वीडियो: संसद के मानसून सत्र से पहले भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने द वायर से ख़ास बातचीत में बताया कि किसान हार नहीं मानेंगे और आने वाले मानसून सत्र में किसान संसद का घेराव करने जा रहे हैं.
सोमवार को भाजपा के विधायक सदन में ओबीसी आरक्षण के समर्थन में नारेबाज़ी कर रहे थे. विधायकों का कहना है कि पीठासीन अध्यक्ष भास्कर जाधव ने उन्हें बोलने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया जबकि अध्यक्ष ने भाजपा विधायकों पर उनसे असंसदीय शब्द कहने और दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया है.
संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू होगा. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि इस दौरान संसद के बाहर केंद्र के तीनों कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ रोज़ क़रीब किसानों का एक समूह प्रदर्शन करेगा. साथ ही सत्र शुरू होने के दो दिन पहले सदन में क़ानूनों का विरोध करने के लिए सभी विपक्षी सांसदों को चेतावनी पत्र दिया जाएगा.
राज्यसभा के नए सदस्यों के लिए ओरिएंटेशन कार्यक्रम के उद्घाटन के मौके पर सभापति वेंकैया नायडू ने इस बात पर जोर दिया कि चर्चा, तर्क-वितर्क और निर्णय लेना लोकतंत्र के मंत्र हैं तथा सदस्यों को सदन में व्यवधान का रास्ता नहीं अपनाना चाहिए.
लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को लिखे पत्र में केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि उन्होंने विभिन्न दलों के नेताओं से संपर्क स्थापित किया तो उन लोगों ने भी महामारी पर चिंता जताते हुए शीतकालीन सत्र से बचने की सलाह दी. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि इस बारे में राज्यसभा में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद से सलाह नहीं ली गई.
केंद्र की मोदी सरकार का दावा है कि नए कृषि क़ानूनों के ज़रिये एपीएमसी मंडियों के बाहर भी कृषि उत्पाद बेचने और ख़रीदने की व्यवस्था तैयार की जाएगी. हालांकि किसानों एवं विशेषज्ञों को इस बात की चिंता है कि यदि ये क़ानून लागू किया जाता है तो एपीएमसी और एमएसपी व्यवस्था ख़त्म हो जाएगी.
बीते 20 सितंबर को कृषि विधेयकों पर विपक्ष द्वारा मत विभाजन की मांग को ख़ारिज करते हुए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा था कि सदस्यों ने अपनी सीट पर बैठकर ये मांग नहीं की थी. हालांकि राज्यसभा टीवी के फुटेज से पता चलता है कि कई सांसदों ने अपनी सीट से ही वोटिंग की मांग की थी.
बीते 20 सितंबर को दो कृषि विधेयकों पर विपक्ष द्वारा मत विभाजन की मांग को ख़ारिज करते हुए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा था कि सदस्यों ने अपनी सीट पर बैठकर ये मांग नहीं की थी. हालांकि राज्यसभा टीवी के फुटेज से पता चलता है कि कई सांसदों ने अपनी सीट से ही वोटिंग की मांग की थी.
संसद में बीते कुछ वर्षों से सरकार बिना उचित विचार-विमर्श के आनन-फानन में विधेयकों को पारित करने पर आमादा दिखती है. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में महज़ 25 फीसदी विधेयकों को संसदीय समिति के पास भेजा गया, जो 15वीं लोकसभा के समय भेजे गए विधेयकों की तुलना में काफ़ी कम है.
मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने पर कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आठ सांसदों का निलंबन वापस होने और कृषि विधेयक में उनकी तीन मांगें शामिल होने तक विपक्ष राज्यसभा का बहिष्कार करेगा. वहीं, निलंबित सासंदों के धरने के जवाब में राज्यसभा उपसभापति ने 24 घंटे उपवास की घोषणा की है.
रविवार को राज्यसभा में कृषि विधेयक ध्वनि मत से पास होने के पहले कई विपक्षी नेता इसके विरोध में हंगामा करते हुए वेल में पहुंच गए थे. राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने आठ सांसदों को सदन की कार्यवाही से निलंबित करते हुए उपसभापति हरिवंश के ख़िलाफ़ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को भी ख़ारिज कर दिया है.
कोरोना वायरस के मद्देनज़र सरकार के इस क़दम का विरोध करते हुए विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार महामारी का इस्तेमाल लोकतंत्र की हत्या करने के लिए कर रही है. भाजपा की ओर से कहा गया कि विपक्ष प्रश्नकाल निलंबन पर फ़र्ज़ी विमर्श खड़ा कर रहा है.
शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हुए मानसून सत्र के दौरान संसद में लाए गए 17 विधेयकों में से 12 पारित हो गए.
अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सत्ता और विपक्ष दोनों ही एक-दूसरे के ख़िलाफ़ ऐसी चार्जशीट बनाने की हड़बड़ी में थे, जिसे 2019 के लोकसभा चुनाव में जनता की अदालत में पेशकर जता सकें कि उसके सबसे बड़े और सच्चे शुभचिंतक वास्तव में वही हैं.
मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष के पहले अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में चर्चा जारी है. चर्चा की शुरुआत तेदेपा के जयदेव गल्ला ने की. बीजद के सदस्य अविश्वास प्रस्ताव का बहिष्कार करते हुए सदन से वाकआउट कर गए. अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दौरान शिवसेना अनुपस्थित रहेगी.