खाना लपेटने-परोसने में अख़बारों का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक: एफएसएसएआई

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण खाद्य सामग्री विक्रेताओं और उपभोक्ताओं को एक चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अख़बारों में इस्तेमाल की जाने वाली स्याही में कुछ ऐसे रसायन होते हैं, जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर सकते हैं, इसलिए खाना पैक करने, परोसने और भंडारण में अख़बारों का इस्तेमाल तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाए.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमंस)

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण खाद्य सामग्री विक्रेताओं और उपभोक्ताओं को एक चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अख़बारों में इस्तेमाल की जाने वाली स्याही में कुछ ऐसे रसायन होते हैं, जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर सकते हैं, इसलिए खाना पैक करने, परोसने और भंडारण में अख़बारों का इस्तेमाल तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाए.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमंस)

नई दिल्ली: भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने खाद्य विक्रेताओं और उपभोक्ताओं से खाद्य पदार्थों की पैकिंग, भंडारण और परोसने के लिए अखबारों का उपयोग तत्काल प्रभाव से बंद करने का आग्रह किया है.

एनडीटीवी ने समाचार एजेंसी पीटीआई के हवाले से बताया है कि खाद्य नियामक ने कहा है कि अखबारों में इस्तेमाल की जाने वाली स्याही में कुछ ऐसे रसायन होते हैं, जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर सकते हैं.

एफएसएसएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) जी. कमल वर्धन राव ने ‘देश भर में उपभोक्ताओं और खाद्य विक्रेताओं से दृढ़ता से आग्रह किया कि वे खाद्य पदार्थों की पैकिंग, परोसने और भंडारण के लिए समाचार-पत्रों का उपयोग तुरंत बंद कर दें.’

राव ने आगे खाद्य पदार्थों को लपेटने और पैक करने के लिए अखबारों के उपयोग से जुड़े जोखिमों पर प्रकाश डाला.

एफएसएसएआई के अनुसार, छपाई की स्याही में ‘विभिन्न बायोएक्टिव सामग्रियां’ होती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं.

राव ने कहा, ‘अखबारों में उपयोग की जाने वाली स्याही में जाने-पहचाने नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों वाले विभिन्न जैव सक्रिय पदार्थ होते हैं, जो भोजन को दूषित कर सकते हैं और खाए जाने पर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं.’

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि स्याही में सीसा और भारी धातु जैसे रसायन हो सकते हैं, जो परोसे गए या अखबार में लपेटे गए भोजन के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश कर सकते हैं.

एफएसएसएआई ने चेतावनी दी, ‘इसके अलावा, वितरण के दौरान अखबारों को अक्सर विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जिससे वे बैक्टीरिया, वायरस या अन्य रोगाणुओं के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं, जो भोजन में स्थानांतरित हो सकते हैं और संभावित तौर पर खाद्य जनित बीमारियों का कारण बन सकते हैं.’

खाद्य नियामक ने खाद्य सुरक्षा और मानक (पैकेजिंग) विनियम-2018 को भी अधिसूचित किया है, जो भोजन के भंडारण, पैकिंग या लपेटने के लिए अखबारों या इसी तरह की सामग्री के उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है.

विनियमन के अनुसार, उपभोक्ताओं और विक्रेताओं को खाद्य वस्तुओं को ढकने या परोसने के लिए अखबार का उपयोग करने से बचना चाहिए. समोसा या पकौड़े जैसे तले हुए खाद्य पदार्थों से अतिरिक्त तेल सोखने के लिए भी अखबारों का उपयोग नहीं करना चाहिए.

एनडीटीवी ने पीटीआई के हवाले से बताया है कि एफएसएसएआई अब राज्य खाद्य अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी खाना परोसने या पैक करने के लिए अखबारों का इस्तेमाल न करे.

एफएसएसएआई के सीईओ राव ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि अखबारों के उपयोग को हतोत्साहित करके और सुरक्षित विकल्पों को बढ़ावा देकर, एफएसएसएआई देश में आपूर्ति किए जाने वाले खाद्य पदार्थों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जता रहा है.