरस पूरे हो गए. लेकिन इस दौरान हादसे में 'विलेन' बना दिए गए डॉ. कफील ख़ान के अलावा नौ आरोपियों में से कोई इस प्रकरण पर बोलने के लिए सामने नहीं आया. शायद यही वजह है कि इन तीन बरसों में डॉ. कफील ने अधिकतर समय जेल में बिताया है.

एएमयू हिजाब विवाद: ‘मैं हिंदू छात्रा हूं मुझे धर्म नहीं जेंडर के आधार पर भेदभाव महसूस होता है’

वीडियो: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी एक बार फिर सोशल मीडिया पर शुरू हुए हिजाब विवाद के बाद से सुर्खियों में है. आखिर क्या है पूरा मामला और लड़कियां क्यों उठा रहीं हैं हॉस्टल के नियमों पर सवाल.