पीएम मोदी के भाषण पर विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से शिकायत की, अयोग्य ठहराने की मांग

विपक्ष का कहना है कि रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राजस्थान के बांसवाड़ा में दिया गया चुनावी भाषण बेहद सांप्रदायिक और नफ़रत से भरा हुआ है. इसका उद्देश्य देश की जनता के बीच धर्म के आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देना है.

पीएमओ बैठक विवाद: क़ानून मंत्रालय ने कहा, वह पत्र सचिव या सीईसी के प्रतिनिधि के लिए था

चुनाव आयोग को बीते 15 नवंबर को कानून मंत्रालय की ओर से एक पत्र मिला था, जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा मतदाता सूची को लेकर एक बैठक लेने वाले हैं और चाहते हैं कि इसमें ‘मुख्य चुनाव आयुक्त’ मौजूद रहें. इस ‘असामान्य’ पत्र को लेकर विवाद खड़ा हो गया था, क्योंकि चुनाव आयोग आमतौर पर अपने कामकाज की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए सरकार से दूरी बनाए रखता है.

केंद्र से बैठक में शामिल होने का पत्र मिलने पर चुनाव आयुक्त ने पीएमओ से बातचीत की थीः रिपोर्ट

चुनाव आयोग को बीते 15 नवंबर को कानून मंत्रालय की ओर से एक पत्र मिला था, जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा एकल मतदाता सूची को लेकर एक बैठक लेने वाले हैं और चाहते हैं कि इसमें ‘मुख्य चुनाव आयुक्त’ मौजूद रहें. यह पत्र बहुत ही असामान्य था, क्योंकि चुनाव आयोग आमतौर पर अपने कामकाज की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए सरकार से दूरी बनाए रखता है.

पीएमओ की बैठक में चुनाव आयुक्तों को बुलाने वाले पत्र पर पूर्व सीईसी ने कहा- यह उचित नहीं

बीते 15 नवंबर को चुनाव आयोग को क़ानून मंत्रालय का एक पत्र मिला था, जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा एकल मतदाता सूची को लेकर एक बैठक की अध्यक्षता करने वाले हैं और चाहते हैं कि इसमें ‘मुख्य चुनाव आयुक्त’ मौजूद रहें. इस पत्र को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग अपने कामकाज की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए सरकार से दूरी बनाए रखता है.

पीएमओ के चुनाव सुधारों पर चुनावों आयुक्तों के साथ बातचीत पर विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा

चुनाव आयोग को बीते 15 नवंबर को क़ानून मंत्रालय की ओर से एक पत्र मिला था, जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा एकल मतदाता सूची को लेकर एक बैठक लेने वाले हैं और चाहते हैं कि इसमें ‘मुख्य चुनाव आयुक्त’ मौजूद रहें. यह पत्र बहुत ही असामान्य था, क्योंकि चुनाव आयोग आमतौर पर अपने कामकाज की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए सरकार से दूरी बनाए रखता है.