खाना लपेटने-परोसने में अख़बारों का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक: एफएसएसएआई

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण खाद्य सामग्री विक्रेताओं और उपभोक्ताओं को एक चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अख़बारों में इस्तेमाल की जाने वाली स्याही में कुछ ऐसे रसायन होते हैं, जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर सकते हैं, इसलिए खाना पैक करने, परोसने और भंडारण में अख़बारों का इस्तेमाल तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाए.

विरोध के बाद पैकेट पर हिंदी में ‘दही’ लिखने को अनिवार्य करने संबंधी आदेश वापस लिया गया

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने एक आदेश में दही के पैकट पर नाम हिंदी में लिखने के लिए कहा था और इसके साथ कोष्ठक में उसके लिए क्षेत्रीय भाषा में प्रचलित शब्द लिखने का आदेश दिया था. कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में कई दुग्ध संघों ने इस आदेश के ज़रिये हिंदी थोपने के आरोप लगाए थे.

ईरान और ताइवान ने मानकों पर खरा न उतरने पर भारत द्वारा निर्यात चाय लेने से इनकार किया

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ताइवान और ईरान ने स्वीकार्य सीमा से अधिक कीटनाशकों की मौजूदगी के चलते भारत से भेजी गई चाय की खेप लेने से इनकार कर दिया. बीते हफ्ते निर्यात की गई चाय की गुणवत्ता पर उठे सवालों के बीच चाय बोर्ड ने सभी उत्पादकों और विक्रेताओं को एफएसएसएआई के गुणवत्ता मानकों का कड़ाई से पालन करने के निर्देश जारी किए थे.

क्या कोका-कोला भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों को प्रभावित कर रहा है?

भारत में खाद्य सुरक्षा मानकों को तय करने वाली संस्था एफएसएसएआई के दो सदस्य कोका-कोला द्वारा वित्त-पोषित संगठन द इंटरनेशनल लाइफ साइंसेज इंस्टिट्यूट के साथ काम करते हैं. चीन में यह संगठन ग्राहकों को ग़लत तरीके से प्रभावित करने के लिए जाना जाता है.

देश में बड़े पैमाने पर अवैध तरीके से बेचे जा रहे हैं प्रतिबंधित खाद्य पदार्थ: सीएसई रिपोर्ट

गैर-सरकारी संस्था सीएसई ने भारतीय बाज़ारों में उपलब्ध कुछ खाद्य पदार्थों का परीक्षण किया, जिसमें पाया गया कि 32% खाद्य पदार्थ जेनेटिकली मॉडिफाइड यानी जीएम पॉजिटिव हैं, जिन्हें सरकारी मंज़ूरी के बिना नहीं बेचा जा सकता.

देश के आठ सूबों में एक भी बूचड़खाना पंजीकृत नहीं

उत्तर प्रदेश समेत अलग-अलग राज्यों में अवैध बूचड़खानों के ख़िलाफ़ मुहिम शुरू किए जाने के बीच आरटीआई से पता चला है कि देश में केवल 1,707 बूचड़खाने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत पंजीकृत हैं.