इस मामले में एफआईआर 3 जनवरी, 2019 को रामपुर के एक थाने में आकाश सक्सेना (जो अब भाजपा के विधायक हैं) द्वारा दर्ज कराई गई थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि आज़म ख़ान और उनकी पत्नी ने अपने बेटे अब्दुल्ला आज़म को दो फ़र्ज़ी जन्म प्रमाण-पत्र - एक लखनऊ से और दूसरा रामपुर से - प्राप्त करने में मदद की थी.
केरल हाईकोर्ट में एक अविवाहित मां के बेटे ने याचिका लगाई थी. उसके पिता का नाम तीन दस्तावेजों में अलग-अलग था. याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि इस देश में बलात्कार पीड़िताओं और अविवाहित मांओं के भी बच्चे हैं. जन्म प्रमाण पत्र, पहचान प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेजों में केवल अपनी मां के नाम का उल्लेख करना एक व्यक्ति का अधिकार है.
अदालत ने एक नाबालिग लड़की के पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. याचिका में व्यक्ति ने प्राधिकारों को यह निर्देश देने का अनुरोध किया है कि दस्तावेज़ों में उनका नाम उनकी बेटी के उपनाम के रूप में दर्शाया जाए, न कि उनकी मां के नाम के रूप में. दरअसल बच्ची के उपनाम को पिता से अलग रह रहीं पत्नी ने बदल दिया था.
हाईकोर्ट ने बीएमसी को निर्देश दिया है कि टेस्ट ट्यूब प्रक्रिया से जन्मी एक बच्ची को वह एक नया जन्म प्रमाण पत्र जारी करे जिसमें उसके जैविक पिता का नाम न हो.