अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के क़ब्ज़े के बाद भारतीय वायुसेना के विमानों के ज़रिये 107 भारतीयों समेत कुल 168 लोगों को काबुल से दिल्ली लाया गया. अधिकारियों ने बताया कि 87 भारतीयों और दो नेपाली नागरिकों के एक अन्य समूह को दुशाम्बे से एअर इंडिया के एक विशेष विमान से लाया गया है.
वीडियो: 20 साल बाद तालिबान ने एक बार फिर अफ़ग़ानिस्तान पर क़ब्ज़ा कर लिया है, जिससे वहां के नागरिक दहशत में हैं और देश छोड़कर भाग रहे हैं. द वायर ने दिल्ली आए वहां के कई नागरिकों से बात की. इनमें से कई ऐसे भी थे, जिन पर तालिबान आतंकियों ने हमला किया था.
वीडियो: भारत ने अब तक तालिबान को लेकर कुछ नहीं कहा है. सरकार ने न काबुल में तालिबान के विरोध में कोई बयान दिया और न ही ऐसी कोई बात कही है, जिससे ज़ाहिर हो कि भारत भी रूस या चीन की तरह काबुल में तालिबान को क़बूल कर लेगा. भारत सरकार को इस बारे में अपना रुख़ स्पष्ट करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि यह सब कुछ हमारे अनुमान से कहीं ज़्यादा जल्दी हुआ. तो क्या हुआ? अफ़ग़ानिस्तान के नेताओं ने हार मान ली और देश छोड़कर भाग गए. अफ़ग़ान सेना पस्त हो गई और वो भी लड़ने की कोशिश किए बिना. पिछले हफ़्ते के घटनाक्रमों ने यह साबित कर दिया कि अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी सेना की भागीदारी को ख़त्म करना सही फ़ैसला है.
बीते 15 अगस्त को तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में प्रवेश करने के बाद से ही ‘अफ़ग़ानिस्तान नेशनल रेडियो और टेलीविजन’ (आरटीए) ने सीधा प्रसारण बंद कर कर्मचारियों को घर भेज दिया था. शमशाद टीवी और तोलो टीवी के सुरक्षा गार्डों को नि:शस्त्र कर दिया गया और तोलो टीवी का सीधा प्रसारण या कार्यक्रम नहीं हो रहे हैं.
अधिकारियों ने बताया कि अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल से भारतीय वायुसेना का सी-17 विमान राष्ट्रीय राजधानी के पास स्थित हिंडन वायुसेना स्टेशन आने के क्रम में मार्ग में सुबह क़रीब 11:15 बजे गुजरात के जामनगर स्थित वायुसेना स्टेशन में उतरा. भारत ने अफ़ग़ान नागरिकों के लिए आपातकालीन ई-वीज़ा की घोषणा की. इस बीच भारत में रह रहे अफ़ग़ान छात्रों ने वीज़ा अवधि बढ़ाने की मांग की है.
वीडियो: अफ़ग़ानिस्तान में लगभग दो दशकों में सुरक्षा बलों को तैयार करने के लिए अमेरिका और नाटो द्वारा अरबों डॉलर ख़र्च किए जाने के बावजूद तालिबान ने एक सप्ताह में लगभग पूरे देश पर क़ब्ज़ा कर लिया है. फ़िलहाल अमेरिका अपने बाकी बचे कर्मचारियों को निकालने में लगा हुआ है.
तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल पर क़ब्ज़ा कर लेने के बाद यहां तनाव का माहौल है. ज़्यादातर लोग अपने घरों में छिप गए हैं और बड़े-बड़े चौराहों पर तालिबान लड़ाके तैनात हैं. देश छोड़कर जाने वालों की भारी भीड़ काबुल एयरपोर्ट पर जमा है. अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ ग़नी ने कहा है कि वह काबुल छोड़कर इसलिए चले गए, ताकि वहां ख़ून-ख़राबा और बड़ी मानवीय त्रासदी न हो. भारत ने एयर इंडिया ने काबुल की एकमात्र उड़ान रद्द कर
अफ़ग़ानिस्तान में लगभग दो दशकों में सुरक्षा बलों को तैयार करने के लिए अमेरिका और नाटो द्वारा अरबों डॉलर ख़र्च किए जाने के बावजूद तालिबान ने एक सप्ताह में लगभग पूरे देश पर क़ब्ज़ा कर लिया है. फ़िलहाल अमेरिका अपने बाकी बचे कर्मचारियों को निकालने में लगा हुआ है. इस बीच देश के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी के ताज़िकिस्तान में शरण लेने की सूचना है. देश में सत्ता हस्तानांतरण की प्रक्रिया जारी है. यह स्पष्ट नहीं है कि यह कब होगा
राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने बताया कि मार्च 2015 से नवंबर 2019 के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुल 58 देशों की यात्रा की है.
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