फ़र्ज़ी जन्म प्रमाण-पत्र मामले में आज़म ख़ान, उनकी पत्नी और बेटे को 7 साल की जेल की सज़ा

इस मामले में एफआईआर 3 जनवरी, 2019 को रामपुर के एक थाने में आकाश सक्सेना (जो अब भाजपा के विधायक हैं) द्वारा दर्ज कराई गई थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि आज़म ख़ान और उनकी पत्नी ने अपने बेटे अब्दुल्ला आज़म को दो फ़र्ज़ी जन्म प्रमाण-पत्र - एक लखनऊ से और दूसरा रामपुर से - प्राप्त करने में मदद की थी.

आज़म ख़ान. (फाइल फोटो: पीटीआई)

इस मामले में एफआईआर 3 जनवरी, 2019 को रामपुर के एक थाने में आकाश सक्सेना (जो अब भाजपा के विधायक हैं) द्वारा दर्ज कराई गई थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि आज़म ख़ान और उनकी पत्नी ने अपने बेटे अब्दुल्ला आज़म को दो फ़र्ज़ी जन्म प्रमाण-पत्र – एक लखनऊ से और दूसरा रामपुर से – प्राप्त करने में मदद की थी.

आज़म ख़ान. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में रामपुर की एक विशेष अदालत ने बीते बुधवार (18 अक्टूबर) को जन्म प्रमाण-पत्र में कथित जालसाजी से संबंधित मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता आजम खान, उनकी पत्नी तज़ीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को दोषी ठहराया है. ये जन्म प्रमाण-पत्र अब्दुल्ला आजम से संबंधित था.

अदालत ने इस मामले में उन्हें अधिकतम सात साल की जेल की सजा सुनाई है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पिछले एक महीने में यह चौथा मामला है, जिसमें आजम खान को दोषी ठहराया गया है. पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम खान की भी यह दूसरी सजा है. आजम खान के वकील नासिर सुल्तान ने कहा कि वे फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील दायर करेंगे.

अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे पूर्व जिला सरकारी वकील अरुण प्रकाश सक्सेना ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, ‘अदालत के फैसले के बाद तीनों को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया और अदालत से ही जेल भेज दिया जाएगा.’

इस मामले में एफआईआर 3 जनवरी, 2019 को रामपुर के गंज पुलिस स्टेशन में आकाश सक्सेना (जो अब भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं) द्वारा दर्ज कराई गई थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि आजम खान और उनकी पत्नी ने अपने बेटे को दो फर्जी जन्मतिथि प्रमाण-पत्र – एक लखनऊ से और दूसरा रामपुर से – प्राप्त करने में मदद की थी.

आरोप-पत्र के मुताबिक, रामपुर नगर पालिका द्वारा जारी प्रमाण-पत्र में अब्दुल्ला आजम की जन्मतिथि 1 जनवरी 1993 बताई गई है, वहीं दूसरे प्रमाण-पत्र में कहा गया है कि उनका जन्म 30 सितंबर 1990 को लखनऊ में हुआ था.

अभियोजन अधिकारी ने कहा, ‘उन्होंने (आजम खान और उनकी पत्नी) अब्दुल्ला के लिए दो जन्म प्रमाण-पत्र जारी करवाए, जिनमें से एक 28 जून 2012 को रामपुर नगर पालिका से जारी किया गया था. इसमें उनका जन्म स्थान रामपुर दर्शाया गया है और इसे तंजीन फातिमा और आजम खान के शपथ-पत्र के आधार पर जारी किया गया है. दूसरा 21 जनवरी 2015 को लखनऊ नगर पालिका द्वारा जारी किया गया था. इसमें अब्दुल्ला का जन्म स्थान लखनऊ के रूप में चिह्नित है. यह लखनऊ में मैरी अस्पताल द्वारा दिए गए प्रमाण-पत्र के आधार पर जारी किया गया था.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अब्दुल्ला पर पहले प्रमाण-पत्र का इस्तेमाल पासपोर्ट और विदेश यात्रा के लिए करने का आरोप है, जबकि दूसरे प्रमाण-पत्र का इस्तेमाल सरकारी रिकॉर्ड के लिए और जौहर विश्वविद्यालय से संबद्धता प्राप्त करने के लिए किया गया था.

उन्हें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के लिए प्रेरित करना), 467 (मूल्यवान प्रतिभूति (Security), वसीयत आदि की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (एक जाली दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को असली के रूप में उपयोग करना) और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत दोषी ठहराया गया है.

26 फरवरी, 2020 को आजम खान, उनकी पत्नी और बेटे ने इस मामले में रामपुर की एक स्थानीय अदालत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. बाद में तीनों को जमानत मिल गई थी.

बुधवार को हिरासत में लिए जाने से पहले मीडियाकर्मियों से बात करते हुए आजम खान ने कहा, ‘इंसाफ और फैसले में फर्क होता है. ये फैसला हुआ है. कल से ही पूरे शहर को मालूम था. आपके छोटे चैनल पर चलने लगा था कि इतनी सजा होनी है. क्या कहें इससे ज्यादा. ये भी मालूम था कि कितनी सजा होनी है. आपने जजमेंट देख भी लिया होगा. हमें आज पता चला.’

सजा पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि उनकी पार्टी के नेता को मुस्लिम होने के कारण परेशान किया जा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘मोहम्मद आजम खान साहब और उनके परिवार को न्याय मिलेगा. उनके खिलाफ बड़ी साजिश हुई है, बड़े षड्यंत्र हुए हैं और साजिश-षड्यंत्र का परिणाम है कि आज उन्हें इस तरह की सजा का सामना करना पड़ रहा है. बीजेपी के अंदर जो लोग हैं, उन तक ने कहा है कि आजम खान साहब मुसलमान हैं, इसलिए उन्हें इस तरह की सजा फेस करनी पड़ रही है.’

सोशल साइट एक्स पर एक पोस्ट में अखिलेश ने लिखा, ‘आजम खान और उनके परिवार को निशाना बनाकर समाज के एक पूरे वर्ग को डराने का जो खेल खेला जा रहा है, जनता उसे देख और समझ रही है. कुछ स्वार्थी लोग नहीं चाहते कि शिक्षा को बढ़ावा देने वाले लोग समाज में सक्रिय रहें. अत्याचारियों को याद रखना चाहिए कि अन्याय के खिलाफ जनता के पास भी एक अदालत है.’

मालूम हो कि 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से आजम खान को जमीन हड़पने, धोखाधड़ी और आपराधिक अतिक्रमण जैसे कई आरोपों में रामपुर में 81 मामलों का सामना करना पड़ा है. कुछ मामलों में आजम की पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को सह-आरोपी बनाया गया है.

बीते जुलाई में महीने में रामपुर की एक अदालत ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान नफरती भाषण मामले में आजम खान को दो साल जेल की सजा सुनाई. बाद में कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी.

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