भाजपा के पूर्व सांसद के सोशल मीडिया अभियान के बाद एनएसडी में ‘तमस’ का प्रदर्शन स्थगित

विभाजन और सांप्रदायिक राजनीति पर आधारित भीष्म साहनी के उपन्यास ‘तमस’ के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया अभियान की शुरुआत भाजपा के पूर्व सांसद बलबीर पुंज के एक मैसेज से हुई, जिसमें उन्होंने साहनी को वामपंथी बताते हुए दावा किया था कि तमस में सांप्रदायिक हिंसा के लिए ‘प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से’ आरएसएस को ज़िम्मेदार ठहराया गया था.

हिंदी साहित्य ने विभाजन को कैसे देखा

जहां हिंदी लेखकों ने विभाजन पर बार-बार लिखा, हिंदी कवि इस पर तटस्थ बने रहे. कइयों ने आज़ादी मिलने के जश्न की कविताएं तो लिखीं, लेकिन देश बंटने के पीड़ादायी अनुभव पर उनकी चुप्पी बनी रही.

साढ़े चार आखर मनुष्यता का, पढ़े सो पंडित होय…

हजारी प्रसाद द्विवेदी सही मायने में पंडित थे. वैसे पंडित नहीं, जो शास्त्र और वेद को पढ़कर जड़ और हिंसक हो जाता है, बल्कि वैसे, जो कबीर की तरह प्रेम या मनुष्यता का ढाई आखर पढ़कर पंडित होता है.