सर्वोच्च न्यायालय उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को बहाल किए जाने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला के बयान का उल्लेख किया गया था. आरोप लगाया गया था कि अब्दुल्ला चीन को कश्मीर ‘सौंपने’ की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए उनके ख़िलाफ़ राजद्रोह का मुक़दमा चलाया जाना चाहिए.
अक्टूबर 2020 में हाथरस में दलित युवती से सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद वहां जा रहे केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को ज़मानत देते हुए शीर्ष अदालत ने उन्हें परिजनों और डॉक्टरों के अलावा किसी से मिलने की अनुमति नहीं दी है. पीठ ने यह भी कहा इस दौरान वे सोशल मीडिया समेत मीडिया को कोई इंटरव्यू नहीं देंगे.
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बीते 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकाला था, जो हिंसक हो गया. इस दौरान दिल्ली के आईटीओ इलाके में 25 वर्षीय नवरीत सिंह की मौत हो गई थी. उनके दादा की याचिका पर दिल्ली पुलिस ने यह नोटिस जारी किया है. उनका दावा है कि उनके पोते के सिर में गोली लगने के घाव थे.
केंद्र के तीन नए कृषि क़ानूनों को वापस लेने की किसान संगठनों की मांग के समर्थन में 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान बहुत से प्रदर्शनकारी लाल क़िले तक पहुंच गए थे. बताया गया है कि अभिनेता से कार्यकर्ता बने दीप सिद्धू ने वहां एक ध्वज स्तंभ पर धार्मिक झंडा लगाया था.
26 जनवरी को दिल्ली में किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान असत्यापित ख़बरें प्रसारित करने के आरोप में कांग्रेस नेता शशि थरूर, वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई, मृणाल पांडेय और चार अन्य पत्रकारों के ख़िलाफ़ राजद्रोह की धाराओं में मामला दर्ज हुआ है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने यह आरोप भी लगाया कि सड़कों पर कीलें व कंटीले तार लगाना, आंतरिक सड़कें बंद कर अवरोधक बढ़ाना, इंटरनेट सेवाएं बंद करना और भाजपा-आरएसएस के कार्यकर्ताओं के माध्यम से प्रदर्शन करवाना सरकार, पुलिस और प्रशासन की ओर से हो रहे नियोजित ‘हमलों’ का हिस्सा हैं.
अकाल तख़्त जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा है कि दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति हर साल फतेह मार्च का आयोजन निशान साहिब के साथ लाल क़िले में करती है. इसे गलवान घाटी में फहराया जाता है. इस साल गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा निशान साहिब था. इसे खालिस्तान का झंडा कहकर आलोचना करना सही नहीं है.
इंडिया टुडे समाचार चैनल के वरिष्ठ एंकर और सलाहकार संपादक राजदीप सरदेसाई के एक महीने का वेतन भी काट दिया गया है. उन्होंने 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा में एक प्रदर्शनकारी की मौत पर ट्वीट कर कहा था कि उनकी मौत पुलिस फायरिंग में हुई है. हालांकि पुलिस द्वारा घटना से संबंधित वीडियो जारी करने के बाद उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया था.
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पिछले दो महीनों से प्रदर्शन कर रहे किसानों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया है कि केंद्र की भाजपा सरकार राज्यों की अपनी सरकारों के साथ मिलकर 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा का दोष हमारे संगठन पर मढ़ कर आंदोलन को समाप्त करने का प्रयास कर रही है, जो यह अस्वीकार्य है.
वीडियो: गणतंत्र दिवस के मौके पर केंद्र के तीन नए कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग पर किसानों द्वारा निकाले गए ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अपूर्वानंद से द वायर के अजय आशीर्वाद की बातचीत.
वीडियो: गणतंत्र दिवस के मौके पर केंद्र के तीन नए कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग पर किसानों द्वारा निकाले गए ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा को लेकर योगेंद्र यादव समेत तमाम किसान नेताओं के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है. इस मुद्दे पर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.
दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के सिलसिले में राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव और मेधा पाटकर सहित 37 किसान नेताओं के ख़िलाफ़ नामज़द प्राथमिकी दर्ज की है. इन नामज़द नेताओं के विरुद्ध ‘लुक आउट’ नोटिस भी जारी किया है.
दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित ग़ाज़ीपुर धरना स्थल के आसपास पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तादाद बढ़ाकर इसे छावनी में तब्दील कर दिया गया है. सुरक्षा बल दोपहर से ही यहां पर फ्लैग मार्च कर रहे हैं. इसके साथ ही धरनास्थल पर बिजली-पानी भी काट दिए गए हैं.
उत्तर प्रदेश के अयोध्या शहर में स्थित केएस साकेत डिग्री कॉलेज का मामला. कॉलेज प्रिंसिपल ने आरोप लगाया कि 16 दिसंबर को परिसर में ‘ले के रहेंगे आजादी’ जैसे अभद्र और देशविरोधी नारे लगाए गए. छात्रों ने छात्रसंघ चुनाव न कराए जाने का विरोध कर रहे थे.
यूपी पुलिस ने बीते अक्टूबर में हाथरस जा रहे केरल के एक पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन समेत चार युवकों को गिरफ़्तार किया था. राज्य सरकार ने कोर्ट में दावा किया है कि कप्पन पत्रकार नहीं, बल्कि अतिवादी संगठन पीएफआई के सदस्य हैं. केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.