राज्यसभा: निलंबित सांसदों ने रातभर संसद परिसर में धरना दिया, विपक्ष ने सदन का बहिष्कार किया

मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने पर कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आठ सांसदों का निलंबन वापस होने और कृषि विधेयक में उनकी तीन मांगें शामिल होने तक विपक्ष राज्यसभा का बहिष्कार करेगा. वहीं, निलंबित सासंदों के धरने के जवाब में राज्यसभा उपसभापति ने 24 घंटे उपवास की घोषणा की है.

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रात में संसद परिसर में धरना देते राज्यसभा से निलंबित होने वाले आठ सांसद. (फोटो: पीटीआई)

मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने पर कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आठ सांसदों का निलंबन वापस होने और कृषि विधेयक में उनकी तीन मांगें शामिल होने तक विपक्ष राज्यसभा का बहिष्कार करेगा. वहीं, निलंबित सासंदों के धरने के जवाब में राज्यसभा उपसभापति ने 24 घंटे उपवास की घोषणा की है.

रात में संसद परिसर में धरना देते राज्यसभा से निलंबित होने वाले आठ सांसद. (फोटो: पीटीआई)
रात में संसद परिसर में धरना देते राज्यसभा से निलंबित होने वाले आठ सांसद. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: रविवार को राज्यसभा में हुए हंगामे के चलते सोमवार को आठ विपक्षी सदस्यों को निलंबित किए जाने को लेकर निलंबित सांसदों मे विरोध में रातभर संसद भवन परिसर में धरना दिया.

निलंबित होने वाले सांसदों में टीएमसी के डेरेक ओ’ब्रायन और डोला सेन, आप के संजय सिंह, कांग्रेस नेता राजीव सातव, रिपुन बोरा और सैयद नासिर हुसैन और माकपा के केके रागेश और इलामारम करीम शामिल हैं.

ये सभी रातभर संसद परिसर में तकिया और कंबल लेकर बैठे रहे और अपना विरोध जताने के लिए गाने और कविताएं भी गाते रहे.

उच्च सदन में कृषि संबंधी विधेयक को पारित किए जाने के दौरान ‘अमर्यादित व्यवहार’ के कारण इन सदस्यों को शेष सत्र के लिए निलंबित किया गया है.

निलंबन के खिलाफ कांग्रेस, माकपा, शिवसेना, जनता दल (सेक्यूलर), तृणमूल कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और समाजवादी पार्टी के सांसद संसद भवन परिसर में धरने पर बैठ गए. उनके हाथों में ‘लोकतंत्र की हत्या’ और ‘संसद की मौत’ लिखी तख्तियां थीं.

माकपा नेता इलामारम करीम ने कहा, ‘निलंबन से हमारी आवाज को दबाया नहीं जा सकता. हम किसानों के साथ उनकी लड़ाई में साथ रहेंगे. उपसभापति ने कल संसदीय प्रक्रियाओं का गला घोंटा है. सांसदों के निलंबन ने भाजपा के कायर चहरे को उजागर कर दिया है.’

संजय सिंह ने कहा, ‘देश के किसानों जाग जाओ. भाजपा की सरकार ने आपकी जिंदगी को अडानी-अंबानी को गिरवी रख दी है. जाग जाओ और इस काले कानून का विरोध करो. हम संसद में प्रदर्शन कर रहे हैं और आप इसके बाहर करो. भाजपा सरकार ने किसानों के खिलाफ काले कानून को पारित किया है. हमें विधेयक का विरोध करने के लिए निलंबित किया गया है.’

आप नेता ने कहा, ‘इसलिए हम यहां धरने पर बैठे हैं और तब तक बैठे रहेंगे जब तक भाजपा सरकार आकर नहीं बताती कि क्यों लोकतंत्र का गला घोंटकर इस काले कानून को पारित किया गया है.’

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, मंगलवार की सुबह राज्यसभा उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह धरने पर बैठे साथी सांसदों के लिए चाय लेकर पहुंचे, लेकिन निलंबित सांसदों ने उसे स्वीकार नहीं किया.

