कर्मचारी भविष्य निधि मामले में यूपी पावर कॉरपोरेशन के पूर्व प्रबंध निदेशक गिरफ्तार

आरोप है कि ऊर्जा विभाग में कर्मचारी भविष्य निधि के करीब 2,600 करोड़ रुपये को गलत तरीके से निजी संस्था डीएचएफएल में निवेश किया गया है. डीएचएफएल कंपनी कथित रूप से अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के सहयोगी इकबाल मिर्ची से जुड़ा हुआ है.

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Lucknow: Congress workers stage a dharna against the alleged provident fund (PF) scam in Uttar Pradesh Power Corporation Ltd (UPPCL), at GPO in Lucknow, Monday, Nov. 4, 2019. (PTI Photo/Nand Kumar) (PTI11_4_2019_000159B)

आरोप है कि ऊर्जा विभाग में कर्मचारी भविष्य निधि के करीब 2,600 करोड़ रुपये को गलत तरीके से निजी संस्था डीएचएफएल में निवेश किया गया है. डीएचएफएल कंपनी कथित रूप से अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के सहयोगी इकबाल मिर्ची से जुड़ा हुआ है.

Lucknow: Congress workers stage a dharna against the alleged provident fund (PF) scam in Uttar Pradesh Power Corporation Ltd (UPPCL), at GPO in Lucknow, Monday, Nov. 4, 2019. (PTI Photo/Nand Kumar) (PTI11_4_2019_000159B)
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड में कथित भविष्य निधि (पीएफ) घोटाले के खिलाफ लखनऊ में विरोध प्रदर्शन करते कांग्रेस कार्यकर्ता. (फोटो: पीटीआई)

लखनऊ: ऊर्जा विभाग के कर्मचारियों की भविष्य निधि (पीएफ या प्रॉविडेंट फंड) के गलत तरीके से निवेश के मामले में उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के पूर्व प्रबंध निदेशक एपी मिश्रा को मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया गया.

पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने बताया कि यह गिरफ्तारी ऊर्जा विभाग में कर्मचारी भविष्य निधि के करीब 2,600 करोड़ रुपये का गलत तरीके से निजी संस्था डीएचएफएल (दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड) में निवेश किए जाने के मामले में हुई है. डीएचएफएल कंपनी कथित रूप से अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के सहयोगी इकबाल मिर्ची से जुड़ा हुआ है.

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के कर्मचारियों की भविष्य निधि के 2,631 करोड़ों रुपये का अनियमित तरीके से डीएचएफएल में निवेश किए जाने के मामले में बीते शनिवार को सीपीएफ ट्रस्ट और जीपीएफ ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव पीके गुप्ता और तत्कालीन निदेशक (वित्त) सुधांशु द्विवेदी के खिलाफ मामला दर्ज कर इन दोनों को भी गिरफ्तार किया जा चुका है.

सरकार ने मामले की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश की है. सीबीआई द्वारा जांच अपने हाथ में लिए जाने से पहले मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा को दी गई है.

इससे पहले उत्तर प्रदेश शासन ने चार नवंबर को देर रात ऊर्जा सचिव और यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड की प्रबंध निदेशक अपर्णा यू को पद से हटा दिया है और उनकी जगह पर वरिष्ठ अधिकारी एम. देवराज को कमान सौंपी गई है.

देर रात एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि केंद्र से प्रतिनियुक्ति से वापस लौटे एम. देवराज को सचिव ऊर्जा और प्रबंध निदेशक यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड की कमान सौंपी गई है जबकि अपर्णा यू को सचिव सिंचाई विभाग का काम सौंपा गया है.

वहीं इस मामले को लेकर विपक्ष अब राज्य की भाजपा सरकार पर हमलावर है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि इस घोटाले के लिए सिर्फ प्रदेश की भाजपा सरकार ही जिम्मेदार है और इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस्तीफा दे देना चाहिए.

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने इस घोटाले का दरवाजा अपनी सरकार में खोले जाने के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के आरोप का जवाब देते हुए प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि सपा के शासनकाल में कर्मचारियों की भविष्य निधि का एक भी पैसा डीएचएफएल में निवेश नहीं किया गया.

उन्होंने कहा कि जिस समय डीएचएफएल में पैसा निवेश किया गया उस वक्त प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार नहीं थी. इस घोटाले के मामले में जो मुकदमा दर्ज हुआ है उसमें भी यही बात लिखी है. सपा सरकार के समय में एक भी पैसा डीएचएफएल को नहीं दिया गया.

सपा अध्यक्ष ने कहा कि इस घोटाले के लिए सिर्फ प्रदेश की भाजपा सरकार और खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोषी हैं. उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. मुख्यमंत्री चाहते होंगे कि ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को हटा दिया जाए, मैं इसीलिए मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांग रहा हूं.

उन्होंने कहा कि सपा की मांग है कि इस मामले की जांच उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के किसी सेवारत जज से कराई जाए. जब तक यह जांच नहीं होगी तब तक सच्चाई बाहर नहीं आ सकती है क्योंकि सरकार ने सच्चाई को छुपाने के लिए जल्दबाजी में सीबीआई जांच की सिफारिश की है.

अखिलेश ने इस मामले में बिजली विभाग के सभी जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही की मांग करते हुए कहा कि अगर वह अफसर अपने पद पर बैठे रहेंगे तो निष्पक्ष जांच संभव नहीं है.

अखिलेश ने दावा किया कि योगी सरकार अपने अंदर चल रही लड़ाई को छुपाना चाहती है. आज अगर सत्ताधारी दल के विधायकों को खड़ा करके पूछ लिया जाए कि वह किसके साथ हैं तो 300 से ज्यादा ऐसे निकलेंगे जो मुख्यमंत्री को नहीं चाहते.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)