जम्मू-कश्मीर: पीएसए के तहत हिरासत रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने कहा- भारत पुलिस स्टेट नहीं है

दक्षिण कश्मीर के शोपियां के निवासी ज़फ़र अहमद पर्रे पर पिछले साल पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया था और उन्होंने अपनी हिरासत को अदालत में चुनौती दी थी. अदालत ने इस मामले पर सख़्त टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत जैसा लोकतांत्रिक देश, जो क़ानूनसे चलता है, में पुलिस और मजिस्ट्रेट किसी व्यक्ति के ख़िलाफ़ केस दर्ज किए बिना उसे उठाकर पूछताछ नहीं कर सकते.

अदालत के तीसरे आदेश के बाद पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया कश्मीरी युवक रिहा

जम्मू कश्मीर के बारामूला के रहने वाले 25 वर्षीय मुज़म्मिल मंज़ूर वार को 17 अगस्त 2020 को ‘देश की सुरक्षा और संप्रभुता’ के लिए ख़तरा पैदा करने के आरोप में ‘कठोर’ पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया था. इसे उनके पिता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन रिहाई के दो आदेश के बाद भी उन्हें रिहा नहीं किया गया था.

रिहाई के आदेश के दो साल बाद भी हिरासत में रखना ‘बेहद परेशान करने वाला’: जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने पिछले साल फरवरी में मुज़म्मिल मंज़ूर वार की हिरासत के आदेश को रद्द कर दिया था, लेकिन 467 दिन बाद भी वह जेल में हैं. उन्हें विवादास्पद जम्मू-कश्मीर जन सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया था, जो लोगों को 2 साल तक बिना मुक़दमे के हिरासत में रखने की अनुमति देता है.

सिनेमा हॉल बाहरी खाना, पेय बंद करने का निर्णय ले सकते हैं, पानी फ्री देना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने 2018 में वहां के मल्टीप्लेक्स व सिनेमाघर मालिकों को दर्शकों द्वारा थियेटर में उनकी खाद्य सामग्री और पानी लाने से न रोकने का निर्देश दिया था. इसे रद्द करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि सिनेमाघर उनके मालिक की निजी संपत्ति है और उन्हें तब तक नियम, शर्तें तय करने का हक़ है जब तक वे जनहित के प्रतिकूल न हों.

सुप्रीम कोर्ट ने वकील को जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट का जज बनाने के लिए तीसरी बार सिफ़ारिश भेजी

वकील सादिक़ वसीम नागराल का नाम सबसे पहले 24 अगस्त, 2017 को जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा प्रस्तावित किया गया था. इसके बाद छह अप्रैल 2018 को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उनके नाम की सिफ़ारिश की. हाईकोर्ट में जज नियुक्त करने के लिए इस साल मार्च महीने में दूसरी बार अपनी सिफ़ारिश को दोहराया था. हालांकि इतने महीने बीत जाने के बाद भी केंद्र सरकार ने नागराल की नियुक्ति पर कोई फैसला नहीं किया है.

केंद्र ने जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में जज की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की सिफारिश खारिज की

केंद्र सरकार द्वारा पिछले दो सालों में जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट में नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों को वापस करने का यह चौथा मामला है.