पीएमसी बैंक में वित्तीय अनियमितताएं सामने आने के आरबीआई ने नकद निकासी समेत बैंक पर कई प्रतिबंध लगा दिए थे. इसके ख़िलाफ़ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिकाएं दाख़िल की गई हैं. आरबीआई के विभिन्न प्रतिबंधों के बाद बैंक के आठ खाताधारकों की मौत हो चुकी है.
मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से पूछा कि उसने घोटाले की मार झेल रहे पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक के जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए क्या कदम उठाए हैं.
जस्टिस एससी धर्माधिकारी और जस्टिस आरआई छागला की खंडपीठ बैंक के जमाकर्ताओं की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इन याचिकाओं में आरबीआई की निकासी सीमा को चुनौती दी गई है.
आरबीआई ने पीएमसी बैंक में कथित वित्तीय अनियमितता सामने आने के बाद नकद निकासी समेत अन्य प्रतिबंध लगाए थे. सबसे पहले निकासी सीमा 1,000 रुपये तय की गयी थी. इसको लेकर विभिन्न तबकों ने काफी आलोचना की थी. उसके बाद 26 सितंबर को निकासी सीमा बढ़ाकर 10,000 रुपये प्रति खाता कर दी गई थी. उसके बाद फिर बढ़ाकर 40,000 रुपये कर दिया गया था.
पीठ ने सोमवार को कहा कि वह सिर्फ यह जानना चाहती है कि आरबीआई ने इस मामले में क्या किया है.
अदालत ने कहा, ‘आरबीआई को इस बैंक के सभी कामों की जानकारी है. आरबीआई बैंकों का बैंक है और इस तरह के मुद्दों के लिए विशेषज्ञ निकाय है. हम आरबीआई के काम में बाधा नहीं डालना चाहते और न ही उसके अधिकारों को कम करना चाहते हैं.’
अदालत ने कहा कि इस तरह के वित्तीय मामलों में आरबीआई ही न्यायाधीश होगा न कि अदालत.
अदालत ने आरबीआई को हफलनामा जमा करने का निर्देश दिया है और मामले में अगली सुनवाई के लिए 19 नवंबर की तारीख तय की है.
न्यायालय ने इस मामले में किसी भी तरह की अंतरिम राहत देने से इनकार किया है.
एक याचिकाकर्ता ने न्यायालय से ग्राहकों को अपने लॉकरों का उपयोग करने की अनुमति देने का आरबीआई को निर्देश देने मांग की थी.
इस पर अदालत ने कहा, ‘आरबीआई को कार्रवाई करने से कैसे रोक सकते हैं? अगर आरबीआई कहता है कि बैंक से दूर रहें, तो ऐसा करें.’
अदालत ने कहा कि जमाकर्ता अगर चाहें तो बैंक पर मुकदमा कर सकते हैं. पीठ ने कहा कि वकीलों को जमाकर्ताओं को झूठी उम्मीद नहीं देनी चाहिए कि अदालत उनकी मदद करेगी.
जस्टिस धर्माधिकारी ने कहा, ‘अदालतें जादूगर नहीं है. जमाकर्ताओं को झूठी उम्मीद न दें.’
गौरतलब है कि पीएमसी बैंक में वित्तीय अनियमितता सामने आने के बाद से अब तक आठ खाताधारकों की मौत हो चुकी है. बैंक के कामकाज में अनियमितताएं और रीयल एस्टेट कंपनी एचडीआईएल को दिए गए कर्ज के बारे में सही जानकारी नहीं देने को लेकर उस पर नियामकीय पाबंदी लगाई गई थीं.