मीडिया में आई खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल एवं जस्टिस सी. हरि शंकर की पीठ ने हाईकोर्ट के पूर्व जज एसपी गर्ग की अध्यक्षता में मामले की न्यायिक जांच कराने का आदेश दिया है.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने यहां की तीस हजारी अदालत परिसर में वकीलों और पुलिस के बीच झड़प मामले में रविवार को सुनवाई के दौरान अपने एक सेवानिवृत्त जज से घटना की न्यायिक जांच कराने का आदेश दिया.
घटना के संबंध में मीडिया में आई खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल एवं जस्टिस सी. हरि शंकर की पीठ ने रविवार को कहा कि उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) एसपी गर्ग मामले में न्यायिक जांच करेंगे.
इसके अलावा बार एंड बेंच की खबर के मुताबिक, कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वे एडवोकेट विजय वर्मा को 50,000 रुपये, एडवोकेट रंजीत मलिक को 50,000 रुपये और एडवोकेट पंकज दुबे को 10,000 रुपये का मुआवजा दें.
पीठ ने जांच पूरी होने तक दिल्ली पुलिस आयुक्त को विशेष आयुक्त संजय सिंह और अतिरिक्त डीसीपी हरिंदर सिंह का तबादला करने का आदेश दिया है. पीठ ने यह भी साफ किया कि किसी वकील के खिलाफ कोई बलप्रयोग नहीं किया जायेगा.
अधिकारियों और चश्मदीदों के अनुसार शनिवार दोपहर को तीस हजारी अदालत परिसर में वकीलों और पुलिस के बीच झड़प में 20 पुलिसकर्मी तथा कई वकील घायल हो गये जबकि 17 वाहनों की तोड़फोड़ की गई.
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने पीठ को बताया कि घटना की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया गया है.
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए वकील राहुल मेहरा ने पीठ को बताया कि झड़प में कथित रूप से शामिल एक सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) को निलंबित कर दिया गया है और एक अन्य का तबादला कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि झड़प में 21 पुलिस अधिकारी और आठ वकील घायल हुए हैं.
उन्होंने कहा कि अपराध शाखा का विशेष जांच दल मामले की जांच करेगा. उन्होंने कहा कि घटना के संबंध में हत्या के प्रयास के आरोप समेत संबंधित धाराओं के तहत चार प्राथमिकी दर्ज की गई है.
पुलिस ने बताया कि घायल 20 पुलिसकर्मियों में दो थाना प्रभारी और एक अतिरिक्त आयुक्त शामिल हैं. पुलिस ने दावा किया कि घटना में आठ वकील घायल हुए हैं.
हालांकि, वकीलों का दावा है कि पुलिस ने जो आंकड़े बताए हैं उससे अधिक संख्या में उनके सहकर्मी घायल हुए हैं. उन्होंने दावा किया कि पुलिस की गोली लगने से दो वकील घायल हुए हैं जबकि पुलिस ने गोलीबारी के आरोपों से इनकार किया है और कहा कि उसने हवा में गोली चलाई थी.
रजिस्ट्रार जनरल (आरजी) दिनेश कुमार शर्मा ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश और उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीशों ने रविवार सुबह बंद कमरे में बैठक की. उन्होंने बताया कि बैठक में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और दिल्ली सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव भी शामिल थे.
उन्होंने बताया कि बैठक खत्म होने के बाद अदालत ने दोपहर बाद दिन में एक बजे सुनवाई करने का फैसला किया.
वकीलों और पुलिस के बीच झड़प मामले में दोपहर बाद दिन में एक बजे सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने केंद्र, दिल्ली पुलिस आयुक्त और मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर उनसे इस संबंध में जवाब मांगा.
अदालत ने झड़प में कथित रूप से शामिल पुलिस अधिकारियों को दिन में तीन बजे मौजूद रहने का आदेश भी दिया.
इसके अलावा बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने दिल्ली उच्च न्यायालय को पत्र लिखकर मामले में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ धारा 307 (हत्या का प्रयास) एवं शस्त्र अधिनियम के संबंधित प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज करने की खातिर दिल्ली के उपराज्यपाल एवं अन्य अधिकारियों से इस संबंध में अनुमति लेने का अनुरोध किया.
पत्र में इसके लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों को तुरंत गिरफ्तार करने और सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा न्यायिक जांच शुरू करने का अनुरोध किया गया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)