मृतक की पहचान 74 वर्षीय एंड्रयू लोबो के रूप में हुई है. लोबो के बैंक खाते में 26 लाख से अधिक रुपये जमा थे. वे इस जमा राशि के ब्याज से अपना गुजारा करते थे.
मुंबई: सहकारी ऋणदाता पीएमसी बैंक के एक और जमाकर्ता की मौत का मामला सामने आया है. मृतक के परिवार वालों ने मौत का कारण कथित तौर पर इलाज का खर्च नहीं उठा पाना बताया है.
मृतक के पोते क्रिस ने बताया कि 74 वर्षीय एंड्रयू लोबो का गुरुवार देर शाम ठाणे के पास काशेली में उनके घर पर निधन हो गया.
एंड्रयू लोबो पीएमसी बैंक पर आरबीआई द्वारा नकदी निकासी की सीमा लगाए जाने के बाद से मरने वाले नौवें जमाकर्ता हैं. आरबीआई के इस फैसले के बाद 23 सितंबर को एक जमाकर्ता ने आत्महत्या कर ली थी. इस मामले से पहले दो नवंबर तक कुल आठ खाताधारकों की मौते हो चुकी थी.
क्रिस ने बताया कि लोबो के बैंक खाते में 26 लाख से अधिक रुपये जमा थे. लोबो इस जमा राशि के ब्याज से अपना गुजारा करते थे.
क्रिस ने कहा, ‘दो महीने पहले उनके फेफड़े में संक्रमण हो गया जिसके लिए उन्हें नियमित दवाओं और डॉक्टरों के इलाज की जरूरत थी. उनका पैसा बैंक में अटका हुआ था जिसके कारण उनकी चिकित्सा जरुरतें पूरी नहीं हो पायी.’
इससे पहले 14 अक्टूबर को जेट एयरवेज के एक पूर्व कर्मचारी संजय गुलाटी (51) की भी दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी. वह बैंक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने गए थे, जिसे बाद उन्हें दिल का दौरा पड़ा.
इसी तरह महाराष्ट्र के मुलुंड में पीएमसी के खाताधारक केशुमलभाई हिंदुजा की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी.
एक अन्य खाताधारक फत्तोमल पंजाबी (56) की उससे अगले दिन मौत हो गई थी. फत्तोमल की मुलुंड में दुकान थी और उन्हें भी दिल का दौरा पड़ा था. इस संबंध में तीसरी मौत भी उसी दिन हुई थी. 39 साल की एक खाताधारक ने आत्महत्या कर ली थी.
इस मामले में चौथी मौत मुरलीधर धर्रा की हुई थी. पैसों की कमी की वजह से वह बाइपास सर्जरी नहीं करा पाए थे और दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई थी. वहीं, पांचवीं मौत भारती सदरंगनी (73) की भी दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी.
गौरतलब है कि सितंबर में आरबीआई ने पीएमसी बैंक में वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आने के बाद बैंक के ग्राहकों के लिए नकदी निकासी की सीमा तय करने के साथ ही बैंक पर कई तरह के अन्य प्रतिबंध लगा दिए थे.
बैंक के कामकाज में अनियमितताएं और रीयल एस्टेट कंपनी एचडीआईएल को दिये गये कर्ज के बारे में सही जानकारी नहीं देने को लेकर उस पर नियामकीय पाबंदी लगाई गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)