कांग्रेस के रिपुन बोरा ने कहा, ‘हरिवंश जी ने कहा कि वह हमसे एक साथी के रूप में मिलने के लिए आए हैं न कि राज्यसभा के उप सभापति के रूप में. हमने अपने निलंबन के खिलाफ इस धरना प्रदर्शन को कल दोपहर 12 बजे से कर रहे हैं. हम किसानों के मुद्दों पर विरोध कर रहे हैं और किसानों के हितों से कोई समझौता नहीं होगा.’

वहीं, संजय सिंह ने कहा, ‘हम यहां धरना कर रहे हैं न कि चाय पार्टी और हम सभी उप सभापति का सम्मान करते हैं लेकिन धरने के बाद हम सभी सांसद अपने आवासों पर उन्हें चाय पर बुलाएंगे.’

वहीं, धरना कर रहे निलंबित सांसदों के लिए चाय लेकर पहुंचने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरिवंश नारायण सिंह की तारीफ की.

प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कह, ‘हरिवंश जी उन लोगों के लिए चाय लेकर पहुंचे, जिन्होंने कुछ दिन पहले उन पर हमला किया, उन्हें बेइज्जत किया. इससे पता चलता है कि हरिवंश जी कितने विनम्र और बड़े दिल वाले हैं. मैं देश की जनता के साथ उन्हें बधाई देता हूं.’

हालांकि, इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने आगामी बिहार चुनाव को देखते हुए अपने दूसरे ट्वीट में दो बार बिहार का जिक्र किया. उपसभापति बिहार से राज्यसभा सांसद हैं.

मोदी ने दूसरे ट्वीट में कहा ‘बिहार की महान धरती सदियों से हमें लोकतंत्र के मूल्यों की सीख दे रही है. इस खूबसूरत परंपरा को आगे बढ़ाते हुए बिहार के सांसद और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश जी हमें प्रेरणा दे रहे हैं. आज सुबह उन्होंने जो किया, उससे लोकतंत्र से प्यार करने वाले हर आदमी को गर्व होगा.’

हालांकि, अब राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने भी 24 घंटे का उपवास रखने का ऐलान किया है. सभापति वेंकैया नायडू को चिट्ठी लिखकर इसकी जानकारी देते हुए उन्होंने सदन में विपक्ष के रवैये से हुए अपमान पर दुख जताया है.

मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने पर कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने सरकार से एक बार फिर निजी खरीददारों द्वारा किसानों की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम पर न किए जाने और स्वामीनाथन फॉर्मूले को लागू करने की मांग की.

उन्होंने कहा, ‘जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं, विपक्ष सत्र का बहिष्कार करेगा और हमारी मांगों में आठ सांसदों के निलंबन को वापस लेना और निजी खरीददारों द्वारा किसानों की फसल एमएसपी से कम पर न किया जाना शामिल है.’

समाजवादी पार्टी सांसद रामगोपाल यादव ने कहा, ‘मैं संसद का एक वरिष्ठ सदस्य हूं, मैंने सदन में जो भी हुआ उसके लिए माफी मांगी है, लेकिन मुझे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. मुझे यह बहुत अपमानजनक लगा. मेरी पार्टी ने पूरे सत्र का बहिष्कार करने का फैसला किया है.’

वहीं संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, ‘क्या उच्च सदन में जो हुआ वह दर्दनाक नहीं है? क्या यह व्यवहार करने का एक तरीका है? यदि वे अपना खेद व्यक्त करते हैं, तो सरकार उनके बिना कार्यवाही चलाने के लिए बाध्य नहीं है. हम चर्चा के लिए तैयार हैं और हमारा पक्ष मजबूत है.’

बता दें कि शुरुआत में 1 अक्टूबर तक संसद चलने वाला था लेकिन करीब 30 सांसदों के कोविड-19 पॉजिटिव पाए जाने के बाद अब संसद की कार्यवाही 23 सितंबर तक ही चलेगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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