बांग्लादेश: नोबेल विजेता मुहम्मद यूनुस श्रम क़ानूनों के उल्लंघन के आरोप में दोषी क़रार

बांग्लादेश की राजधानी ढाका की एक अदालत ने नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मुहम्मद यूनुस के साथ उनके द्वारा स्थापित सामाजिक व्यवसाय कंपनी ‘ग्रामीण टेलीकॉम’ के तीन अन्य अधिकारियों को छह महीने की साधारण कारावास की सज़ा सुनाई है. उन्हें तुरंत ज़मानत भी मिल गई. उनके समर्थकों ने उनकी दोषसिद्धि को ‘राजनीति से प्रेरित’ बताया है.

अलवर मॉब लिंचिंग केस: चार आरोपी दोषी क़रार, विहिप नेता ‘सबूतों के अभाव’ में बरी

राजस्थान के अलवर ज़िले में 20 और 21 जुलाई 2018 की दरम्यानी रात कथित गोरक्षकों की भीड़ द्वारा हमला किए जाने के बाद 31 वर्षीय रकबर ख़ान की मौत हो गई था. घटना के समय रकबर एक अन्य व्यक्ति असलम ख़ान के साथ गायों को ले जा रहे थे.

मलियाना दंगों और जयपुर विस्फोट केस में आरोपमुक्ति: दो फैसले और दो तरह की राजनीतिक प्रतिक्रिया

मलियाना दंगे और जयपुर विस्फोट मामले में अदालतों ने घटिया जांच और आपराधिक जांच प्रणाली में जवाबदेही की कमी की बात कही है. जहां राजस्थान में विपक्षी भाजपा के साथ कांग्रेस सरकार फैसले के ख़िलाफ़ अपील की बात कह रही है, वहीं मलियाना मामले में यूपी की भाजपा सरकार के साथ विपक्ष ने भी कोई ख़ास प्रतिक्रिया नहीं दी है.

जयपुर विस्फोट: राजस्थान हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों की दोषसिद्धि को रद्द किया

13 मई, 2008 को जयपुर में हुए सिलसिलेवार विस्फोटों में 71 लोगों की मौत हो गई थी. ट्रायल कोर्ट ने साल 2019 में मामले के चार आरोपियों को मौत की सज़ा सुनाई थी. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि साक्ष्य का कोई भी पहलू साबित नहीं हुआ और कुछ साक्ष्य मनगढ़ंत भी प्रतीत होते हैं. दोषी पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ जांच के निर्देश भी दिए गए.

दंड प्रक्रिया विधेयक राज्यसभा में पारित, विपक्ष ने मानवाधिकार हनन होने की चिंता जताई

विधेयक पेश करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमारा क़ानून सख़्ती के मामले में अन्य देशों की तुलना में ‘बच्चा’ (हल्का) है. दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका जैसे देशों में अधिक कड़े क़ानून हैं, यही वजह है कि वहां सज़ा की दर बेहतर है. कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि विधेयक असंवैधानिक है. इससे लोगों की स्वतंत्रता, निजता और गरिमा का उल्लंघन होगा.

बिहारः एससी-एसटी क़ानून के तहत क़रीब 45,000 मामले लंबित, दोषसिद्धि दर आठ फीसदी

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बुलाई गई अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम मामलों की समीक्षा बैठक में सामने आया कि राज्य में इस क़ानून के तहत बीते 10 सालों में 67,163 मामले दर्ज किए गए. सर्वाधिक 7,574 मामले 2020 में दर्ज किए गए जबकि 2018 में यह संख्या 7,125 और 2017 में 6,826 थी.

साल 2020 में यूएपीए के तहत 1,321 लोगों को गिरफ़्तार किया गया: केंद्र

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में बताया कि गैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम क़ानून (यूएपीए) के तहत 80 लोगों को दोषी ठहराया गया, जबकि 2019 में 34 लोगों को दोषी ठहराया गया था. यूएपीए के तहत ज़मानत पाना बहुत ही मुश्किल होता है और जांच एजेंसी के पास चार्जशीट दाख़िल करने के लिए 180 दिन का समय होता है.

पूर्व नौकरशाहों ने कहा- यूएपीए का मौजूदा स्वरूप नागरिकों की स्वतंत्रता के लिए गंभीर ख़तरा

‘कांस्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप’ के तत्वाधान में 108 पूर्व नौकरशाहों द्वारा लिखे पत्र में कहा गया है कि गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) पांच दशकों से अधिक समय से भारत की क़ानून की किताबों में मौजूद है और हाल के वर्षों में इसमें किए गए संशोधनों ने इसे निर्मम, दमनकारी और सत्तारूढ़ नेताओं तथा पुलिस के हाथों घोर दुरुपयोग करने लायक बना दिया है.

जम्मू कश्मीर: 2019 से यूएपीए के तहत 2,300 से अधिक लोगों पर केस, लगभग आधे अभी भी जेल में

इस बीच केंद्र सरकार ने राज्यसभा में बताया कि 2019 में ग़ैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम क़ानून यूएपीए के तहत 1,948 लोगों को गिरफ़्तार किया गया और 34 आरोपियों को दोषी ठहराया गया. एक अन्य सवाल के जवाब में बताया गया कि 31 दिसंबर 2019 तक देश की विभिन्न जेलों में 4,78,600 कै़दी बंद थे, जिनमें 1,44,125 दोषी ठहराए गए थे जबकि 3,30,487 विचाराधीन व 19,913 महिलाएं थीं.